...

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जीयो और जीने दो
तुने अपना कहा था,
तुने समझा था मुझे,
मुझे भी लगा था,
तुने समझ लिया मुझे,
पर जब तुने सवाल मेरे पहनावे पर उठाया तो,
एक चोट सी लगी कही,,,
आजतक किसी ने जज नही किया कभी,
तुने तो कुछ लब्जो में ही तोड़ दिया मुझे,
जरा सा सोच लिया होता की ,,
तेरी लब्जो से निकली ऐसी बातों का क्या असर होगा सामने वाले पर,,
पल भर भी नहीं लगता किसी को गम देने में मगर,,,
सादिया लग जाती है खुशियां देने में।


रिशु के अल्फाज।