...

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नवजीवन
आज की सुबह कब हो गई... पता नहीं चला चलता भी कैसे रात होती तब ना आंखों में ख्वाब ओर मन मै बेचैनी के साथ कोई सों भी कैसे सकता है.....आंखें खोले ओर सुनील को देखते देखते सुबह हो गई....
कितने सपने उसके भी तो होंगे....
क्या सोच रहा होगा वो...
उम्मीद उसकी भी तो बदली है.....
तुम्हारा नाश्ता जल्दी से कर लों ओर तैयार हो जाओ.."मैडम क्या सोच रही..
अब ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास...
ओर मै कुछ बेफिक्री सी हंसी ओर उसको समझने की कोशिश करने लगी....
....शादी से पहले कितना अलग था क्या ये वही सुनील है जिसे मेरे होने ना होने का फ़र्क नहीं पड़ता था क्या सच में शादी इंसान के रिश्ते के साथ व्यक्तित्व भी बदल देती है...
खैर ...सोचते सोचते टाइम आ गया..
सब तैयारी कर ली है ना"सुनील ने सब देखते हुए पूछा...
एक बार घर पर बता दे...मैंने संकोच की नजर से उससे पूछा....
क्या जरूरत ह मै बता दूंगा तुम परेशान मत हो......
ओर मेरा हाथ अपने हाथ में थाम कर मुझे कहने की कोशिश की सब ठीक हो जाएगा मै हूं ना....
रास्ते में सोच रही थी ...
कैसी मा बनूंगी मै....
शायद ये सवाल सबको मां बनने से पहले आता होगा...
मगर मेरे लिए तो नया एहसास था....
क्या करूंगी कुछ पता नहीं था...
अंदर चले मंजिल आ गई....सुनील की खुशियों का ठिकाना नहीं था.....
मै अंदर जाते जाते भी कितनी उलझनों से उलझ रही थी...थोड़े देर में सब बदल जाएगा एक नया रिश्ता मेरे साथ जुड़ जाएगा...
सब पेपर के काम होने के बाद ...मुझे अन्दर ले गए.....मै ऐसे घबरा रही थी जैसे कोई बच्चा पहली बार अपनी मा को छोड़ कर जाता है...कुछ वैसे ही..ये है आपकी लड़की ...एक छोटी सी नाजुक सी बच्ची शायद ४ या ५ साल की मेरे पास लाई गई.....
ये है आपकी तारा....
तारा वो सच में मेरी ज़िन्दगी का तारा बनेगी..
सुनील ओर मै एकदुसरे की तरफ देखकर ये महसूस कर रहे थे कि हम अच्छे मां बाप बनेगे....
आंखों में खुशियों के आंसू थे....
सुनील को कोई अफसोस नहीं था कि मै मां नहीं बन सकती उसने मेरी कमजोरी को मेरी ताकत बना दिया....उसके प्यार ने मुझे तारा दिया.....जिसकी रोशनी से मै चमक रही थी...
हमारी तारा......जो मुझे मिल गई थी ओर मै मां बन गई थी.......
#If u cant able to born the child...
Adopt a little ones & give new
life..to him/her.