...

68 views

श्रध्दा... आख़िर तुम बच आई थीं ना फिर दुबारा क्यों चली गई...?? क्या नियति ले गई...??
श्रद्धा... नाम में ही छिपा है विश्वास..
रही भी होगी वैसी...
जल्द विश्वास कर लेती होगी सब पर..
समाज की गणित को १ और १ दो समझ ही आकलन करने वाली...
पर समाज में तो कभी १ और १ दो हुआ ही नहीं,
यहां तो पग पग पर रंग बदलती दुनिया है...
हर वक्त कहीं कोई न कोई शिकारी शिकार को आतुर है.. बहेलिए की तरह जाल बिछाए बैठा है.. लूटने को...
कोई धन दौलत को तो कोई जिस्म को... नोचने लूटने बैठा है...
कोई और बेरहम होता है वो लूटता भी है और कत्ल भी कर देता है सबूत मिटाने के लिए..
और कोई तो इंसानी जिस्म में राक्षस पैदा होता है.. नोच डालता है टुकड़े टुकड़े कर देता है दूसरे इंसान का..
वो तो लड़की थी जिससे वो अपनी हवस पूरी करता था...
ले आया था जिसे वो बहला फुसला कर उसे उसके मां बाप के इक्ष्छा के विरुद्ध और विडंबना देखो वो भी प्रेम में अंधी हो छोड़ आई थी पिता का घर.. तोड़ आई थी मां बाप का विस्वास...
बोल आई थी २५ की होगई हूं समझदार हूं अपना अच्छा बुरा समझती हूं...अपने भविष्य का निर्णय खुद कर सकती हूं मेरे जीवन में हस्ताछेप ना करें...
श्रद्धा के पिता के fir में जिक्र है इसका.. लाचार बाप क्या करता.. किंकर्तव्यविमूढ़ देखता रह गया.. शायद बहुत कोसा हो उस दिन मां बाप की आत्मा ने उसे...
फिर भी फ़िक्र थी उसे अपनी बच्ची की वो ले आया था बचा उसे अपने घर पर नियति को कुछ और ही मंज़ूर था..
फिर चली गई वो उस दरिंदे साथ और फिर कभी ना आई.. आई तो ये खबर की उसके प्रेमी ने उसका कत्ल कर ३५ टुकड़े कर दिए.. क्यों की वो अधिकार चाहती थी अपने प्रेम पर... कितना बेरहम था.. वो लड़का जो जिस्म खोर था... सोचिए क्या मानसिकता ले वो रहता होगा श्रद्धा के साथ की कत्ल कर टुकड़े कर लेने बाद, उन टुकड़ों को फ्रिज में रख दुसरी लड़कियों को ला पूरी करता था अपनी हवस..
कहना शायद उचित होगा की लड़कियों को विवाह के लिए मां बाप के निर्णयों का सम्मान करना चाहिए.. या प्रेम विवाह भी मां बाप को विश्वास में ले करे...
ये लिव इन... भारत के लिए नही है... विदेशों की संस्कृति अपनाने चले है तो अपराध भी उतने ही विभत्स होंगे ही....
काश श्रध्दा का हाल देख कुछ चेतना समाज में आ पाए.....


© दी कु पा