नवजीवन
आज की सुबह कब हो गई... पता नहीं चला चलता भी कैसे रात होती तब ना आंखों में ख्वाब ओर मन मै बेचैनी के साथ कोई सों भी कैसे सकता है.....आंखें खोले ओर सुनील को देखते देखते सुबह हो गई....
कितने सपने उसके भी तो होंगे....
क्या सोच रहा होगा वो...
उम्मीद उसकी भी तो बदली है.....
तुम्हारा नाश्ता जल्दी से कर लों ओर तैयार हो जाओ.."मैडम क्या सोच रही..
अब ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास...
ओर मै कुछ बेफिक्री सी हंसी ओर उसको समझने की कोशिश करने लगी....
....शादी से पहले कितना अलग...
कितने सपने उसके भी तो होंगे....
क्या सोच रहा होगा वो...
उम्मीद उसकी भी तो बदली है.....
तुम्हारा नाश्ता जल्दी से कर लों ओर तैयार हो जाओ.."मैडम क्या सोच रही..
अब ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास...
ओर मै कुछ बेफिक्री सी हंसी ओर उसको समझने की कोशिश करने लगी....
....शादी से पहले कितना अलग...