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बस इतना सा साथ 59
नेहा मनीष का मैसेज देखती है। और अपने आप से कहती है-
नेहा- अरे यार , आंटी जी तो वैसे ही सांस की
तरह ही बात कर रही थी । अब कहीं और
ना उखड़ जाए। ( सोचते हुए नंबर भेज देती हैं। )
( उधर नेहा के घर पर नेहा की मम्मी नेहा के पापा से फोन पर बात कर रही होती हैं। )
नेहा की मम्मी - बताओ फिर , अगर वो सगाई के
लिए कहें तो क्या कहना है।
नेहा के पापा - जो तुम्हें ठीक लगे ।
नेहा की मम्मी - अभी आप ये मत करो, आपको
क्या सही लगता है ये बताओ ।
नेहा के पापा - सच बोलूँ तो, अभी कोई लड़का
मिल गया तो भी मैं ज्योति के रिश्ते की नहीं
सोच रहा। अभी जो उसने अपने मन में गांठें
बना रखी हैं उससे कहीं हमें ही ना पछताना
पड़े । दो चार दिन की बात थोड़ी है , पूरी
जिंदगी की बात है सिर्फ ज्योति की नहीं
रिश्ते से जुड़े और लोगों की भी । और फिर
क्या पता जो शादी को लेकर गलत सोच
उसने शिखा के रिश्ते से बनाई है वो नेहा
की खुशहाल जिंदगी देख बदल जाए ।
नेहा की मम्मी - मैं भी यही सोच रही थी, ज्योति
का रोज का बदलता व्यवहार पुराने रिश्तों
को ही बिगाड़ रहा है, तो नए कैसे बनाएगा।
नेहा के पापा - हम्म , ख़र्चे का क्या है । अपने
नसीब में जो जितना लिखवा के आया है
उससे ज्यादा तो पाएगा नहीं। नेहा के लिए
कभी सोचा नहीं पर ये रिश्ता उसके नसीब
में था , तो बिना कुछ बात करे ही सब बात
बनती रही ऐसे ही ज्योति ने जिसका पल्ला
थाम रखा होगा वो आ जाएगा उसकी
जिंदगी में।
नेहा की मम्मी- शायद आप ठीक ही कह रहे हो,
वक़्त से पहले और जरूरत से ज्यादा कभी
किसी को कुछ नहीं मिला है । ठीक है फिर
मैं उन्हें कह दूँगी अपने से तारीख वगैरह
देख कर हमें बता दें।
नेहा के पापा- तारीख ऐसे ही नहीं पक्की कर
देना । बच्चों के पेपर चल रहे हैं, उससे पूछ
लेना ।
नेहा की मम्मी - हाँ, सही कहा वरना अंगूठी की
जगह बच्चों के डाऊट ले कर खड़ी होगी ये
लड़की ।
( और दोनों हँसते हैं। )
( उधर मनीष की मम्मी मनीष से कहती हैं। )
मनीष की मम्मी - कैसी लड़की है कितनी बार
बोला था , नंबर भेज देना पर अभी तक
उसने भेजा ही नहीं।
मनीष - होगी कहीं बिजी , ( कहते हुए फोन उठाता है और कहता है। ) मैं मैसेज कर देता हूँ।
( मनीष की मम्मी , मनीष के हाथ से फोन लेते हुए। )
मनीष की मम्मी- रहने दे , उन्हें लगेगा हम ज्यादा
जल्दी कर रहे हैं रिश्ते के लिए।
मनीष- नहीं लगेगा , नेहा ने नंबर भेज दिया था ।
मैंने ही फोन नहीं देखा ।
मनीष की मम्मी - तो अब तो देख लिया , अब तो
मिला दे । वही मैं सोचूँ लड़की तो सीधी
लगती है, मेरी बात को अनसुना कर दे
ऐसी तो नहीं।
मनीष- ( अपने मन में ) अनसुना तो नहीं, पर
भूल जरूर जाती हैं । ( और फोन मिला मम्मी को फोन देता है , और नेहा को मैसेज करता है । )
मनीष- इतनी जल्दी नंबर क्यूँ भेजा ।
दो - तीन घंटे बाद भेजते, मम्मी का गुस्सा
थोड़ा और बढ़ने देते ।
( नेहा मैसेज देखती है और उसके मन में पहला विचार आता है। )
नेहा - हद है यार, भेज तो दिया नंबर आधे घंटे
लेट हो गया तो क्या सबको पता है पढ़ा
रही हूँ। ( फिर भी मनीष को सॉरी मैसेज कर देती है। )
