तेरी-मेरी यारियाँ ¡ ( भाग - 13 )
गीतिका :- हैरान होकर,,,, क्या आपको मैं नजर नही आई।
देवांश :- हँसते हुए,,,,,अच्छा तुम,,तुम तो मुझे अभी भी नजर नही आ रही।
गीतिका :- घूरते हुए,,,लगता है आपकी आँखो को इलाज की जरूरत है।
मानवी गीतिका का हाथ पकड़ते हुए उसको बोलती है।
मानवी :- गीतिका चल यहाँ से पागलो के मुँह नही लगते।
इतना बोलते ही मानवी गीतिका को वहाँ से लेकर जाने लगती है वही देवांश को मानवी की यह बात सुनकर गुस्सा आ जाता है और वह मानवी का हाथ पकड़कर उससे बोलता है।
देवांश :- गुस्से से,,,,,, क्या कहाँ तुमने,,,, तुम्हे मैं पागल नजर आ रहा हूँ।
मानवी :- घबरा कर,,,,,, देखो मेरा हाथ छोड़ो वरना अच्छा नही होगा यह तुम्हारे लिए।
देवांश :- वरना क्या कर लोगी तुम।
मानवी :- मै,,,,,,,,,
वो इससे ज्यादा कुछ बोलती तभी उनको गीतिका के चिल्लाने की आवाज आती है।
गीतिका :- नाटक करते हुए,,,,,, कोई बचाओ,,,,, मेरी दीदी को बचाओ,,यह अंकल उन्हे मार रहे है।
गीतिका के चिल्लाने से वहाँ लोगों की...
देवांश :- हँसते हुए,,,,,अच्छा तुम,,तुम तो मुझे अभी भी नजर नही आ रही।
गीतिका :- घूरते हुए,,,लगता है आपकी आँखो को इलाज की जरूरत है।
मानवी गीतिका का हाथ पकड़ते हुए उसको बोलती है।
मानवी :- गीतिका चल यहाँ से पागलो के मुँह नही लगते।
इतना बोलते ही मानवी गीतिका को वहाँ से लेकर जाने लगती है वही देवांश को मानवी की यह बात सुनकर गुस्सा आ जाता है और वह मानवी का हाथ पकड़कर उससे बोलता है।
देवांश :- गुस्से से,,,,,, क्या कहाँ तुमने,,,, तुम्हे मैं पागल नजर आ रहा हूँ।
मानवी :- घबरा कर,,,,,, देखो मेरा हाथ छोड़ो वरना अच्छा नही होगा यह तुम्हारे लिए।
देवांश :- वरना क्या कर लोगी तुम।
मानवी :- मै,,,,,,,,,
वो इससे ज्यादा कुछ बोलती तभी उनको गीतिका के चिल्लाने की आवाज आती है।
गीतिका :- नाटक करते हुए,,,,,, कोई बचाओ,,,,, मेरी दीदी को बचाओ,,यह अंकल उन्हे मार रहे है।
गीतिका के चिल्लाने से वहाँ लोगों की...