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बड़ी हवेली (राज़ की बात)
तनवीर ने अपने और अरुण के लिए उर्मिला का कमरा साफ़ करवाया था। ऐसा उसने इसलिए किया ताकि वह वहाँ से अपने वालिद के कमरे पर नज़र रख सके। उन दोनों में से एक को अगर कुछ होता है तो अगला उसे बचा सके। तनवीर को कमांडर के इरादों पर ज़रा भी भरोसा नहीं था इसलिए उसने अरुण को सतर्क रहने के लिए पहले से ही बता रखा था। उन दोनों की योजना ये थी कि रात में थोड़ा सतर्क रहना है फ़िर चाहे दिन में आराम कर लें। उर्मिला का कमरा ऊपर होने के कारण तनवीर को फ़ार्म हाउस का सबसे सुरक्षित कमरा लगा।

रात का डिनर ख़त्म होते ही दोनों उर्मिला के कमरे में आराम करने चले गए। सफ़र से थके होने के कारण दोनों को नींद आने लगी।

रात गहरी हो चली थी, ऊपर से हवा में हल्की ठंड सी थी, नैनीताल हाई वे पर फ़ार्म हाउस होने की वजह से ठंड का असर कुछ ज़्यादा ही था। यही वजह थी कि दोनों अपने अपने कम्बलों में घुसकर सो रहे थे कि अचानक एक भारी आवाज़ उनके कानों से टकराई "इतना साल इंतज़ार के बाद आखिर तुम आ ही गया...... इन द नेम ऑफ द क्वीन, अब हमारा मकसद पूरा हो जाएगा"।

तनवीर चौंक कर उठता है, अरुण अभी तक सो ही रहा था, तनवीर उसकी तरफ देखता है और उसे हिला कर जगाता है, काफ़ी कोशिश के बाद भी अरुण की नींद नहीं खुलती है, ये सफ़र की थकान का असर था। तनवीर भी उसे जगाना उचित नहीं समझता है और ख़ुद ही खिड़की से बाहर अपने वालिद के कमरे की ओर देखने लगता है।

"अब आ ही गया है तुम तो हमारे और थोड़ा नज़दीक आओ...... अपना डैडी के कमरे में चले आओ", कमांडर उसे आवाज़ लगा कर प्रोफेसर के कमरे में बुलाता है।

तनवीर घबरा सा जाता है, फिर किसी तरह हिम्मत जुटा कर फ़ार्म हाउस की सीढ़ियाँ धीरे धीरे उतरने लगता है और अपने वालिद के कमरे की तरफ़ बढ़ने लगता है। अपने वालिद के कमरे में पहुँचकर वो लाईट ऑन करता है।

कमांडर उससे कहता है कि "अब ये तस्वीर हटा कर हमारा खोपड़ी को संदूक से बाहर निकालो, हम तुमको देखना चाहता है, हम वादा करता है तुमको सारा सच्चाई बताने तक कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, बस तुमको भी एक वादा करना होगा, हमको हमारा धड़ तक पहुंचाना होगा"।

तनवीर आगे बढ़ कर तस्वीर को दिवार से नीचे उतारता है, फिर संदूक को टेबल पर रखता है और उसे खोलकर कमांडर का कटा हुआ सिर बाहर निकालता है। उसकी आंखों में लाल रोशनी चमक रही थी पर इतनी तेज़ नहीं थी कि किसी को नुकसान पहुंचा सके। वह कमांडर के सिर को टेबल पर एक जगह रख उसके सामने कुर्सी लगा कर बैठ जाता है। तनवीर को ख़ुद पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके अंदर इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई, अभी कुछ देर पहले तो केवल कमांडर की आवाज़ सुनकर उसकी हालत खराब थी।

कमांडर भी तनवीर को देख कर मुस्कुराने लगता है, फिर पूछता है "क्या तुम destiny यानि भाग्य पर विश्वास करता है", कमांडर पूछते ही उसके चेहरे को बड़े ध्यान से देखता है, जैसे वह तनवीर का चेहरा पढ़ रहा हो।

