...

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फिर यूँ न दरके घरोंदा कोई ..
आज तो संडे है फिर कहाँ जा रहे हैं आप मधु ने अपने पति महीप को तैयार होते देखकर पूछा ।
यों तो वक्त मिलता नहीं मित्रों से मिलने का सोचा आज थोड़ी
तफरीह कर आऊँ ।
हाँ हाँ ठीक है पर समय से घर आ जाना ?
मगर क्यूँ ?
भाई सा की सुधा का दस्त्तूर का कार्यक्रम है वहाँ चलना है
अच्छा ,पर ये बताओ इतना जल्दी ये सब कुछ कैसे तय हो गया भाई हमें तो कुछ पता ही नहीं चला ।
(तय समय से पूर्व ही हम वहॉं पहुँच गये । माताजी ,बड़े भाई सा. तकरीबन पूरा परिवार ही वहाँ जमा था ,पता चला कि
हमारे रिश्ते में ही रिश्ता तय हुआ है ,
लड़का प्रायवेट जॉब करता है कोई)
मैंने सोचा (सोच ही सकते है कोई प्रश्न प्रति प्रश्न नहीं किया
क्यूंकि परिवार का मामला है संबंध का मामला है कहीं कोई बात मुँह से निकल जाए सो चुपचाप सोचता रहा )
लड़की शिक्षिका है सुशील है अच्छा कमाती है ,
हो सकता है लड़के के माँ बाप पैसे वाले हो ,खेती बाड़ी...