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मुखौटा
#मास्क

दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है, कृपया पीली रेखा का ध्यान रखें..!, मेट्रो से आने वाले यात्रियों को पहले उतरने दे, दिल्ली मेट्रो में सफर करते वक्त फेस मास्क पहनना अनिवार्य है, ये सूचनाएं गूंज रही थी। राजीव चौक मेट्रो रोजाना की तरह आज भी शहर की एक आबादी की रौनक के साथ सजा हुआ था। साहिल food court में मजे से मोमोज का आनंद ले रहा था। खाना खत्म हुआ उसने पैसे दिए और टिस्सू पेपर से हाथ मुंह पोछते हुए मस्त चाल से बाहर निकलकर yellow line के तरफ जा ही रहा था की दिल्ली पुलिस के एक हवलदार ने उसका हाथ पकड़कर एक तरफ चलने को इशारा कर दिया...

.......... Based on True Story..........

साहिल के आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा... की कोई पुलिस वाला उसे इतनी आसानी से पकड़ भी सकता है... इसलिए वह काफी निश्चिंत था ।
वाकई में..... !!! साहिल के हिसाब से आज तक उसने ऐसा कोई काम न किया था की वो इतनी आसानी से पकड़ा जाएं । और उसमें भी वह न जाने कितने सालों बाद फिर से दिल्ली लौट कर आया था ।
उसकी हमेशा की आदत थी की वह एक शहर में काम हो जाने के बाद उस शहर में सालोसाल नहीं जाता... कम से कम तब तक तो बिल्कुल नहीं जबतक खुद वह वहां की गलीकूची भूल न जाएं इससे कम से कम एक फायदा तो जरूर होता है की वह वहां अंजान बन कर आसानी से रह सकता है । और लोग भी उसे भुला चुके होते है ।
उफ्फ....., पर इस बार ऐसा क्या हुआ या ऐसा क्या कुछ मेरे हांथ से गलत हो गया की मुझे पकड़ा गया ???
आज पहली बार साहिल के चेहरे पर अनेकों भाव उभरे थे । पहली बार... वास्तव में पहली बार... आज तक किसी ने भी उसके स्थिर भावों के अलावा कोई नया भाव उसके चेहरे पर नहीं देखा था।

साहिल एक हैंडसम इंसान था कदकाठी, रंग एकदम ऐसा की कोई भी देखातेही जल्दी फिदा हो जाएं । फिर बातचीत सभ्यता ऐसी.... की कोई भी स्त्री मर मिटने के लिए तैयार हो जाएं....,
नौकरी वायु सेना में बतौर रैंक ऑफिसर... अर्थात कम से कम वो तो ऐसा ही बताता था लोगोंको, तो जाहिर है की पोस्टिंग भी पूरे भारत भर में कही भी होती है....! अब.. कोई, ना ही उसके पढ़ाई लिखाई के, ना ही उसके नौकरी के सार्टिफिकेट्स देखने के लिए मांगता... तो इंप्रेशन पूरा का पूरा आसानी से बन जाता...! इसी का तो फायदा उठाता था वह...!! और कोई भी सबूत ना छोड़ने से कहीं पर भी पकड़ा ना जाता ... लेकिन इस बार....!!!!!

"सौम्या".... अपने नामके अनुसार सौम्य स्वभाव, आचार, विचार तथा दिखने में भी.. माता पिता की इकलौती संतान..... पिता बड़ी सी प्राइवेट फर्म के मैनेजर की पोस्ट पर कार्य करने वाले अर्थात इनकम भी अच्छी......! उसमें माता एक बड़ा सा ब्यूटीपार्लर चलती थी जहां बड़े बड़े कलाकारों का आना जाना था । इकलौती संतान के रूप में "चारों उंगलियां घी" में वाली कहावत सार्थक हो रहीं थी ।
ऐसी भौतिक दृष्टिकोण से सर्व गुण युक्त लड़की जो एम. बी. ए. करतेही एक अच्छी फर्म में नौकरी में लग गई,

