...

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कन्फेशन।

तुम्हें शायद मालूम नहीं कि

क्लासरूम के तीसरे बेंच पर जो पहला चश्मिश बैठता था ना वो मैं ही हूं

तुम्हीं तो चश्मिश बुलाती थी सब हंसते भी थे। हां अब मैंने लेंस लगा ली है सो ज्यादा स्मार्ट लग रहा हूं।

जो अक्सर तुम्हारे लिए पिज़्ज़ा लाया करता था न वो मैं ही था

तुम्हें पिंक रोज पसंद थे, हर रोज तुम्हारे डेस्क पर मैं ही तो रखता था

वो जो पिंक रिबन तुम अपने बालों पर लगाती थी, मैंने ही तुम्हारे डेस्क पर रखा था

तुम्हारे गेट की घंटी कैसे बजती थी तुम्हें पता भी नहीं, वो भी मै ही था।

वो जो तुम चारों ओर देखती थी, और किसी को तलाशती था, मैं तुम्हें ऐसा करता देख मुस्कुराता था। पर पता नहीं क्यों तुम मुझे सीरियस लेती ही नहीं थी।
फिर हम स्कूल पास किये। मैं साइंस स्ट्रीम से था और तुम आर्ट्स। मैं चाह कर भी आर्ट्स नहीं रह सकता था घर में अलाउ नहीं था पर हां कोशिश की थी।
हर दिन मैं तुम्हें फॉलो किया करता था जब तुम कॉलेज जाया करती थी।
एक दिन तुमने लाल सूट पहना था शायद कॉलेज में कुछ फंक्शन था बहुत सुंदर लग रही थी।
तुम्हें कभी नोटिस ही नहीं किया।
फिर मैंने इंजीनियरिंग पास की और हमारे शहर बदल गए हां दोस्तों से तुम्हारा हाल लेता रहता था। एक ज़िद्द सी हो गई थी इंजीनियरिंग पास करते हैं नौकरी लेना है और फिर तुम्हारे लिए शादी का हाथ मांगना है।
मुश्किल था, पर दोस्तों ने साथ दिया।



जारी
© geetanjali