नेहा - ( मैसेज करती है। ) सॉरी ।
मनीष - बस सॉरी, मम्मी तो बहुत ज्यादा गुस्सा
हैं।
नेहा - सॉरी , कह दो उन्हें। आगे से ध्यान रखूँगी।
( और फोन साइड में रख देती है। )
मनीष - वो सांस है तुम्हारी , उनको अभी से
नाराज करने लगी । उनकी बातों का
अभी से कोई मान नहीं।
( नेहा पढ़ा रही होती है, फोन भी साइलेंट पर रखा होता है और अब तो जान बूझकर नहीं देखती है। )
( उधर मनीष की मम्मी और नेहा की मम्मी फोन पर लगी होती हैं। )
नेहा की मम्मी - नमस्ते समधन जी ।
मनीष की मम्मी - राम- राम चौधरन । क्या बात
है आप तो हमें याद करते ही नहीं।
नेहा की मम्मी - नहीं- नहीं जी , ऐसी बात नहीं है।
आपका नंबर भी नहीं था , और फिर दिन
भी यूँ भाग - भाग के निकल जाता है पता
ही नहीं चलता ।
मनीष की मम्मी - कुछ भी कहो , कुछ करना हो
तो वक़्त निकल ही जाता है। चलो छोड़ो
इस बात को मैंने तो वो सगाई के लिए
फोन किया था ।
नेहा की मम्मी- हाँ जी, बताया था नेहा के पापा
ने । हम भी यही सोच रहे थे कि सगाई करा
देते हैं अभी शादी थोड़ा रुक कर करा लेंगे
तब तक शायद ज्योति की भी जोड़ी जम
जाए ।
मनीष की मम्मी - बस यही हम कह रहे थे ।
नेहा की मम्मी - आपको आज फोन करने ही
वाले थे नेहा के पापा ।
मनीष की मम्मी - वो तो आप लोग रहने ही
दीजिए। ना आप लोग बात करते हैं , ना
नेहा को कोई फ़ुरसत है ।
नेहा की मम्मी - नहीं- नहीं, ऐसी बात नहीं है ।
आप नाराज मत होइए। नेहा का तो
आपको पता है दिन भर बच्चों में लगी
रहती है। आपको क्या फोन करेगी ,वो तो
हमारा फोन ही एक बार में नहीं उठाती ।
मनीष की मम्मी - ऐसा भी क्या काम , जो चार
मिनट की फ़ुरसत नहीं।
नेहा की मम्मी - ये बात तो आपको पहले ही
बताई थी। लड़की काम करेगी , और काम
करेगी तो फ़ुरसत भी कम होगी और आप
ये सोचो की कल को लड़की आपके साथ
आकर बैठे , पूरे दिन आप से गप्पे लडाए
तो आप अब भी सोच सकते हो। बाकी
इतना जरूर कहूँगी जब वो घर होगी तो वो
पूरी घर ही होगी । ना मेरे बच्चों को फोन
की आदत है ना हमें।
मनीष की मम्मी - नहीं चौधरन , आप तो बुरा
मान गए। मैं तो बस यूँ ही कह रही थी ।
अब थोड़ी बहुत हँसी - ठिठोली चलती ही
रहती हैं।
( मनीष सुन रहा होता है , मम्मी की तरफ देखता है और आँखें उचका कर पूछता है क्या हुआ। पर मम्मी उसे इशारे में कहती हैं, कुछ नहीं। मनीष मैसेज देखता है और सोचता है नेहा ने भी अब तक कोई ज़वाब नहीं आया । )
नेहा की मम्मी - वैसे तो मुझे हँसी ठिठोली जैसा
लगा नहीं कुछ , पर आप कहती हैं तो मान
लेती हूँ। पर आपको ये बात समझनी होगी
कि बच्चे काम पर जाएंगे तो ये फोन नहीं
किया , याद नहीं किया ये सब बातें सही
नहीं लगती ।
मनीष की मम्मी - ऐसी कोई बात नहीं है , आप
तो बात पकड़ कर ही बैठ गए । सगाई का
बताओ फिर क्या करना है।
नेहा की मम्मी - वो हम तारीख देख कर बताते हैं
आपको। बाकी आप बता देना कितने
लोग आएंगे , क्या मान- तान है आपकी
तरफ से हमसे जितना बन पाएगा हम
करेंगे ।
मनीष की मम्मी- तारीख तो देखो मैंने आज
अपने यहाँ पंडित से निकलवा ली ,
आपको ठीक लगे तो आप बता दीजिएगा।
नेहा की मम्मी - बड़ी जल्दी निकलवा ली आपने।
मनीष की मम्मी - जल्दी तो क्या है , शुभ काम में