एकबार ऑफिस के किसी कार्यवश दूसरे शहर में मीटिंग के लिए जाते वक्त एयर पोर्ट पर हुई साहिल की मुलाकात कब कैसे प्यार में बदल गई कोई नहीं जान पाया... और साहिल जैसा खूबसूरत, वेल मैनर्स, और सेना में कार्यरत इंसानको कोई कैसे दामाद के रूप में स्वीकार नहीं करेगा??? तो क्या हुआ की उसकी फैमिली में अब कोई भी जीवित नहीं रहा ....!!
देखते ही देखते सौम्या और साहिल की, साहिल की ही विनती से, बिना तामझाम से, गिनेचुने लोगों की उपस्थिति में शादी हुई...!
अब चूंकि साहिल का कोई परिवार नहीं है, और सौम्या का परिवार है.. ! सौम्या इकलौती है... !! तथा नौकरी भी दिल्ली में ही है... !!! उसके बाद माता पिता अकेले हो जायेंगे...!!!! और साहिल की जॉब कब कहां से कहां ट्रांसफर हो जाएं भरोसा नहीं...!!!!! उसमें सालों से परिवार का प्यार क्या होता है भूल चुके साहिल को सास - ससुर ने बड़ी ममता से अपने ही आलीशान, तथा एकदम शांत और किसी का किसी को सरोकार न रहने वाले एरिया के बंगले में पनाह दे दी...!
साहिल कभी घर में रहता तो कभी कहीं ऑफिस के काम से भारत भर में घूमता रहता... सब का विश्वास उसने बड़ी सफाई से हासिल कर लिया था...!
दो साल बड़ी खुशहाली में बीते, लेकिन अचानक एक दिन क्या हुआ पता नहीं.... साहिल ऑफिस के काम से गया ... और तब से वापस लौटा ही नहीं उसका कोई भी आता पता न चल पा रहा था ।
कहां कहां नहीं ढूंढा उन लोगों ने...!! आज सात साल हो गए लौट कर भी आया नहीं और कोई खैरखबर भी नहीं हुई ...!!!!!
जब उन्होंने "मिसिंग" कंप्लेंट फाइल करनी चाही, तब पता चला की उनके घर में उसके कोई भी फोटो है ही नहीं ...
तब उनको सच्चाई का पता चला की साहिल नाम का कोई भी इंसान सेना के किसी भी दल में ना कभी कार्यरत था ना ही है...!
साथ ही ......
सौम्या की चेकबुक से चेक्स गायब थे... जिससे काफी सारी रकम निकाली गई थी, उसके लाखों के जेवरात भी नदारत थे जो उसने बैंक से किसी कार्यवश घर में लाए थे, जैसे जैसे एक एक बात का राज खुलता गया तीनों चौंकते गए..!
सौम्या के पापा को उसका गहरा सदमा लगा... घटना के साल भर में ही हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई... मां भी सदमे में चली गई... उनको अल्जाइमर की परेशानी होने लगी... उनका पार्लर छूट गया और कुछ ही दिनों बाद वह बिक भी गया...!!
अब सारा भार सौम्या पर था... वह अपनी नौकरी तथा बचे खुचे जायदाद के साथ अपनी मां को संभालते हुए रह रही थी....!
"वो" इस तरह छोड़ गया इससे ज्यादा दुख और गुस्सा उसे अपनी माता पिता के हुए बेइज्जती, विश्वास और उनके हश्र पर होता था...! बस... ठान लिया चाहे जो हो पर उसको सजा दिलाके रहूंगी...!!

