भींगा सावन
पांडे भवन में आज बड़े जोरों से अफरा तफरी मची थी
मचती भी कैसे न आज देव के लिए लड़की देखने जाना था तो सारे घर वाले तैयारी में लगे थे
शारदा जी बड़ी खुश थी अपने पोते की शादी की खबर सुनकर
चलो देव की माँ को आज चलो लड़की तो पसंद आई और उसे अपने घर लाने के लिए उसका मन बदला बस सुरभि को लड़की का घर और परिवार पसंद आ जाय बस राम जी इतनी कृपा करना वरना इसका मन तो पल पल बदलते रहता है और लड़की वाले रोज आते और जाते रहते हैं
तभी पांडे जी आते और कहते हैं अरे जल्दी करो वरना जाम लग गया तो फिर हम पटना पहुंच भी नही पायेंगे और लड़की वाले इंतजार करते रह जायेंगे
तभी सिल्क साड़ी पहने जेवरों से लदी सुरभि जी आती हैं
शारदा जी लगता है जैसे पूरे खानदान का जेवर पहन ली है
बाप तो एक धेला दिया नही था और हमारे बेटे की कमाई पर कितना इतरा रही है
अपनी बहू लाने के लिए जैसे खुद को हथुआ महरानी समझ कर जा रही है.
पांडे जी अरे मालकाईन हम लड़की देखने जा रहे हैं अपनी देव के लिए उनके साथ हम दिखावा करने नही जा रहे हैं
सुरभि जी अरे हम लड़के वाले हैं वो भी देव पांडे की माँ किसी से कम नही हैं
हम तो भाई ऐसे ही जाएंगे जिन्हें चलना है वो चले
शारदा जी अपने सर को पीट लेती है और कहती है दिवाल से सर फोड़ने से अच्छा है बेटा बात मान ले
पांडे जी सपरिवार लड़की देखने पटना जाते हैं
सब होटल चाणक्या में रुकते हैं फिर देव को फोन करते हैं हम आ गए हैं बेटा आप कहाँ हो
तभी देव नेभी ब्लू सूट पहने फोन पर बातें करते हुए आता है और उसे दिखता नही है और उसका हाथ आते हुए एक लड़की के दुप्पटे में उलझ जाता है दोनों एक...