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एक कहानी ऐसी भी - भाग दो
नमस्कार दोस्तों
आज हम फिर से हाज़िर हैं अपनी कहानी के दूसरे अध्याय के साथ। जैसा कि कल हमने देखा कि मयंक अपनी धर्मपत्नी मिताली को बिना कारण मायके छोड़ जाता है। कयी दिन बीत जाने पर भी जब मयंक मिताली की ख़ैर ख़बर तक से अनजान, उसे वापस लेने तक नहीं आया तो मिताली को मयंक की ऐसी प्रतिक्रिया पर संदेह होता है। और वो मन ही मन इस रहस्य से पर्दा उठाने का ठान लेती है। उसने एक दिन मयंक के आफिस पर call लगाया तो उसे पता चला कि मयंक ने अपने आफिस से तबादला कर किसी दूसरी शाखा में कार्यभार संभाल रहा है। इतना सुन कर मिताली को तेज़ झटका लगा, उसके हाथ पांव सुन्न हो गये। एक तरफ़ तो उसके आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तो दूसरी तरफ उसे ये भय सता रहा था कि आख़िर मयंक ने उसे कुछ बताया क्यों नहीं। उसने अपने मायके वालों से इस विषय पर बात करना उचित नहीं समझा और ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं सच्चाई का पता लगा कर रहूंगी।
उसने अपने ससुराल पर भी फोन लगाया पर वहां से भी कुछ हासिल नहीं हुआ। कुछ दिन और बीत गए पर मिताली के मन में अब भी वही सवाल उठ रहे थे कि आख़िर मयंक ने ऐसा क्यों किया। उसके जानकार एक आध्यात्मिक गुरु थे, उसने उनसे सलाह मशविरा किया और गुरु जी के आश्रम में गयी और उन्हें सारी बातें विस्तार से बताया। सब कुछ जानने के बाद गुरु जी ने मिताली को एक उपाय बताया और साथ में ये भी कहा कि बिना विलम्ब किए उस उपाय को काम पर लगाओ। फिर मिताली ने भी ख़ुद को मज़बूत किया आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करने हेतु। और लग गई काम पर।
काफ़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार उसने पता लगा ही लिया कि मयंक कहां पर काम करता है और पहुंच गई उसका पीछा करते हुए वृन्दावन कालोनी में। ये जगह मिताली को न जाने क्यों जानी पहचानी सी लग रही थी। पर उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो पास जाए और देखे कि आख़िर वहां हो क्या रहा है।
क्या मिताली का भय उसके मन में छुपे उन सैकड़ों सवालों पर भारी पड़ेगा?
क्या मिताली को उसके सवालों के जवाब मिलेंगे?
आखिर क्या होगा मिताली का अगला क़दम।

जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ और तब तक अपने दिमाग़ के घोड़े दोड़ाइए और कहानी का आनंद लीजिए।

धन्यवाद 🙏☺️
© Aphrodite