अपना दुख बाजू में रख कर उसने अपने को मजबूत बनाते हुए उसके बारे में जानकारी निकलने की कोशिशें शुरु कर दी.. दिल्ली पुलिस में अपनी सारी आपबीती बता कर एक कंप्लेंट दर्ज की, उनसे कहा की वह उसका पूरा हुलिया बता सकती है जिससे स्केच बना कर पता कर सकते है । उसका एक रंगीन हु-ब-हू स्केच बनवा लिया ।
फिर..... पूरे भारत भर में ऐसा किस किस के साथ घटित हुआ ढूंढा... जिससे भी मिल सकती थी.. मिलती, जानकारी लेती... और पुख्ता सबूत इकट्ठा करते हुए उसने पाया की, उसके साथ जैसा हुआ ऐसी वह पहली लड़की नहीं है बल्कि और ग्यारह लड़कियां पहलेही इसी आदमी से शादी कर चुकी है.. किसी ने आत्महत्या कर ली तो किसी का खून हुआ... या किसी की कोई और कहानी बन गई...!
उसने जितने लोगों से हो सकता था मनवा कर उनसे फिर एक बार अपने अपने क्षेत्र में कंप्लेंट दर्ज करवाई फोटो की एक एक कॉपी सब को मुहैया करवाई.. और भारत भर में सारे पुलिस स्टेशनों पर उसकी वांटेड लिस्ट में भर्ती कर दी.. ! सौम्या कोई भी चांस नहीं छोड़ना चाहती थी की जिससे वह बच जाएं... "उसे क्या लगा की नाम के अनुसार सौम्य हूं तो वह कुछ भी कर लें ?? मेरे साथ ज्यादती मैं बर्दाश्त करती किंतु मेरे पापा के अकाल मृत्यु का, माता के होश खो देने का, हंसता खेलता परिवार बर्बाद कर देने का वह गुनाहगार था" जिसकी कोई माफी नहीं रखी थी सौम्या ने... !! हर बार ऐसी ही लड़की उसने चुनी थी जो ऐसी कोई हिम्मत न कर सके... पर इस बार नियति ने भी पांसा बदल दिया था... एक सौम्य लड़की महाकाली बन गई थी...!!

इसी महाकाली के फैलाएं माया जाल में वह इस बार फंस गया था ।
सौम्या ने एक फेक आईडी से नेट पर वैवाहिक विज्ञापन की प्रोफाइल बनाई थी जिसमें उसने अपने अकेले, तथा अमीर होने की बात बता कर शादी योग्य लड़के की खोज करने की बात बोली.....।
तो उधर वही साहिल, अलग नाम, पता, व्यवसायसे, किंतु उसी चेहरे से मौजूद था.... शायद उसे "बारह" शादी के अनुभवी होने का घमंड हो गया था.... की वह कभी पकड़ा ही न जाएगा... और उसने पूरे सात साल बाद दिल्ली में उस लड़की से मिलने का वादा किया था जो अस्तित्व में थी ही नहीं....!
आज सात साल बाद सौम्या को न्याय मिलने वाला था... जैसे ही साहिल सौम्या के जाल में अटक कर दिल्ली में दाखिल हुआ, उसे लगा कोरोना काल उसके लिए वरदान बन कर आया था, क्योंकि अभी भी मास्क का पालन जो करना पड़ता है... ! इसी मास्क में मेरा चेहरा आसानी से किसी को पहचान में नहीं आएगा.... ! उसने फुड कोर्ट से मोमोज शान से खाते हुए सब तरफ नजर दौड़ाई जरूर थी, पर कोई भी संदेहास्पद गतिविधि न होने से बेहद खुश था, इसी खुशी में वह नए शिकार से मिलने, आती हुई मेट्रो की तरफ चल पड़ा था... सावधानी के लिए मास्क तो था , पर अभी उसके गलें में ही लटका था... अपने मास्क को वह अपनी नाक पर चढ़ाएं उसी के पहले ही........

सौम्या का साथ देने वाली तथा दबिश में बैठी पुलिस ने उसे दबोच लिया....!!

अपने किसी भी कसूर को वह मानने के लिए तैयार ही न था.... ।
दो चार दिन पुलिसिया "प्रसाद" खाने के बाद जब उसकी ब्याही बारह में से आठ औरतों ने उसके सम्मुख उपस्थित होकर गवाही दी की यही उनका पति है... इतनाही नही बल्कि पांच औरतों को हुए बच्चों के डी एन ए भी मैच हो गए.... अब उसके पास और कोई चारा न बचा था सिवा जेल में सड़ने के....!!

आज साहिल के चेहरे से अनेकों नाम, पद, पते, वाले जाली, घिनौने मुखौटे सौम्या ने उतार दिए थे ।

उन सब औरतों के दिलों का दुख जितना तूफान की तरह ऊपर उठा था, उतनाही सौम्या की वजह से खुश तथा शांत हुआ था..... ।

आज सौम्या ने साबित कर दिया था की औरत परिवार के लिए सौम्य बन कर रह सकती है तो अपने ही परिवार के खातिर महाकाली भी बन सकती है ।
© Devideep3612