बचपन की यादें ( दीपावली ) ❤️🤗...
वर्ष - 2005
जिला - हमीरपुर थाना भरुआ सुमेरपुर कालोनी
खेल - चोर पुलिस ( मैं और मेरे मित्रगण )
बात उन दिनों की है दीपावली का समय था जैसा कि सभी लोग दिवाली पे बंदूख ( पहले वो एक काक वाली बोले तो बारूद की टिकिया को बंदूख की नली में भर के फायर करने पर उसमें से आग से साथ धमाका भी होता था वो थी मेरे पास )
दीवाली के अगले दिन शाम को चोर पुलिस खेलने का प्लान बना और खेल शुरू हुआ थाने के अंदर ही एक छोटा सा स्थान था खेलने का
बात काफी पुरानी है इस लिए ज्यादा याद नही पर टीम बन गयी चोर पुलिस की अलग अलग मैं पुलिस बना था कुछ मित्र वो चुटपुत वाली बंदूख लिए थे खूब फायर पे फायर किए जा रहे थे ...
मैं बारूद की टिकिया वाली लिए था इसलिए खत्म न हो जाये तो फायर न कर रहा रहा ...
इसी तरह खेल चलता रहा तोड़ी देर में सारे चोर पकड़े गए बचा सिर्फ एक और वो भाग रहा था फिर क्या हुआ हमने उसको दौड़ाया पर वो रुक ही न रहा इधर उधर खूब दौड़ा दौड़ा कर घुमा रहा था मेरे हाथ मे बंदूख जिसमे बारूद की टिकिया भरी थी हम उसको बोल रहे रुक जा रुक जा रुक जा रुक ही नही रहा तो परेशान हो कर में उसके ऊपर करीब 2/3 मीटर दूर रह होगा फायर कर दिया उसकी पीठ पे जा कर गोली लगी और बो चिल्लाया और गिर गया 😂 जब वो गिरा तो हम भाग लिए 😂
दरअसल उसकी पीठ जल गई थी
बात थाने की थी तो पुलिस वाले आ गए उनको उठाये ले गए हॉस्पिटल... मैं डर के मारे भाग निकला था शिकायत मेरे घर पहुँची फिर हम असली पुलिस वाले ( पापा ) से बेल्टें बेल्ट मार खाये
वो मित्र भी काफी दिनों तक हमसे न बोला... 😌🤗🤝...
शिवम... संदीप सिंह चौहान... रोहित... रवि... मित्र तो आज साथ नही पर याद आती है बहुत इनकी...
2006 में हमीरपुर छोड़ने के बाद किसी से संपर्क ही न जो पाया...😔❤️🙏🏻...
#writicoquote #bacpan #Love&love💞 😊❤️🙏🏻...
जिला - हमीरपुर थाना भरुआ सुमेरपुर कालोनी
खेल - चोर पुलिस ( मैं और मेरे मित्रगण )
बात उन दिनों की है दीपावली का समय था जैसा कि सभी लोग दिवाली पे बंदूख ( पहले वो एक काक वाली बोले तो बारूद की टिकिया को बंदूख की नली में भर के फायर करने पर उसमें से आग से साथ धमाका भी होता था वो थी मेरे पास )
दीवाली के अगले दिन शाम को चोर पुलिस खेलने का प्लान बना और खेल शुरू हुआ थाने के अंदर ही एक छोटा सा स्थान था खेलने का
बात काफी पुरानी है इस लिए ज्यादा याद नही पर टीम बन गयी चोर पुलिस की अलग अलग मैं पुलिस बना था कुछ मित्र वो चुटपुत वाली बंदूख लिए थे खूब फायर पे फायर किए जा रहे थे ...
मैं बारूद की टिकिया वाली लिए था इसलिए खत्म न हो जाये तो फायर न कर रहा रहा ...
इसी तरह खेल चलता रहा तोड़ी देर में सारे चोर पकड़े गए बचा सिर्फ एक और वो भाग रहा था फिर क्या हुआ हमने उसको दौड़ाया पर वो रुक ही न रहा इधर उधर खूब दौड़ा दौड़ा कर घुमा रहा था मेरे हाथ मे बंदूख जिसमे बारूद की टिकिया भरी थी हम उसको बोल रहे रुक जा रुक जा रुक जा रुक ही नही रहा तो परेशान हो कर में उसके ऊपर करीब 2/3 मीटर दूर रह होगा फायर कर दिया उसकी पीठ पे जा कर गोली लगी और बो चिल्लाया और गिर गया 😂 जब वो गिरा तो हम भाग लिए 😂
दरअसल उसकी पीठ जल गई थी
बात थाने की थी तो पुलिस वाले आ गए उनको उठाये ले गए हॉस्पिटल... मैं डर के मारे भाग निकला था शिकायत मेरे घर पहुँची फिर हम असली पुलिस वाले ( पापा ) से बेल्टें बेल्ट मार खाये
वो मित्र भी काफी दिनों तक हमसे न बोला... 😌🤗🤝...
शिवम... संदीप सिंह चौहान... रोहित... रवि... मित्र तो आज साथ नही पर याद आती है बहुत इनकी...
2006 में हमीरपुर छोड़ने के बाद किसी से संपर्क ही न जो पाया...😔❤️🙏🏻...
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