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फिर यूँ न दरके घरोंदा कोई ..
आज तो संडे है फिर कहाँ जा रहे हैं आप मधु ने अपने पति महीप को तैयार होते देखकर पूछा ।
यों तो वक्त मिलता नहीं मित्रों से मिलने का सोचा आज थोड़ी
तफरीह कर आऊँ ।
हाँ हाँ ठीक है पर समय से घर आ जाना ?
मगर क्यूँ ?
भाई सा की सुधा का दस्त्तूर का कार्यक्रम है वहाँ चलना है
अच्छा ,पर ये बताओ इतना जल्दी ये सब कुछ कैसे तय हो गया भाई हमें तो कुछ पता ही नहीं चला ।
(तय समय से पूर्व ही हम वहॉं पहुँच गये । माताजी ,बड़े भाई सा. तकरीबन पूरा परिवार ही वहाँ जमा था ,पता चला कि
हमारे रिश्ते में ही रिश्ता तय हुआ है ,
लड़का प्रायवेट जॉब करता है कोई)
मैंने सोचा (सोच ही सकते है कोई प्रश्न प्रति प्रश्न नहीं किया
क्यूंकि परिवार का मामला है संबंध का मामला है कहीं कोई बात मुँह से निकल जाए सो चुपचाप सोचता रहा )
लड़की शिक्षिका है सुशील है अच्छा कमाती है ,
हो सकता है लड़के के माँ बाप पैसे वाले हो ,खेती बाड़ी की अतिरिक्त आय वाले हो लड़के के पिता पेंशनर थे ,माता घरेलू महिला थी )

आखिर दस्तूर की रस्म अदायगी के बाद ,भोजन करके हम
घर चले आए ।
छह महीने बाद विवाह का मुहूर्त निकला था ,विवाह भी
धूमधाम से सम्पन्न हो गया ।सब राजी खुशी चलने लगा ।

लड़की कामकाजी है बाहर पीहर में रहकर नौकरी कर रही है अप डाउन करना संभव नहीं है , नई नई जॉब थी सो ट्रांसफर भी संभव नहीं था ।जैसे तैसे करके एडजस्ट हो रहा था । सुधा ने उसके पति सुदेश को एक गाड़ी भी लोन लेकर
दिलवा दी थी ।सुधा अब खुश थी ,गृहस्थी पटरी पर चलने लगी थी ,वह माँ बनने वाली थी ।
इसी बीच उसके भाई का विवाह भी आ गया ।बारात में वह
भी अपने पति के साथ आई थी ।
मंच का कार्यक्रम चल रहा था ! उसके पाँव में मंच पर चढ़ते समय साड़ी का पल्लू आने से वह गिर गई उसका पाँव मुड़ गया था उसे तुरन्त अस्पताल ले जाया गया ।
...लेकिन इस मुसीबत के समय उसका पति जिसे उसके साथ होना चाहिए था वह वहाँ से अपनी बहिन को साथ लेकर चला जाता है ,
कई प्रश्न उपस्थित होते हैं लेकिन वह नहीं लौटा ,बाद में उसकी पुत्री के जन्म के समय भी नदारद था ।
...आखिर क्या वजह रही होगी उसने ऐसा क्यों किया ।
लड़की सुधा ने बताया कि वह अक्सर मुझसे नौकरी की शुरुआत से आज तक के पैसों का हिसाब माँगता था ।
मैंने कहा था कि आप मुझसे हिसाब ले सकते हैं मैं आपको
पाई पाई का हिसाब देने को तैयार हूँ पर शादी के बाद से ।
आप सोचते है कि मैंने शादी के पहले के पैसे कहाँ खर्च किए मैंने अपनी एजुकेशन पर खर्च किया है ख़ुद पर खर्च किया है
बताइये आपको और कुछ पूछना है ।शायद यही बात हो जो
चुभ गई हो या टीस हो कोई जो कह नहीं पाया हो परिवार भी अव्यक्त भावों को ।
रिश्ते प्रेम और विश्वास की खाद पाकर ही पल्लवित पुष्पित होते हैं काश यह सार विवाह पूर्व युगल सीख जाते खैर यह हो न सका ,और आज यह रिश्ता टूटने की कगार पर है ,

आखिर क्यूं ,क्यूं टूटते हैं रिश्ते ?
स्वार्थ के कारण ,वैचारिक मेल न होने के कारण , अच्छी तरह छानबीन न करने के कारण , अन्य लोगों के अत्यधिक दखल देने के कारण ,बेरोजगार व्यक्ति,बेमेल व्यक्ति से विवाह के कारण ,आधुनिक और पुरातन के टकराव के कारण आखिर क्यूँ ।

कारण चाहे जो हो उसका समाधान बैठकर तय होना चाहिए
यही अंजाम होना है तो उस पथ बढ़ा ही क्यों जाए । जो मध्यस्थ है उनकी भूमिका तो महत्वपूर्ण है ही परिवार ,समाज ,वधू वर को भी भली भाँति विचारना होगा ।
फ़कत पत्रिका मिलान ही काफी नहीं हर पक्ष,हर पहलू पर
विचार होना चाहिए ताकि कोई विवाह विच्छेद ,विघटन ,विरह का दर्द न भोगे सुधा कोई और नहीं
किसी मासूम निर्दोष को माता पिता के प्यार से वंचित न होना पड़े । ए ! काश , फिर यूँ न दरके घरोंदा कोई ।
©MaheshKumar Sharma
2/1/2023
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