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मेरे जीवनी

जैसा कि मैं आपको बता दूं मेरा नाम जितेन्द्र कुमार 'सरकार' है! लेकिन मेरा जन्म का वास्तविक नाम नगेन्द्र है! किंतु माँ ने जब मुझे हमारी गाँव की सरकारी स्कूल में पहली में एडमिशन दिलाया था, तो माँ ने वहाँ नगेन्द्र से जितेन्द्र करवा दिया!
मैंने कक्षा-पहली से लेकर कक्षा चार तक गाँव की स्कूल में ही पढ़ाई की!
इसके बाद मैं पास ही एक कस्बे में चौथी से छठी तक वहाँ पढ़ा!
लेकिन कक्षा 7 के बाद मैं गाँव छोड़ शहरों में पढ़ने निकल पड़ा! इस छोटी सी दस ग्यारह साल की ही कम उम्र में ही मैं शायद पहला लड़का था जो पढ़ने निकल गया! जब मैं आस पड़ोस के लोगों के पास जाता तो मुझे यह कह कर बात करते थे कि अरे वाह ये कितना सा और शहर में पढ़ लिख रहा है! और इतना ही नहीं यह भी कहते थे कि यह शहर गाँव अकेला कैसे आ जाता है चले जाता है? बाप रे बाप हमसे तो ऐसा नहीं होता! क्योंकि हम तो कभी बाहर शहर में गये ही नहीं!
मैंने साल 2016 में बारहवीं करने के बाद , सन् 2016 में ही अलवर (राजस्थान) की एक सरकारी काॅलेज से 2020में अंग्रेजी,ईकाॅनोमिक्स ,ज्योग्राफी से बीए पास किया!
यहाँ शुरुआत में जब काॅलेज में एडमिशन लिया तो काॅलेज की हर चीज से मैं अनजान था! और इस साल पढ़ाई पे भी ज्यादा ध्यान नही दिया! और इस कारण इस साल फेल हो गया! घर में इस पर मम्मी पापा ने डांटा आखिर बच्चा फेल क्यों हो गया?
इस प्रकार पहली साल मेरी ऐसे ही निकल गयी! किंतु अगली साल गनीमत रही कि मैं इस बार फेल नहीं हुआ!
किंतु यह साल 2018 मेरे लिए काफी अच्छा साबित हुआ! इस साल में हमारे कॉलेज में एक हिंदी व अंग्रेजी कविताओं की पत्रिका प्रकाशित हुई इसके अतिरिक्त यहां कॉलेज के प्रोफेसरों से भी मैं बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि सभी लिटरेचर अर्थात साहित्य से संबंधित थे इसके अलावा इस साल हमारे पूर्व प्रधानमंत्री महाकविश्री अटल बिहारी वाजपेई जी का निधन हो गया था अतः मैं इनकी भी कई चीजों से प्रभावित हुआ इस तरह मैंने इन सब चीजों को देखते हुए कविता लिखने का जुनून अपने अंदर पा लिया ! लेकिन मैं लिखना तो तभी चालू कर दिया था क्या मैं 2017 में लिखना चालू कर दिया था मैंने शुरुआत कुछ डायरियो से की थी मैं अपनी नजदीकी दुकान से पुराने साल की कुछ डायरिया ले आता था और उनमें अपने आस-पड़ोस नजदीकी लोगों मैं अपने निजी जानकारियां लिखता था इस तरह मैंने कई प्रकार से देखने के लिए कई कहानियां लिखी कविताएं लिखी लेकिन शुरुआत में कविताएं बनती नहीं थी इसलिए कोरे कागजों में लिखता मिटाता लिखता मिटाता रहता था इस तरह धीरे-धीरे मुझे मेरे लेखन में रुचि बढ़ने लगी और मैं कविताएं लिखने का शौक मुझे होने लगा मैं जिस समय कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था इस समय में मैं घर वालों से छिप छिप कर लिखता था किसी को पता नहीं था कि मैं कविताएं कहानिया वगैरा लिखता हूं !जब मैंने 2021 तक लिखना सीख गया तो मैंने शुरुआत में कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चुने उन पर लिखने लग गया !धीरे-धीरे जान पहचान हो गई और एक प्रसिद्ध वेबसाइट लिखना सीखिए डॉट कॉम कुछ कविताएं प्रकाशित करवाई ! इसके बाद अपनी पहली किताब मेरी कविताओं का समंदर लिखी जिसे नोशन प्रेस पब्लिशर के द्वारा प्रकाशित किया गया! इसके बाद
मैंने अमर उजाला देश के जाने माने अखबार की प्रसिद्ध वेबसाइट पर भी कुछ कविताएं प्रकाशित करवायी! धीरे-धीरे मेरा कारवां बढ़ता गया ,लिखता गया और साथ ही मंजिल के एक -एक सीढ़ी मुझे मिलती रही ! किंतु शुरुआत में मुझे मालूम नहीं था कि मैं क्या करने जा रहा हूं ?और मुझे इसमें कुछ हासिल होगा भी या नहीं ?चलो कुछ कर पाऊंगा या नहीं? इन सबके बाद मुझे कई जगह जगह से अन्य लेखकों द्वारा लिखने के ऑफर आने लगे हैं यहां तक कि कई लोग तो मुझे सॉन्ग लेखन आर्टिकल लेखन तथा अन्य डायलॉग्स वगैरह लिखने आदि के ऑफर भी देने लगे हैं! अभी मैंने अभी कई राज्यों के अनेक जगहों के अन्य 28 लेखकों के साथ एक महिला लेखिका की पुस्तक एक आस में सहलेखन का काम किया! इसके अतिरिक्त भी मेरे पास लगातार इस इंडस्ट्री में कई प्रकार के ऑफर आते रहते हैं और धीरे-धीरे कारवां बढ़ता जा रहा है और मैं समझता हूं मंजिल अब बहुत दूर नहीं है
बस जीवन में इतनी ही कमी रह गयी है कि माता पिता का इस लक्ष्य में साथ नहीं रहा है! अपितु डांटा गया हूँ! लेकिन उन्हें मालूम नहीं कि उनका बेटा इस फील्ड में बहुत आगे जा चुका है! अगर अब पैर पीछे हटाता है तो शायद ही वो कुछ बन पाये! या रहेगा भी या नहीं क्योंकि समय का कोई पता नहीं!
लेकिन मैं अपने को अब खुश किस्मत मानता हूँ कि अब मैं किताबों के पन्नों में उतर चुका हूँ!
जो कि मेरे ना रहने पर भी सदा इतिहास में चमकते रहेंगे!