सफ़र या Suffer
सड़क पर खड़े होकर लोग खूब तू –तू मैं –मैं कर रहे थे। एक गाड़ी में डेंट लगा हुआ था , तो समझ आ गया क्या हुआ होगा । कोई अपनी गलती मानने को तैयार न था। दिन भर के सफ़र से पहले ही थकान हो रही थी और अब कैब के अंदर बैठे–बैठे मन खिन्न हो रहा था। ट्रैफिक जाम सी हालत हो गई थी।
अंधेरा हो आया था मुझे लग रहा था कब घर पहुँचना हो। भारी ट्रैफिक की वजह से पहले ही देर हो चुकी थी। शायद मेरी मनोस्थिति भाँपकर ड्राइवर बोला ,“ये तो यहाँ रोज़ का ही है जी , लोग अपनी गलती नहीं मानते , सबका समय बर्बाद हो रहा। आगे भी जाने क्या –क्या बोल रहा था लेकिन थकान से ये हालत थी कि हम्मsss के अलावा मुँह से कोई शब्द नहीं निकला। उसकी बातें सुनकर लगा, सच में इन लोगों के लिए कितना मुश्किल है सड़कों पर रोज़ इस तरह के तमाशे देखना।
ये सब चल ही रहा था...
अंधेरा हो आया था मुझे लग रहा था कब घर पहुँचना हो। भारी ट्रैफिक की वजह से पहले ही देर हो चुकी थी। शायद मेरी मनोस्थिति भाँपकर ड्राइवर बोला ,“ये तो यहाँ रोज़ का ही है जी , लोग अपनी गलती नहीं मानते , सबका समय बर्बाद हो रहा। आगे भी जाने क्या –क्या बोल रहा था लेकिन थकान से ये हालत थी कि हम्मsss के अलावा मुँह से कोई शब्द नहीं निकला। उसकी बातें सुनकर लगा, सच में इन लोगों के लिए कितना मुश्किल है सड़कों पर रोज़ इस तरह के तमाशे देखना।
ये सब चल ही रहा था...