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आज सुबह का शोर कुछ शांत हैं , यह सूर्य का प्रकाश कुछ ठंडा हैं, हां आज मेरा मन कुछ बैचेन हैं । हां मेरा मन मेरा घर , बस आज तक की मोहलत दी हैं मुझे मेरे अपनों ने ,उन्होंने जिन्हें मैंने अपनी उंगली पकड़कर चलना सिखाया । उन्होंने कहा कि तुम कुछ नहीं हमारे लिए , तुम कुछ नहीं अब बस मुसिबत बस मुसिबत । मैं आज दिल भर अपना बचपन याद कर रहा हूं , मैं अपनी हीर याद कर रहा हूं , हां तकि मैं कल कुछ यहां छोड़ न जाऊं ,सब कुछ ले जाऊं । ऐसे दिन ओर रात गईं और फिर एक दिन आया मेरी बिदाई का , मैंने सोचा मैं पैर पकड़ लेता हूं बेटे का पर कुछ बोलने से पहले वो आ गया , क्या old age centre । मैं मुस्कुराते हुए कहा तुम हमेशा खुश रहो , मैं दुआ करुंगा कि तुम कभी यहां न आओ और ये कहकर मैं वहां पहुंचा जो मेरे लिए एक भयानक सपना था ।
alike old age shelter ...... late mr. ram Mohan Kumar
olgage house not our parents house its only parents night mare।।
वो भगवान हैं , चलना सिखाते हैं हमारा फर्ज
हमारे मां, पिता पहले .