कैसी देरी । वो आज मंदिर में पाठ था , तो
बस पाठ के बाद एक पड़ोसन है वो अपने
बच्चों की कुंडली दिखा रही थी तो मैंने भी
पूछ ली तारीख। आप अपने से भी दिखवा
सकते हो।
नेहा की मम्मी - हाँ जी ।
मनीष की मम्मी - आप लगता है अभी भी उसी
बात को दिल से लगा कर बैठे हो । अब
इसे आप जल्दबाजी कहो या जल्दी बेटी
को अपने घर लाने की उत्सुकता। पर जी
मेरा तो मन करता है आज ही नेहा को घर
ले आऊँ। मीनू की शादी को तो आपको
पता है कितने साल हो गए । घर की
रौनक तो ल़डकियों से ही होती है। मुझे
तो ऐसा लगता है मैं मीनू को ही वापिस
ला रही हूँ घर इसलिए ऐसा बोल दिया ।
बाकी आपको गलत लगा हो तो मैं माफी
मांगती हूँ।
नेहा की मम्मी - नहीं- नहीं जी , माफ़ी वाली कोई
बात नहीं । आपने कह दिया ऐसा कुछ
नहीं , वही बहुत है । बाकी तारीख ...
मनीष की मम्मी - तारीख की तो आप पूछो ही
मत । बड़ा शुभ दिन बताया है पंडित जी
ने । नवरात्रों की नवमी को सगाई का शुभ
मुहूर्त बताया है । बताओ लोग कन्या
पूजन करते हैं इस दिन और हमें तो घर की
लक्ष्मी के पूजन का अवसर मिला है।
नेहा की मम्मी - दिन तो बहुत अच्छा, पर मैं
आपको इनके पापा से बात करके बताती
हूँ।
मनीष की मम्मी - क्यूँ नहीं , थोड़ा जल्दी कोशिश
करना । दिन कम नहीं तो ज्यादा भी नहीं
हैं। मैं आज ही शॉपिंग शुरू कर दूँगी।
आज मनीष की छुट्टी भी है ना थोड़ा इसकी
भी पसंद का हो जाएगा।
नेहा की मम्मी - हाँ जी , वो भी जरूरी है।
मनीष की मम्मी - तो फिर इंतजार रहेगा आपके
ज़वाब का । नमस्ते
नेहा की मम्मी - नमस्ते ।
( नेहा की मम्मी फोन रखती हैं और अपने आप से कहती हैं। )
नेहा की मम्मी - समझ नहीं आता इनका , कभी
सांस बन जाती हैं तो कभी माँ सा दुलार
दिखाती है । बातों में ही उलझा देती हैं ।
( मनीष नेहा को कॉल करता है , नेहा काट देती है और मैसेज करती है पाँच मिनट बाद कॉल करती हूँ। और बच्चों को कम दे भेजने लगती है । )
( नेहा की मम्मी शीला आंटी को बताती है। )
शीला आंटी - बताया था ना तुझे , वो बड़बोली
है । बोल जाती है ।
नेहा की मम्मी - तुझे सुनना चाहिए था । ऐसे
सांस का रौब था उसकी आवाज़ में और
फिर थोड़ी देर बाद ऐसी मिठास जो शायद
मुझे भी पीछे छोड़ दे ।
( शीला आंटी हँसने लगती हैं । )
अब हँस क्यूँ रही है ।
शीला आंटी - तो क्या करूँ , तू तो ऐसे डर रही है
जैसे तेरी सांस हो ।
नेहा की मम्मी - मेरी नहीं तो क्या , मेरी लड़की
की तो है । और सांस माँ ना बन सके तो भी
चल जाता है पर अगर सांस ही बनी रहे तो
जीना मुश्किल हो जाता है ।
शीला आंटी - अब तू ज्यादा सोच रही है। रत्न
भाई साहब ने कहा है ना उसके बोलने पर
ध्यान ना दिया करो अपने आप समझा देंगे
वो ।
नेहा की मम्मी - तू बता देना भाई साहब को ।
शीला आंटी - तू ना टेंशन ले , मैं मिल कर
आऊँगी ठेठ उनसे । और बता फिर क्या
तारीख बताई।
( और दोनों सगाई की बात करने लगते हैं। )
(नेहा मनीष को फोन करती है ।)
मनीष - निकल गए इंस्टिट्यूट से ।
नेहा - हाँ बस ताला लगा रही हूँ।
मनीष - क्या यार तुमने तो मम्मी को पहले दिन
ही नाराज कर दिया । एक छोटी सी बात
बोली उन्होंने और तुम वो भी भूल गए।
तुम्हें पता है तब से मुझे यही कह रही हैं.....
