गुमसुम सा लड़का
था एक गुमसुम सा लड़का
कौन जानता था उसकी हकीकत
कोई दोस्त नहीं था उसका
जहाँ भी वो जाता था पागल समझते थे उसे सब
उसके आत्मविश्वास की तो धज्जियां उड़ चुकी थी
माँ बाप ये सोचके कुछ बोलते नहीं थे कि ये तो शुरू से ही एसा है
पर कोई समझने वाला नहीं था कि अंदर उसके क्या चल रहा था
ज्यादा कोई बात करता नहीं...
कौन जानता था उसकी हकीकत
कोई दोस्त नहीं था उसका
जहाँ भी वो जाता था पागल समझते थे उसे सब
उसके आत्मविश्वास की तो धज्जियां उड़ चुकी थी
माँ बाप ये सोचके कुछ बोलते नहीं थे कि ये तो शुरू से ही एसा है
पर कोई समझने वाला नहीं था कि अंदर उसके क्या चल रहा था
ज्यादा कोई बात करता नहीं...