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सही है या गलत
सब कहते हैं की दहेज एक अभिशाप है दहेज लेना और देना दोनों ही पाप है पर कभी किसी ने यह सोचा है कि दहेज के अलावा भी बिटिया की शादी के बाद कई त्यौहार और कार्यक्रम ऐसे होते हैं जिनमें ससुराल पक्ष के सभी सदस्यों और रिश्तेदारों के लिए कपड़े ,गहने और अन्य सामान भिजवाए जाते हैं और यहां तक कि सामान्य दिन भी बिटिया से मिलने जाओ तो ससुराल वालों को पैसे देने पड़ते हैं , अगर ना दे तो लड़की के मां-बाप के बारे में न जाने क्या - क्या बातें बनाई जाती हैं । एक मां ने कहा कि बेटी शादी से पहले नहीं शादी के बाद बोझ बन जाती हैं शादी से पहले तो सिर्फ उसकी जरूरतों को पूरा किया जाता कि ओर रही बात शिक्षित की तो सरकारी विद्यालय में पढ़ा कर पूरा कर दिया जाता है परन्तु शादी के बाद आए दिन इतने खर्चे होते ही रहते हैं की हिसाब लगा पाना मुश्किल है । जानती हूँ यह अभी से नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों से चलता आ रहा है लेकिन उस समय कुछ खास कार्यक्रम पर ही ऐसा होता था ओर दहेज के नाम पर सिर्फ पाँच बर्तन । परन्तु वर्तमान में दिखावें के चक्कर में बहुत ज्यादा हो गया जिनके एक या दो बेटी उनको तो कुछ खास एहसास नही लेकिन जिनके पाँच - छ बेटिया है सोचो उन माँ - बाप का क्या हाल होता होगा । हम इन रीति -रिवाज़ो को बंद तो नहीं कर सकते पर पहले की तरह कम तो कर ही सकते हैं ।अगर आप मेरी बात से सहमत हो तो कृपया एक बार गोर जरूर कीजिएगा ।


धन्यवाद !!