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शर्त बड़ी हवेली के बगीचे से आम लाना
क्रमशः भाग तीन---
ठाकुर रंजीत सिंह की इकलौती बेटी कुमकुम के जाने के बाद चंदन की माँ को जैसे सांप सूंघ गया था । उसकी आंखें एकटक सोच में खुली पलक झपक नहीं रहीं थी जैसे वो स्तब्ध रह गईं थीं । उनके चेहरे पर डर की लकीरें स्पष्ट चमक रहीं थी।
चंदन ने कहा माँ क्या सोच रहीं,वह बोलीं बेटा इस लड़की से दूरी बना ले, तू अपने बड़े भाई के यहाँ जाकर अपनी मिलेट्री में जाने की तैयारी कर, बड़ी हवेली के लोग बड़े जालिम
हैं । चंदन ने माँ की बात एक कान से सुनी दूसरे से निकाल दी। दो दिन गुज़र गए उसके बड़े भाई बदन सिंह कर्नल जो कि कश्मीर में तैनात थे वह घर आ गए, उनका एक बेटा पत्नी भी साथ में थे। सभी प्रसन्न थे चंदन घर पर नहीं था बदन सिंह ने मां से पूछा चंदन कहाँ है, तो उसकी माँ ने पूरी दास्तान बदन सिंह को सुना दी और ये भी कहा कि उसे तू अपने साथ ले जा, मुझे अब बहुत डर लगने लगा है।
बदन सिंह बड़ी हवेली वालों को जानता था ठाकुर रंजीत सिंह के भाई परमजीत सिंह का बेटा माखन सिंह उसके साथ ही पढ़ता था।कालेज में देखा था पैसे को अहमियत न देता था, जगह जगह मारपीट करता था,पढ़ने में उसकी रुचि नहीं थी। वह वाकिया आज भी उसे याद था उसके क्लास में एक लड़की रीना थी, उससे वह बेहद प्यार करता था उसके माता पिता उसके साथ शादी करने को तैयार नहीं थे। ठाकुर परमजीत सिंह उसके पिता को पकड़ ले गए थे फिर लड़की को बुलाकर जबरदस्ती शादी कर ली थी। शहर में कोई कुछ न बोला था । वह अपने भाई से बेहद प्यार करता था वह सोच ही रहा था।
चंदन आ गया साइकिल घर में खड़ी की भाई को देख उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। भतीजा चाचा चाचा करके दौड़ा चंदन ने भतीजे को गोद में उठा लिया । शाम हो गई थी उसकी माँ और भाभी मिल खाना बना रहीं थी उसके पिता भाई बैठक में कुछ गुफ्तगू कर रहे थे । चंदन भी वहाँ पहुँच गया उसके पिता बोले चंदन तू बहुत टहल चुका अब तू भाई के साथ जाकर कश्मीर में अपनी तैयारी कर बदन सिंह
बता रहा कि कर्नल रैंक की भर्तियां इस बार सीधे होंगी। चंदन कुछ नहीं बोला दो दिन बाद चंदन के भाई बदन सिंह बोले आज हमारी फ्लाइट है मुझे सात बजे दिल्ली पहुँचना है।
नजफगढ़ राजस्थान का एक शहर है वहाँ से
दिल्ली एक सौ बीस किलोमीटर हर आधे घंटे में दिल्ली जाने के लिए सरकारी बस सभी बदन सिंह के जाने की तैयारी में जुट गये चंदन भी उन्हें बस पर बैठाने के लिए बेताब घर में टहल रहा था । वक़्त आ गया चंदन के पिता की ऐमेसडर तैयार थी। चंदन के पिता जी बोले चंदन बहू बच्चे सब बस में परेशान हो जायेंगे
क्यों न तुम अपनी गाड़ी से दिल्ली तक बदन सिंह को भेज दो चंदन ने हां में स्वीकृति दे सर हिलाया। चंदन ऐमेसडर को गैरेज से निकाल कर सफाई की फिर घर के सामने ला गेट पर
खड़ी कर दी सारा सामान डिग्गी में रख लिया।
भाई बदन सिंह आगे बैठ गए पत्नी बच्चे पीछे
बैठे चंदन गाड़ी चला रहा था । कुछ दूर जाने पर उसके भाई ने कहा चंदन तू कब तक आ जायेगा, चंदन कुछ नहीं बोला, बदन सिंह ने कहा माँ ने तेरी सारी दास्तान मुझे बता दी
क्या कहीं तू उस लड़की से इश्क़ तो नहीं कर बैठा है। चंदन कुछ नहीं बोला बदन सिंह ने कहा ठाकुर रंजीत सिंह का परिवार बहुत पैसे वाला है। सारे शहर में उनकी जमीनें हैं,शहर में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता। तू दो तीन दिन में कश्मीर आ जा। हम वहीं तेरे पढ़ाई का बंदोबस्त कर देंगे चंदन ने कहा ठीक भैया।
दिल्ली पहुँच कर उन्हें एयरपोर्ट छोड़ चंदन वापस आ रहा था वह सोच रहा था कि मेरे घर वाले सही कह रहे वह कश्मीर जाने का मन बना चुका था । दूसरे दिन ठाकुर रंजीत सिंह के सामने जाकर उनसे उसने कहा आप कोई और टीचर ढूँढ लीजिए मेरे भाई ने मुझे कश्मीर
रहने के लिए कहा है। वह मिलेट्री में कर्नल हैं
मुझे भी मिलेट्री में भर्ती कराना चाहते हैं ठाकुर साहब बोले कब जाओगे उसने कहा दो तीन दिन बाद हम जाना चाहते ठाकुर रंजीत सिंह ने कहा ठीक बेटा हम किसी अन्य को ढूंढ लेंगे जब तक तुम यहाँ हो तब तक आते रहो जिस दिन से न आना उस दिन अपना पैसा भी ले लेना । वह कुमकुम के पास गया नृत्य सिखाने लगा कुछ देर बाद बोला दो तीन दिन में आपको नया टीचर मिल जायेगा हम तो कश्मीर जा रहे हैं । वह बोली आपको किसने हटाया चंदन बोला मुझे मिलेट्री में जाने की तैयारी करनी है, इसलिए मैं खुद छोड़ रहा हूँ
वह बोली मुझे अब कुछ नहीं सीखना चंदन बोला क्यों वह बोली क्योंकि हमें भी कश्मीर जाना। तुम यह नहीं जानते चंदन मैं तुम्हें देखे
बगैर जीवित नहीं रह सकती, हमें तुमसे प्रेम
हो गया, हम तुम्हारे साथ शादी करना चाहती हूँ। चंदन हक्का बक्का उसने समझाया कि यह संभव नहीं है तुम बड़े घर की बेटी तुम्हारे घर वाले इस बात को नहीं मानेंगे कुमकुम रो रही थी चंदन समझा बुझा कर अपने घर चला गया।
कुमकुम थोड़ी देर बाद उसके घर पहुँच गयी
चंदन की माँ ने जैसे ही देखा वह बोली बेटी तुम कब आयीं कुमकुम रो रही थी चंदन के पिता पास वाले कमरे में ही थे वह रोने की आवाज सुन निकल आये देखा एक लड़की
रो रही थी चंदन भी आ गया था सूरज सिंह चंदन के पिता बोले ये लड़की कौन है उनकी
पत्नी बोली ये बड़ी हवेली की ठाकुर रंजीत सिंह की बेटी कुमकुम है यह सुन वह स्तब्ध रह गए ---
क्रमशः शेष भाग चार पर