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बिती बातें
बचपन कि निर्दोष नज़रों में रिश्ते कितने सुहाने होते हैं काम क्रोध लोभ मोह कुछ नहीं रहता और इक बिंदास नदी की तरह जिंदगी सरसराती बहती चली जाती है, होती है तो सांसों में मधुरता चाल में
दृढ़ता गोया कि कोई ज्ञानी अपनी लक्ष्य को छुने चला जाता हो हमेशा एक शुभ्रता एक सुंदरतम रूप का घेरा सा वजूद के चारों तरफ बांधते चल रहा हो जैसे । खेल कहानियां पढ़ने लिखने की फिक्र छोटे मोटे गृह कार्य और मां के आंचल में छुपकर ली गई एक मीठी सी नींद
सीखने के बहुत से अवसर जो आगे चलकर धन प्राप्ति के कारण बनते हैं जब कि बुनियाद सही पड़ जाये और विकसित होते हुए शरीर और मन की दशाओं को देखना समझना उसके व्यवहार
के परिणाम देखना और अपनी सोच को एक निश्चय के अधीन कर उसके अनुरूप निर्णय लेना शुरू कर देना यही सब तो बचपन और उसकी यादें होती...