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आखिरी पल Emotional Love story
दो दिन पहले उनकी शादी की आठवीं सालगिरह थी, लेकिन हिरेन भूल गया और ऊपर से घर भी लेट आया। फिर तो कहना ही क्या? बहुत झग़डे थे दोनों उस दिन। गुस्सा ठंडा हो जाने पर हिरेन ने अपनी पत्नी को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन मेडम तो मेडम होती है। मर्ज़ी चाहे माफ करें, न चाहे तो ना करें।

शादी के कुछ साल तक तो सब कुछ ठीक था, लेकिन धीरे धीरे प्यार की जगह कड़वाहट ने ले ली और रोमांस की झग़डे ने। अब तो एक दूसरे के प्रति सम्मान के बीच में उनका स्वाभिमान आने लगा था। एक समय था जब दोनों को लगता था कि वें एक-दूसरे के बिना जी नही पाएंगे। मगर आज वहीं दो प्रेमी एक ही छत के नीचे अजनबियों की तरह जी रहे थे।

आखिर कोई अपनी मैरिज एनिवर्सरी कैसे भूल सकता हैं? वह मुझे अब पहले जितना प्यार नहीं करता।” सोफे पर बैठी त्रिवेणी के मन में ख्याल आया। वह अपने पति से इतनी नाराज थी कि पिछले दो दिन से उससे ठीक से बात भी नही कर रही थी।

तभी दरवाज़े की घंटी...