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सफ़र या Suffer
सड़क पर खड़े होकर लोग खूब तू –तू मैं –मैं कर रहे थे। एक गाड़ी में डेंट लगा हुआ था , तो समझ आ गया क्या हुआ होगा । कोई अपनी गलती मानने को तैयार न था। दिन भर के सफ़र से पहले ही थकान हो रही थी और अब कैब के अंदर बैठे–बैठे मन खिन्न हो रहा था। ट्रैफिक जाम सी हालत हो गई थी।

अंधेरा हो आया था मुझे लग रहा था कब घर पहुँचना हो। भारी ट्रैफिक की वजह से पहले ही देर हो चुकी थी। शायद मेरी मनोस्थिति भाँपकर ड्राइवर बोला ,“ये तो यहाँ रोज़ का ही है जी , लोग अपनी गलती नहीं मानते , सबका समय बर्बाद हो रहा। आगे भी जाने क्या –क्या बोल रहा था लेकिन थकान से ये हालत थी कि हम्मsss के अलावा मुँह से कोई शब्द नहीं निकला। उसकी बातें सुनकर लगा, सच में इन लोगों के लिए कितना मुश्किल है सड़कों पर रोज़ इस तरह के तमाशे देखना।
ये सब चल ही रहा था थोड़ी आगे निकलकर ड्राइवर बोला ," पाँच मिनट लगेंगे मैं सी एन जी भरवा लेता हूँ, नहीं तो सुबह बहुत देर हो जाती है।"दिल तो किया बोल दूँ "पहले से देर हो चुकी है, रही सही कसर आप पूरी कर लो" फिर लगा, जहाँ इतनी देर हो चुकी है पाँच मिनट में क्या फर्क पड़ जायेगा ।
मैंने हामी भर दी तो उसने गाड़ी सर्विस स्टेशन के अंदर ले ली। सी एन जी भी भर गई, अब पेमेंट देने को हुए जनाब तो अटेंडेंट ने कहा आपकी कार्ड पेमेंट डिक्लाइन हो रही है। उसने तीन बार कोशिश की , हर बार वही हालत । तो उसने ड्राइवर से रिक्वेस्ट की “हो नहीं रही पेमेंट देख लीजिए या तो आप कैश ही दे दें” ड्राइवर थोड़ा तैश में बोला , "इदां किदां नहीं हो रही हैगी , बैंक च पैसे ता पएं हुए हं ” उसकी ऊँची आवाज़ सुनकर मैंने ड्राइवर की तरफ देखा , चल क्या रहा है ....अटेंडेंट ने फिर कोशिश की । इतनी देर में दिमाग में दो तरह के ख्याल आए पहला तो ये कि कैश है तो दे दो और निपटाओ, देर हो रही है मुझे। दूसरा ख्याल आया पता नहीं सुबह से इसको सवारी भी मिली या नहीं, इसके पास कैश होगा भी या नहीं या क्या पता उसके अकाउंट में भी हैं या नहीं। तो हम ही दे देते हैं।
अंधेरा हो चुका था और मुझे वापिस घर पहुँचने की जल्दी हो रही थी। इतने में देखा, ड्राइवर के फोन पर मैसेज आया , अंधेरा होने के कारण मुझे पिछली सीट से मैसेज साफ़ साफ़ दिख गया। उसके अकाउंट में उतना बैलेंस था ही नहीं। फिर लगा अब तो ये कैश दे ही देगा।
लेकिन ड्राइवर ने जो कहा उसको सुनकर बहुत हैरानी हुई, कभी ड्राइवर की तरफ , कभी उसके मोबाइल में आए मैसेज की तरफ और कभी उस बेचारे अटेंडेंट की तरफ देख मुझे अजीब लग रहा था । ड्राइवर बोला, “देखिए मैंने बैलेंस चैक किया , काफ़ी बैलेंस बचा है। अटेंडेंट दो बार फिर से कोशिश करता है और मजबूर हो ड्राइवर की तरफ देखता है.... अब तो मुझे ये किसी फिल्म के सीन जैसा लग रहा था। एक मन किया की चिल्ला के बोलूँ कि ये नौटंकी कर रहा है , दूसरा मन किया , रुक जा! ज़रा इसकी हद तो देखी जाए ।
ड्राइवर ने बड़े कड़क शब्दों में कहा ," आपकी मशीन खराब हो गई है , पहले भी मेरे साथ ऐसा हो चुका है , ठीक करवाइए इसे। लाइए मेरा कार्ड, दूसरे कार्ड से करता हूँ पेमेंट।"
दूसरे कार्ड से एकदम पेमेंट हो गई। अटेंडेंट के जान में जान आई और ड्राइवर के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान...
सर्विस स्टेशन के बाहर निकलते हुए ड्राइवर बोला , देखा जी ! ये हाल हैं दुनिया के, हमेशा ऐसा करते हैं , हमारे तो पैसेंजर्स का वक़्त खराब होता है इससे। मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या कहूँ....

© संवेदना
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