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mistake in love part-4
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा रोहन खीर खाने के बाद अलीशा के कमरे में चला जाता है।

अब आगे......

रोहन अलीशा के कमरे में पहुँचकर अलीशा को एक टक देखे जा रहा था , फिर उसने रूम का दरवाजा लगा दिया।
इधर अलीशा ने रोहन को देखा फिर सोचा "शायद रोहन जी को मुझसे अकेले में कुछ बात करनी होगी इसलिए यहां आए हैं"।

ऐसा सोच कर उसने रूम की खिड़की के बाहर अपनी नजरे टिकाये चाँद को देखने लगी , चाँद आज पूरा गोल था जो बहुत खूबसूरत लग रहा था चाँद की रोशनी अलीशा के ऊपर पढ़ रही थी जिससे अलीशा की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रही थी और उसके कपड़ो पर लगी मोतिया बहुत ही चमक रही थी और अलीशा के बदन से मन को मोह लेने वाली खुशबु रोहन को बहका रहे थे।

रोहन अलीशा की ओर बढ़ने लगा रोहन को बिल्कुल भी सुध नही थी कि वो क्या करने जा रहा था या क्या कर रहा था।
अब रोहन अलीशा के काफी नजदीक चला गया अलीशा को जरा भी अंदाजा नही हुआ कि उसके इतने करीब रोहन आ जायेगा।

फिर अलीशा को एहसास हुआ ही नही और रोहन ने उसके कमर को जोर से दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा अलीशा को कुछ समझ ही नही आया और उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई। अब रोहन ने उसे अपने तरफ घुमा कर उसके होठो पर अपने होठ रख दिये।

रोहन की इस हरकत से अलीशा हैरान हो गई और रोहन को खुद से थोड़ा दूर धक्का दे दिया और लड़खड़ाटी जुबान से कहा - "रो.. रो.. रोहन जी ये, ये आप क्या कर रहे हो।"

रोहन उसके करीब आया और उसके मुँह पे अपनी उंगली रखते हुए कहा - "शशशशश......."

अलीशा अब कुछ बोल नही पाई अब रोहन ने अपनी शर्ट की बटन खोलते हुए अलीशा की तरफ अपनी नशीली आखो से बस देखे जा रहा था ।

इधर अलीशा रोहन की ऐसी हरकत देख उसे घबराहट होने लगी थी उसका बहुत बुरा हाल होते जा रहा था, उसने अपने हाथों से चहरे को छुपा लिया अलीशा की दिल की धड़कनें इतनी तेज हो गई कि उसकी आवाज बाहर तक सुनाई देने लगी अलीशा खुद में ही बड़बड़ाई - "व्हाट द हेल, रोहन जी अब क्या करने की कोशिश कर रहे है, ये अचानक से इतना रोमैंटिक कैसे हो गये, क्या करूँ? क्या करू मैं?मैं ही यहां से चली जाती हूं।"
इतना सोच कर वो जाने को हुई कि तभी रोहन ने उसका हाथ पकड़ लिया  ।

रोहन ने अपनी शर्ट बेड पर फेंक दी और उसने अलीशा का हाथ पकड़ कर खुद की तरफ खिंचा, जिससे अलीशा उसके खुले बदन से जा टकराई ।

रोहन की बॉडी बिल्कुल परफेक्ट सेफ में थी उसका गोरा बदन जिस पर सिक्स पैक ऐप्स थे जिसे देख कोई भी लड़की अपना आपा खो बैठती।

अलीशा अब रोहन की नशीली आखो में खो सी गई, रोहन ने फिर से अलीशा के होठो को चूमने लगा।
अब अलीशा के भी बदन में आग सी लग गई ,अब उसे रोहन की प्यार की जरूरत थी वो सब कुछ भूल गई और खुद को रोहन को सौप दिया और उसकी बाहों में खुद को महफूज समझने लगी। वो उसके प्यार में खोती गई बस खोती गई और रोहन का साथ देती गई।

अब रोहन ने अलीशा को अपनी गोद मे उठाकर बेड पर लेटा दिया और अलीशा कुछ नही कर पाई क्योंकि वो तो उसमें खो गई थी। फिर रोहन उसके पूरे बदन को चूमता गया अलीशा ने अब अपनी आँखें बंद कर ली।

रोहन क्या और क्यु कर रहा था उसे पता ही नही था। रोहन और अलीशा अब दो जिस्म एक जान बन गए थे ऐसा लग रहा था मानो समय थम सा गया हो।

अब अलीशा और रोहन की बदन में जो आग लगी थी वो अब शान्त हो गई थी। रात के 3 बज चुके थे।अब रोहन थक कर पहले ही सो गया फिर अलीशा भी उसे गले लगा कर सो गई।

सुबह के 6 बजे थे। मेघा उठ कर अलीशा के रूम के बाहर खड़ी हो कर अलीशा को आवाज लगती है और दरवाजा खटखटाती हुई कहती है- "अलीशा, अलीशा उठ यार सुबह हो गई है तुझे घर जल्दी जाना चाहिए नही तो तेरे पापा आ जायेंगे जल्दी खोल दरवाजा अलीशा यार....हद है आलिशा खोल न दरवाजा ।"

अलीशा ने मेघा की आवाज सुनी तो वो अपनी आँखों को मसलती हुई उठ कर बैठी और अपने बगल में रोहन को सोता देख उसे रात की सारी बातें याद आ गई उसके माथे में पसीने के कुछ बुँदे आ गये उसने अपने माथे में हाथ रखते हुए खुद से कहा - ये मैंने क्या किया और रोहन जी को कल क्या हो गया था बाहर मेघा खड़ी है अगर उसने रोहन जी को यहाँ देखा तो वो क्या सो सोचेगी, हे बाबा जी ये सब क्या हो गया।

