ज्वार
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कहानी
शीर्षक --ज्वार
हे भगवान ऐसा दिन किसी को मत दिखाना इस बुढ़पा में
ये कैसा अनर्थ हो गया है इसी दिन के बाल बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करते हैं कितने अरमान से और बच्चे इतने नासमझ हो गए हैं की कुछ सोचते समझते नही हैं अपने परिवार के बारे अपने माँ बाबा के लिए हे भगवान इससे अच्छा तो बच्चे दे ही नही किसी को।
रमा काकी भूनभूनाते हुए।
तभी झुमकी अरे क्या हुआ काकी सुबह सुबह काहे को प्रवचन दे रही हो।
क्या हुआ जो ऐसे राम नाम के बेला में अशुभ बातें कर रही हो
कहाँ आग लग गई जो आप आग लगा रही हो।
रमा काकी गुस्से में अरे छोरी तू न बामन गज की जुबान को बंद ही रखा कर
कैंची की तरह मत चलाया कर हमारे सामने।
झुमकी तुनकते हुए अरे मै अब ने क्या किया रमा काकी जो आप मुझ पर बरस रही हो।
झुमकी अरे पता नही आज काकी को क्या हो गया है जो ऐसे उबल रही है चाय की तरह।
हम तो चले नही तो हम जल जायेंगे आज काकी से।
तभी झुमकी की माँ अरे काकी ये क्या हो गया?
आपने सूना आज गाँव वाले से
बसुंधरा दीदी का घर उजर गया बेचारी का अब क्या होगा?
रमा काकी हाँ रे बहुरिया तू सही कह रही है।
वसुंधरा का जबान बेटा कल रात फांसी लगा लिया तुझे पता है
पति पत्नी और बच्चे साथ थे।
अब ये लोग अकेले रह कर भी खुश नही हैं पहले परिवार वाले को बदनाम करते थे और अब देखो पति पत्नी में भी नही बनता है।
आजकल की छोरी ससुराल वाले सुहाते नही हैं और मायके में भी रहकर आजकल छोरी को चैन नही है।
झुमकी की माँ अरे काकी वसुंधरा दी कितने सज्जन लोग थे कितने मुश्किलों...
कहानी
शीर्षक --ज्वार
हे भगवान ऐसा दिन किसी को मत दिखाना इस बुढ़पा में
ये कैसा अनर्थ हो गया है इसी दिन के बाल बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करते हैं कितने अरमान से और बच्चे इतने नासमझ हो गए हैं की कुछ सोचते समझते नही हैं अपने परिवार के बारे अपने माँ बाबा के लिए हे भगवान इससे अच्छा तो बच्चे दे ही नही किसी को।
रमा काकी भूनभूनाते हुए।
तभी झुमकी अरे क्या हुआ काकी सुबह सुबह काहे को प्रवचन दे रही हो।
क्या हुआ जो ऐसे राम नाम के बेला में अशुभ बातें कर रही हो
कहाँ आग लग गई जो आप आग लगा रही हो।
रमा काकी गुस्से में अरे छोरी तू न बामन गज की जुबान को बंद ही रखा कर
कैंची की तरह मत चलाया कर हमारे सामने।
झुमकी तुनकते हुए अरे मै अब ने क्या किया रमा काकी जो आप मुझ पर बरस रही हो।
झुमकी अरे पता नही आज काकी को क्या हो गया है जो ऐसे उबल रही है चाय की तरह।
हम तो चले नही तो हम जल जायेंगे आज काकी से।
तभी झुमकी की माँ अरे काकी ये क्या हो गया?
आपने सूना आज गाँव वाले से
बसुंधरा दीदी का घर उजर गया बेचारी का अब क्या होगा?
रमा काकी हाँ रे बहुरिया तू सही कह रही है।
वसुंधरा का जबान बेटा कल रात फांसी लगा लिया तुझे पता है
पति पत्नी और बच्चे साथ थे।
अब ये लोग अकेले रह कर भी खुश नही हैं पहले परिवार वाले को बदनाम करते थे और अब देखो पति पत्नी में भी नही बनता है।
आजकल की छोरी ससुराल वाले सुहाते नही हैं और मायके में भी रहकर आजकल छोरी को चैन नही है।
झुमकी की माँ अरे काकी वसुंधरा दी कितने सज्जन लोग थे कितने मुश्किलों...