...

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नारी की भूमिका अलग अलग
शालू ओ शालू
(मन मे सोचते हुए अब क्या हुआ)
क्या हुआ माँ जी?
मैं गाँव जा रही हूं इनके साथ काफी समय हो गया तो मेरे भाई ने बुलाया है तुम थोड़े दिन ध्यान रख लेना घर का धीरज का भी
कैसी बात कर रही है आप माँ जी ये कोई कहने की बात है
बहु ये ले सेफ की चाभी सम्भाल
इसे मैं नहीं ले सकती माँ जी
यानी तुझे खुद पर भरोसा नहीं
भरोसा तो है माँ जी पर माँ जी अभी आप है ये जिम्मेदारी संभालने के लिए

सास - मुझे खुशी है धीरज ने तुझे पसंद करा जिसे सब मिल रहा पर उसे मतलब नहीं
शालू - पता नहीं जो ऐसा करती क्या मिलता मुझे तो धीरज का प्यार और आपका स्नेह मिला वही मेरे लिए बहुत है माँ जी पर
सास - मुझे पता है जो तू बोलना चाहती पर बोल नहीं पा रही तुम दोनों को समय देने के लिए भी जा रही मुझे पता है तू घर की जिम्मेदारी मे उसे समय नहीं दे पाती
शालू - बहुत कोशिश की अपनी तरफ से समय देने की पर हर बार नाकाम रही मुझे माफ़ कर दीजिए माँ जी
सास - तू दिल छोटा मत कर तूने कोशिश की मुझे लग गया वो ज्यादा किसी से बोलता नहीं इसलिए दूसरे पतियों की तरह तारीफ करनी नहीं आती ना शायरी आती है
शालू - कोई बात नहीं माँ जी अनरोमांटिक है पर ठीक हैं पर मेरी मदद करते
सास - तू कितनी आसानी से अपने दर्द को छुपा गयी
शालू - पति को खुशी दिखनी चाहिए माँ ने ये सिखाया
सास - गलत पति को एहसास दिखने सिर्फ खुशी नहीं

इतने मे शालू की बहन का मोबाइल पर कॉल आया
सुजाता - हैलो दीदी
शालू - हाँ सुजाता कैसी है ?
सुजाता - भर्ती हूं दीदी हॉस्पिटल मे तबियत तो ठीक है ना
शालू - क्यों क्या हुआ
सुजाता - शादी के बाद सब ठीक चल रहा था पर अचानक मैं बीमार पड़ने लगी कई डॉक्टरों की बताया पर कुछ पता नहीं पड़ा फिर मैं बीमार पड़नी बंद हो गयी और
शालू - क्या अब तू ठीक है ?
सुजाता - हाँ पर
शालू - पर क्या ?
सुजाता - मुझमे पुरुष वाली आदते आने लगी अब मुझे स्त्री जैसा फील नहीं होता

शालू ने ये बात अपनी सास को बताई
सास - सभी की प्रकृति प्रकृति तय करती है

शालू ने ये बात सुजाता को बताई
सुजाता ने ठंडी आह भरी

सुजाता - दीदी मैं एक बार और डॉक्टर को बताऊंगी
शालू - बता पर इतनी बार पहले ही तू जांच करा चुकी है क्या हुआ सोच तू
सुजाता - आप सही कह रही दीदी शायद ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे शुरू से स्त्री से बात करना उतना अच्छा नहीं लगता था मुझे नहीं पता था इसका ये पता था इसका ये मतलब होगा
शालू - ज्यादा मत सोच मेरे ध्यान मे ऐसा होगा जो तेरा इलाज कर सके तो जरूर बताऊंगी
सुजाता - थैंक्स दीदी

कहकर सुजाता ने फोन रख दिया
सास - बहु मैं गाँव के लिए निकलती हूं तू धीरज की केयर करना मुझे उम्मीद है सब अच्छा होगा तुम दोनों के बीच और एक दूसरे को समझोगे
शालू - मैं अपनी तरफ से कोशिश कर चुकी हूं उन्हें मेरी कोशिश दिखती ही नहीं

इतने मे ही धीरज आया
सास - आज जल्दी आ गया बेटे
धीरज - ऐसा लगा माँ मुझे शालू ने याद करा आपके संदर्भ मे

सास और शालू दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगे
माँ - बेटे मैं गाँव जा रही हूं तेरे पापा के साथ बहुत समय हो गया तो तेरे मामा ने बुलाया
धीरज - मैं भी चलू क्या माँ
माँ - तू यही रह और बहु के कामों मे हाथ बंटा और उसे समझने की कोशिश कर दूर मत भाग उससे
धीरज - ठीक है माँ

माँ ये कहकर चली गयी

धीरज - मेरी बात क्या माँ से की थी
शालू - मैंने किसी से कुछ नहीं कहा उन्होंने ही जान लिया था की आप अपने कामों मे ही व्यस्त रहते उन्होंने बस कहा गाँव जा रही हूं ताकि तुम दोनों एक दूसरे को समझ सको

ये सुनते ही धीरज भावुक हो गया
शालू चाय बनाने लगी तो चाय धीरज ने बनाई
शालू को चाय बहुत अच्छी लगी

धीरज ने पुराना गाना चलाया

दिल तेरे पास था यही कहीं
पर मुझे एहसास ना था
मैं चलता रहा
तेरे होने से मैं हूं
बारिश की बूँदों सा प्यार हमारा
तू शब्द मेरे
अपने प्यार के
इन्द्रधनुष से रंग
जब जब बरसे बादल
लटे तेरी करे नादानी
इंतजार मे बैठी रही
पर बोली नहीं कुछ
की आएगा इक दिन
जब समझ आएगा प्यार
(खुद की कल्पना गाना)

ये गाना सुनकर शालू बहुत खुश हुई क्योंकि धीरज ने पहली बार कुछ सुनाया था आज तक
कुछ ना समझ पाने की गाने मे उदासी भी जाहिर की

शालू धीरज के गले लग गयी
दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे
अब दोनों अजनबी नहीं थे

आज दोनों बहुत खुश थे
एक कह नहीं पा रहा था एक समझा नहीं पा रही थी

आज स्थिति वो थी जैसी शालू चाहती थी
की धीरज उसे समझे भले तारीफ ना करे

धीरज ने शालू के होंठ चूम लिए
शालू मुस्कुरा दी ।

समाप्त
18/6/2024
3:22 दोपहर
© ©मैं और मेरे अहसास