इधर मेघा दरवाजा खटखटाये जा रही थी जिसे सुन अलीशा उसे जवाब देते हुए कहा- "हा रुक यार बस आ रही हु।"

अलीशा ने रोहन की तरफ एक नजर देखा और खुद में ही बड़बड़ई - "ये मेघा दरवाजे पर इतना आवाज लगा रही है लेकिन रोहन जी ऐसे कैसे सोए हुए हैं जहा तक मै जानती हु रोहन ही थोड़ी सी भी आवाज में इनकी नींद खुल जाती है फिर आज ये ऐसे....."
फिर अलीशा ने सोचा -"हो सकता है कल भांग पी थी शायद इस कारण ऐसा होगा। "

ऐसा सोचते हुए अलीशा ने अपने कपड़े और बालों को ठीक किया फिर दरवाजे की तरफ भागी।

अलीशा ने दरवाजा खोला तो दरवाजे के सामने मेघा को देखा जो उसका इन्तेजार कर रही थी।
फिर मेघा ने अलीशा से कहा- "क्या यार कितने देर से आवाज लगा रही हु इतना टाइम लगता है क्या कोई दरवाजा खोलने में।"

मेघा रूम में झांकते हुए अनजान बनते हुए अलीशा से बोली - "रोहन तेरे कमरे में है क्या?"
अलीशा ने मेघा को हैरानी से देखा तो मेघा उसकी नजरो का मतलब समझ गई और अपनी सफाई देते हुए अलीशा से बोली -" नही अलीशा तुम जैसा समझ रही हो वैसा कुछ नही है दरासल मै तुम्हारे कमरे में आने से पहले रोहन के कमरे में गई थी मगर रोहन वहाँ नही था तो मैने सोचा रोहन तुम्हारे साथ होगा because you both are couple, तो मैंने सोचा तुम लोग क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे होंगे ।"

मेघा की बात सुनकर अलीशा को राहत मिली और अलीशा ने भी बात छुपाते हुए कहा- " हाँ हमने कुछ देर बातें की और रोहन जी की नींद यही लग गई तो मैंने उन्हे जगाया नही यही सोने दिया, पर तू उसे छोड़ और चल मुझे घर छोड़कर आ...।"

मेघा ने अलीशा को सामने से हटा कर कमरे में देखा जहाँ रोहन बिना शर्ट के पेट के बल सोया हुआ था।"
तो मेघा ने अलीशा को शक भरी नजरो से देख कर पूछा- "तुम दोनों के बीच कुछ हुआ है क्या कल रात ?"

तो अलीशा ने अपनी नजरे चुराते हुए मेघा की बात टालते हुए कहा - "नही यार अब इन्क्वारी करना बंद कर और चल अब तुझे लेट नही हो रही है मुझे घर छोड़ने में।"

इस पर मेघा अलीशा से बोली - "अरे रुक रोहन को तो उठा दु।"

अलीशा मेघा को रोकते हुए बोली - "उन्हें छोड़, सोने दे और तू चल अब ।"

अलीशा मेघा को खींच कर बाहर स्कूटी के पास ले आई फिर मेघा अलीशा को शरारत भरी निगाहों से देख कर धक्का मरते हुए बोली- "बता न कल क्या हुआ तुम दोनों के बीच।"

अलीशा मुस्कुरा दी और बोली - "क्या यार तू भी कुछ भी बोलती है कहा न कुछ नही हुआ और अब चल देरी होगी तो तुझे ही डाट पड़ेगी माँ से।"
इतना कहकर अलीशा मेघा के पीछे गाड़ी में बैठ गई।

मेघा झल्लाते हुए बोली- "एक तो मदद करो और ऊपर से डाट भी खाओ।"
इतना कहकर मेघा ने स्कूटी स्टार्ट कर दी और वहां से निकल गए।

फिर मेघा की बात सुनकर अलीशा इतराते हुए बोली- "तो किसने कहा था तुझसे मेरी मदद करने को मेरी मदद के लिए है ना मेरे रोहन जी।"

अलीशा को छेड़ते हुए मेघा बोली- "एक रात में ऐसा क्या हो गया बड़े गुनगान कर रही है रोहन की और रोहन के साथ ही चली जाती न अपने घर मुझे क्यों ले जा रही है।"

अलीशा ने मेघा की बात सुनकर भी अनसुना कर दिया और चुप चाप बैठी कल रात के ख़यालो में खो गई।
थोड़े देर बाद उनकी स्कूटी रुकी और अलीशा अपने ख्यालो से बाहर आ गई तो उसने देखा उसका घर आ गया था।

अलीशा अपने घर के बाहर जाकर खड़ी हो गई और मेघा को देख रही थी मेघा ने अपनी स्कूटी घुमाई और अलीशा को "बाये" कहकर वहा से चली गई।

इधर अलीशा ने भी "बाये" कहा और घर के अंदर आ गई।

अलीशा बहुत खुश थी और खुद में ही गाना गुनगुना रही थी।
"उड़के पवन के रंग चलूँगी...
मैं भी तिहारे संग चलूँगी...
रुक जा आ आ....अये हवा....
थम जा आ आ...अये बहार....। "

इतने में अलीशा की माँ (रीना जी) ने उससे कहा- "क्या हुआ बेटा आज बहुत खुश लग रही हो , कल का नशा अब तक उतरा नही क्या?"

To be continue....

अब क्या होगा इस कहानी में जानने के लिए आने वाले भाग जरूर पढ़े और please like comment करना न भूले ।
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© sincere girl