इश्क इबादत-७
सब विश्वास की कार में बैठते है। और निकल पड़ते है अपने मंजिल की ओर। विश्वास को खबर भी नहीं थी की उसकी जिंदगी उसे किस रास्ते पर ले जाने वाली है हर ख्वाब हसीन नही होता। विश्वास के साथ फ्रंट सीट पर वैष्णवी बैठी थी और पीछे की सीट पर श्रुति और अनुपम। दोनो अपने प्रेम वार्ता में खोए थे।और यहां वैष्णवी और विश्वास की जंग जारी थी।वो सीधा बोल नही सकता था और ये टेढ़ा सुन नही सकती थी। वैष्णवी हरे रंग के सूट में कमाल लग रही थी। वो सपना जी रही थी। इतना प्यार कब और क्यों उसे विश्वास से हो गया,वो इस उलझन में थी।और साथ ही साथ...