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!...अंधा भारत...!
बहुत सोचने के बाद आज मैं लिखने की कोशिश कर रहा हूं कि मैे जिस जमीं पर पैदा हुआ उसे अंधा क्यूं कह रहा हूं!

जानता हूँ मै कि हम मंगल ग्रह तक पहुंच गए है हम दुनिया में उभरती हुई अर्थव्यवस्था और नई ताकत भी है ये भी जानता हूँ! मगर हां! हम आज भी अपने जातीय व्यवस्थाओं में जकड़े समाज में खुद को असहज और असमर्थ असहाय पाते है।

हमने हर युग को देखा गुलामी देखी, गरीबी देखी, भुखमरी भी देखी, जहाजों को उड़ते देखा, मशीनी युग भी देखा,...