जिजीविषा
उम्र ढल रही है आहिस्ता आहिस्ता
और सीखने की तलब सी लगी है
जुगत में लगे हैं और थोड़ा जाने
पर तन के सिलवटों की
कदमताल अब बढ़ चली है
मिल जाए कहीं से
कुछ तो ऐसा जानूं
जिंदगी को जानने की...
और सीखने की तलब सी लगी है
जुगत में लगे हैं और थोड़ा जाने
पर तन के सिलवटों की
कदमताल अब बढ़ चली है
मिल जाए कहीं से
कुछ तो ऐसा जानूं
जिंदगी को जानने की...