मेरा सपना
बचपन में मैंने एक कहानी पढ़ी थी गृहशोभा की। जिसमें एक व्यक्ति एक दिन अपने आफिस से लौटते वक्त बस में कुछ लड़कियों को आपत्तिजनक रूप में देखा वह समझ गया ये लड़कियां काॅल गर्ल्स है। धीरे धीरे उसे एक चेहरा जाना पहचाना लगा।वह लड़की भी ख़ुद को उसके नज़रों से बचाने की कोशिश कर रही थी नजरे झुकाए रही। अचानक याद आया यह तो मेरा दोस्त प्रवीण की बेटी है ,यह कैसे हुआ यही हालात कैसे? वह कई सवालो के घेरे में आ गया पर खुद पर काबू किया...