नेहा- आंटी को सॉरी बोल देना मेरी तरफ से और
नहीं माने तो बता देना मैं बोल दूँगी।
( नेहा की आवाज से मनीष को समझ आ जाता है कि नेहा सीरियस है। )
मनीष - अरे नहीं सॉरी की जरूरत नहीं है । वो मैं
मज़ाक कर रहा था ।
नेहा - नहीं मुझे सॉरी बोलने में कोई दिक्कत नहीं
है, एक बार नहीं दस बार भी बोल दूँगी ।
बड़ी हैं वो मेरी माँ की तरह हैं वो इसलिए
आज क्या आगे भी अगर कभी भी किसी भी
बात का बुरा लगा उन्हें, तो मैं माफ़ी मांग
लूँगी । पर अगर ये आपकी सोच है तो मुझे
माफ़ कीजिए पर मैं उस तरह की लड़की
नहीं हूँ।
( मनीष कुछ कहने लगता है, पर नेहा कहती है। ) एक मिनट मेरी बात सुन लीजिए। हाँ , नए
रिश्ते बनेंगे नई पहचान बनेगी पर मैं अपनी
पुरानी पहचान छोड़ दूँ ये उम्मीद मत
करना मुझसे। किस वक़्त क्या ज़रूरी है
ये मुझे भी पता है । ऐसे भी कई मौके
आएंगे जब हर बात से पहले मैं आप लोगों
की , आपकी , आपके मम्मी- पापा की
बात को आगे रखूँगी। पर हर वक़्त ऐसा ही
हो ये जरूरी नहीं और आप भी ऑफिस
जाते हो इतना तो आपको भी पता होना
चाहिए अगर नंबर आधे घंटे लेट भेजा तो
इतनी भी बड़ी बात नहीं हुई।
मनीष - बस करो, मैं तो मज़ाक कर रहा था ।
तुम तो सीरियस हो गए। हाँ मम्मी ने एक
दो बार बोला था कुछ पर वो तो उनकी
आदत है तुम्हें पता है ।
नेहा - हम्म , चलो मैं रखती घर पहुँच गई हूँ।
मनीष - इतनी जल्दी ।
नेहा - फोटो भेजूं ।
मनीष - नहीं , मुझे लगा गुस्सा हो गए इसलिए
काट रहे हो फोन ।
नेहा - गुस्सा होंगी तो सीधा ब्लॉक कर दूँगी
नंबर ,फोन काटने की नौबत ही नहीं
आएगी।
मनीष - अच्छा जी ।
नेहा - हाँ जी ।
मनीष - देखते हैं।
नेहा - मतलब आप ऐसा कुछ कर सकते हैं।
मनीष - अरे नहीं यार । छोड़ो अभी रखते हैं
फोन। बाद में आराम से बात करते हैं।
नेहा - ok bye ।
मनीष - bye ।
( फोन रख दोनों एक दूसरे की बातों को याद करते हैं और सोचते हैं उसी बारे में। )


© nehaa