...

3 views

श्री कृष्ण जन्माष्टमी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के विशेष अवसर पर....

*श्री कृष्ण के व्यक्तित्व की समझ*

*श्री कृष्ण जी के व्यक्तित्व को समझने से अध्यात्म के गहरे से गहरे तथ्यों और सत्यों को समझा जा सकता है। हमारे पास विगत 2500 साल का इतिहास भी पूरा और वैसा का वैसा ही मौजूद नहीं है। जबकि श्री कृष्ण तो 5000 वर्ष पहले हुए थे, तो श्री कृष्ण का इतिहास वैसा का वैसा और पूरा का पूरा कैसे मौजूद हो सकता है। 5000 हजार साल का समय बहुत लम्बा समय होता है। मनुष्य के चेतन मन के स्मृति पटल पर हजारों वर्षों की स्मृतियां एकसाथ इकट्ठी नहीं इमर्ज रूप में नहीं रह सकती हैं। जरा विचार करें कि मनुष्य को एक छोटी सी बात ही याद नहीं रहती कि एक सप्ताह पहले शुक्रवार के दिन क्या क्या कार्य किए थे? तो कृष्ण के जीवन वृतांत की बातें तो 5000 साल पुरानी बातें हैं। इतनी पुरानी बीती हुई बातें मनुष्य को कैसे स्मृति में रह सकती हैं। खैर। इसलिए ही इतिहास जैसे जैसे पुराना होता जाता है वैसे वैसे उसमें कुछ ना कुछ अन्य सामग्री शामिल हो जाना स्वाभाविक सी बात है। इसलिए पहले तो अपने मन में यह पक्का कर लें कि श्री कृष्ण के बारे में जितने भी वृतांत वर्णित हैं; यह जरूरी नहीं हैं कि वे सच ही हों। यह शत प्रतिशत हकीकत हो सकती है कि कथाकथित तत्कालीन बुद्धिमानों ने अधिकतर वृतांतों को रोचक या गूढ़ बनाने के लिए अपनी ही अनुमानित बुद्धि से कुछ अन्य प्रकार से गढ़ कर उन्हें श्री कृष्ण के व्रतांतों में सम्मिलित किया हो। उदाहरण के तौर पर - सर्व शास्त्र शिरोमणि गीता पुस्तक की वर्तमान समय में सैंकड़ों लोगों ने अपनी अपनी व्याखायें की हैं। उनकी अपनी अपनी व्याख्यायित गीता पुस्तक वर्तमान समय उपलब्ध हैं।

ऐसा सही अर्थ का अनर्थ क्यों होता है। यह होता है अनेक प्रकार के परिवर्तनों के कारण और मनुष्य की स्मृति की क्षमता कमजोर होने के कारण। यह शत प्रतिशत संभावना है कि श्री कृष्ण के जीवन व्यक्तित्व वा उनके अभिनय के बारे में अनेक बातें दब गई होंगी और अनेक बातें उनके जीवन के वृतान्तों में गढ़ कर सम्मिलित कर दी गई होंगी। खैर जो भी हो। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्री कृष्ण के बारे में जितनी भी स्मृतियां या जितने भी प्रतीकात्मक संस्मरण या रूपक उल्लेखित हैं उनमें से कुछ चंदेक मुख्य मुख्य के बारे में ज्ञानयुक्त ढंग से स्पष्ट कर देना उचित होगा।

*श्री कृष्ण के व्यक्तित्व के विषय में भागवत पुराण या महाभारत इत्यादि ग्रंथों में जितने भी उनके...