तेरे गांव का कृष्ण मंदिर
मैं आठवी क्लास के एग्जाम देने के लिए पास के गांव में गया था । इस गांव के स्कूल के पास एक पोस्टमैन का घर था । उस घर के पास एक बैठक वाली चौकी थी वहां चार पांच लड़कियां खड़ी खड़ी किताबे पढ़ रही थी मेरी नजर एक लड़की पर ऐसी टिकी की मेरी आंखे हटने का नाम ही नही ले रही थी
बस दिल कह रहा था उसे देखता रहूं और वो वहां से हिले ही नही उस पल को बताना मेरे बस में नहीं है लेकिन फिर भी आपको बताना चाहता हूं 'मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे भीतर से किसी अपने के दीदार के लिए ललक उठी है दिल बस उसे ही देखे बार बार उसे देखने को मेरी आंखे बेताब हो रही थी बस नजरे जैसे उस से ऐसी जुड़ गई जैसे मुझे मेरा अपना रूह का प्यारा मिल गया हो
मन में सबसे अच्छे वाली भावना उठ रही थी जुबा उसका नाम पुकारने को फड़क रही थी उसके बारे में जैसे सब पता हो मुझे वो अनजान होते हुए भी मेरे लिए पहचान बन गई वो लड़की देखते देखते मेरे दिल में घर कर गई । अब मुझे एग्जाम कि फिक्र कहां थी बस फिक्र थी तो सिर्फ उसके दीदार कि थी
सच में बहुत सुकून मिलता था उसे देखकर जिसे लिखना मेरे बस में नहीं
उसकी आंखे इतनी प्यारी थी मेरी नजर उस से हठती नहीं थी । मेरी इस हरकतों की उसे खबर नहीं थी लेकिन मै तो सच में उसका दीवाना हो चुका था....
© Manoj Vinod-SuthaR
बस दिल कह रहा था उसे देखता रहूं और वो वहां से हिले ही नही उस पल को बताना मेरे बस में नहीं है लेकिन फिर भी आपको बताना चाहता हूं 'मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे भीतर से किसी अपने के दीदार के लिए ललक उठी है दिल बस उसे ही देखे बार बार उसे देखने को मेरी आंखे बेताब हो रही थी बस नजरे जैसे उस से ऐसी जुड़ गई जैसे मुझे मेरा अपना रूह का प्यारा मिल गया हो
मन में सबसे अच्छे वाली भावना उठ रही थी जुबा उसका नाम पुकारने को फड़क रही थी उसके बारे में जैसे सब पता हो मुझे वो अनजान होते हुए भी मेरे लिए पहचान बन गई वो लड़की देखते देखते मेरे दिल में घर कर गई । अब मुझे एग्जाम कि फिक्र कहां थी बस फिक्र थी तो सिर्फ उसके दीदार कि थी
सच में बहुत सुकून मिलता था उसे देखकर जिसे लिखना मेरे बस में नहीं
उसकी आंखे इतनी प्यारी थी मेरी नजर उस से हठती नहीं थी । मेरी इस हरकतों की उसे खबर नहीं थी लेकिन मै तो सच में उसका दीवाना हो चुका था....
© Manoj Vinod-SuthaR