...

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क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा
जब हवाओं से घुटन होने लगे ।जब अपनी सांसों से चुभन होने लगे तो समझ जाना की समय आ गया खुद से बगावत करने का खुद का हिफ़ाज़त खुद से करने का।
ये वो क्षण है जब तुम्हारी जीवन का नया आयाम तुम्हारी दरवाजे पर दस्तक दे रही है ।
इस क्षण में हमारे पास दो ही विकल्प होते है उन आयामों से रूबरू होना
या खुद से मजबूर होना ।
यही वो वक्त होता है जब तुम खुद को खुद के हवाले करते हो या तुम खुद को किस्मत के हवाले करते हो
क्या करो कुछ समझ नहीं आता 😥😥😥😥
किस ओर जाओ? किस छोर तक जाओ ? किसे आजमाओ खुद को या किस्मत को पर
कितना आजमाओ? कहा जाओ? किस तरफ जाओ? या थोड़ा वक्त के साथ ठहर जाओ ।
ना जाने क्यों? ये सांसों की चुभन बर्दाश किए जा रहा नयन में अश्रु लिए दर्द चुभन का अहसास किए जा रहा । ये वक्त ने हमें इस मोड़ पर ला खड़ा कर दिया जहाँ से हर तरक काटों से भरे फूल ☺️☺️☺️☺️नजर आ रहे इसे देखकर ना जाने क्यों खुद को समेटे जा रहा ना जाने क्यों केंद्र बिंदु सा सिमटता जा रहा ।
क्या मेरी सांसें कमजोर हो गई?या सांसों ने मुझे कमजोर कर दिया ।मैं चला था नए आयामों से दोस्ती करने पर देखो इन सांसों ने मुझे कहा खड़ा कर दिया किस और खड़ा कर दिया जिस तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा ना कोई उम्मीद की किरण वक्त ने छोड़ा मेरा इस कदर साथ की बेहोश हो पड़ा मेरा मन
© aman 8111819@