...

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तुम्हारी प्रेयसी
कहने सुनने का एक वक्त था जो ना जाने कहां खो गया है अब केवल गुमनाम रिश्ते को निभाने की कोशिश हो रही है जिंदगी से मैंने बहुत कुछ सीखा जैसे कोई पसंद आए और वही शख्स जिंदगी बन जाए तो जिंदगी को जलन होने लगती है और उस शख्स को हम से दूर कर देती है और खुद तन्हा हो जाती है
जैसे वह ये बात बताना चाहती हो कि जब तुम अकेले इस दुनिया में आई हो तो अकेले ही जाना है फिर इ मोह माया में उलझ कर खुद को दुखी मत करो बहुत सारी चीजें हैं और मुझे काफी शिकायतें भी है जिंदगी से क्योंकि मैंने सिर्फ तुम्हे ही मांगा था उस ईश्वर से और जिंदगी से भी और इन दोनों ने मुझे काफी निराश किया कर दिया अब किया भी क्या जा सकता है जो नहीं मिला वो यादों में ही रह गया याद तो उसे किया जाता है जो भूला हुआ हो लेकिन जो हमेशा परछाइयों के साथ चलता हो स्वांसो स्पंदन में सदैव जीवित रहता हो उसके लिए भूलना या याद करने जैसे शब्द बहुत तुच्छ होते है इसलिए तुम हमेशा मेरे साथ रहते हो


यह कागज के कुछ टुकड़े मेरे अंदर चल रहे शब्द नामक ज्वालामुखी का भार अब नहीं सहन कर पाते इन शब्दों पर अब विराम लगने की जरूरत है और जिस दिन तुम मेरे सामने होगे उस दिन मैं इन शब्दों पर पूर्णविराम लगा कर तुम्हारी बाहों में लिपट जाऊंगी तुम्हारे निर्मल हृदय के धड़कनों की आवाजें जब मेरे कानों तक पहुँचेंगीं उस दिन सच में मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा असल मायने में उस दिन "तुम्हारी प्रेयसी"
फिर से एक बार जीवित होगी उस दिन एक बार फिर से मेरा पुनर्जन्म होगा







© लक्ष्मी सिंह ✍️✨