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खामोश इश्क 🩺
जब आपकी खामोशी तोड़ के आपको इस बेवफा दुनिया में बोलना सिखाने की बजा ही,आपको एक दिन इतना खामोश कर जाए की, खामोशियां भी इतनी खामोश ना रहते ,
तब ये दिल अपने खामोशी में ही जिनेकी वजा डूंडने लगता है ,
जब हजारों लोग आपको strong बोले ,साथ रहे ,उनके साथ मुस्कुराना और खुदको सही बताना ठीक होना नहीं होता,
वो तो वही जाने की कोई साथ उसकी दर्द को कम ना कर सकता , क्यों की दर्द तो उस ने दिया हैं जो कभी दवा था,
साथ तो उसने छोड़ा हैं
जो हमेशा साथ था,
जब कोई नहीं था तब वो था
अब सब है तो वो नहीं है,
मुस्कान भी झुटी लगती है अपनी
जब मुस्कुराने की कोशिश करके रोने लगते हैं,
जब बिना बजा आसू बह जाते हैं,
साथ बैठ के भी सब से दूर कहीं खो जाते हैं
ख्वाबों की दुनियां जब इतनी गहरी होजातीहैं कि खुद ही खुद को समझा ना पाते की हमारा वजूद क्या है,
ये मत समझ ना कोई आशिकी है ,हम है तो पर अपने ख्वाबों की, दिवानगी जो इश्क जैसा गहरा होता है ,नसे से भी गहरा नसा होता है ,जिसको पाने केलिए हर वक्त दिल दिमाग सब बेहिसाब बेकरार रहते हैं,
अपने सपनो को हासिल करने की ख्वाहिश सबमें तो होता ही हैं ,पर हमें इश्क है अपने सपनों से ,,जिसको हम हासिल नहीं जीना चाहते हैं।
part-1
introduction