"अब आज के ज़माने में तो भाग्य केवल कहानियों में ही दिखता है, हम लोग पढ़े लिखे कॉलेज जाने वाले नौजवान विज्ञान के इस दौर में भाग्‍य जैसी चीज़ों पर नहीं बल्कि कर्मों पर विश्वास करते हैं", तनवीर थोड़ा सोचने के बाद कमांडर को उसके पूछे हुए सवाल का जवाब देता है।

" जो ख़ज़ाना डॉक्टर ज़ाकिर और प्रोफेसर को मिला, उसे पाने का वास्ते न जाने कितना लोगों ने अपना जान गँवाया फिर भी इसका भनक तक किसी को नहीं मिला, पर अचानक 300 साल बाद बर्फ़ में जमा हमारा शरीर ऊपर की तरफ आता है और साथ ही गुफा का पत्थर भी खिसक जाता है जिससे गुफा का द्वार हल्का सा खुल जाता है, इतना सालों से जो प्रकृति ने छुपा कर रखा था वो दिखने लगता है जिस पर डॉक्टर ज़ाकिर का टीम के एक सदस्य का नज़र पड़ता है, फिर ख़ज़ाना और हमारा शरीर मिलता है ", कमांडर, तनवीर से कहता है।

" आप कहते जाइए मैं सुन रहा हूँ, जहाँ कुछ बीच में पूछना होगा तो मैं बीच में ही टोक दूँगा ", तनवीर ने कमांडर से कहा और उसकी बातों को ध्यान से सुनने लगा।

" हम ये कहना चाहता है कि इतना बेशकीमती ख़ज़ाना जिसके पीछे कितने लोगों ने जान गंवाया, अगर किसी के भाग्‍य में होता तो पहले ही मिल जाता फ़िर भी ये 300 साल बाद ही तुम्हारा डैडी और उसके दोस्त को ही क्यूँ मिला, इस बारे में आराम से सोचकर देखना, पर अभी जो हम बताने जा रहा है वो तुम्हारे डैडी को भी नहीं बताया ", कमांडर की बातें सुनकर तन्नू के मन में जिज्ञासा का सैलाब उमड़ पड़ता है।

कमांडर अपनी बात जारी रखता है " तुम्हारे डैडी का दोस्त डॉक्टर ज़ाकिर ने ख़ज़ाना मिलते ही अपना असली रंग दिखाया, गुफा से ख़ज़ाना निकालने के बाद हमने उनके टीम का हर सदस्य को एक एक करके मारना शुरू किया जिससे सभी लोग डर गया था, उन लोगों के समक्ष में नहीं आ रहा था क्या करें, हम ख़ज़ाने से जुड़ा हुआ था इसलिए कोई हमको छोड़ कर भी जाता तो भी मुसीबत में पड़ता इसलिए साथ ले जाने का फैसला किया, जब हमने गुफा का खोज करने वाले सभी लोगों को मार दिया तो प्रोफेसर ने हमारा सिर और धड़ को अलग कर के रख दिया क्यूँकि अगला नंबर डॉक्टर ज़ाकिर फ़िर तुम्हारा डैडी का था। पर उस धोखेबाज़ डॉक्टर ने अपना जान बचाने और बाकी सबके मरने का वास्ते ख़ज़ाने का हिस्सा पहले ही बांट दिया जिसमें कुछ हीरे तुम्हारे वालिद के हिस्से में और एक एक अपना टीम का साथियों में बांट दिया, इस वजह से आज वो ज़िंदा है और तुम्हारे वालिद के साथ साथ सभी लोग मर गया। उस डॉक्टर को पहले से पता था कि ख़ज़ाने से जुड़ा मौत सीरियल नंबर के हिसाब से चलता है इसलिए उसने मौत का सिरीज़ तोड़ने के वास्ते ऐसा किया, ख़ज़ाना भले ही सरकार को सौंप दिया हो पर वो अधूरा ही था क्यूँकि उसका बंटवारा उसने पहले से ही कर दिया था, इसी तरह सबके मरने के बाद वो लंदन का यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के नाम से चला गया और अब तक ज़िन्दा है "।

कमांडर की बातें सुनकर तन्नू एक गहरी सोच में चला गया, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके वालिद के दोस्त ने ही उन्हें धोखा दिया था, जिस वजह से उसके वालिद और टीम के बाकि के सदस्यों की मौत हो गई थी।
-Ivan Maximus
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