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गुल्लक


शादी के वक़्त विदा होते हुए मम्मी ने मुझे दो गुल्लक दी और कहा-" इन दोनों गुल्लकों को अपनी अलमारी में रखना । एक गुल्लक पर खुशी लिखना और एक पर दुख । जब तुम खुश हो तो एक रुपया खुशी वाली गुल्लक में डालना और जब भी तुम्हें दुख हो तो एक रुपया दुख वाली गुल्लक में डालना । लेकिन उसको खोल कर मत देखना कोई बेईमानी नही करना ।

मैं विदा हो कर ससुराल आ गई । ससुराल में सब बहुत अच्छे थे । एक साल , दो साल ,तीन साल कब बीत गए पता ही नही चला । मैं मम्मी के कहे अनुसार गुल्लक में पैसे डालती रही । अब ज़िन्दगी ने एक और नया मोड़ ले लिया । मेरी प्यारी सी बेटी आ गई सबका खिलौना ज़िन्दगी खुशियों से भर गई । मेरी ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ गई। जहाँ सब मुझे एहमियत देते थे अब डाँट पड़ने लगी । ये ऐसे नही वैसे करो ये ठीक नही वो ठीक नही । मेरे पति भी ज़रा सी बात पर मुझे कुछ ना कुछ बोल देते ।

मैंने इन सब बातों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया ना ही किसी बात को दिल से लगाया । एक दिन मम्मी का फोन आया तो पता नही क्या हुआ मैं रो पड़ी और सब मम्मी को बताया ।

मम्मी ने मुझे समझया और बोली -" तुमको दो गुल्लक दी थी ना मैंने वो लेकर आओ ज़रा अपनी अलमारी से "। मैं गुल्लक ले आई मम्मी ने कहा " पहले
जिस पर दुख लिखा है वो गुल्लक खोलो " मैंने वो गुल्लक खोली तो उसमें 15 रुपये थे । फिर मम्मी के कहे अनुसार मैंने खुशी वाली गुल्लक खोली उसमे 1150 रुपये थे । मम्मी ने पूछा तो मैंने उनको बताया कि दोनों गुल्लकों में कितने पैसे है ।

मम्मी ने कहा कुछ समझ में आया । मैंने कहा नहीं ।
मम्मी ने बोला " बेटा ये गुल्लक मैंने तुम्हें इसलिए दी थी कि तुम समझ सको सुख और दुख ज़िन्दगी का हिस्सा है अब तुम खुद ही देख लो कि किस गुल्लक में ज़्यादा पैसे है तो तुमने कितने खुशी के पल जिये और कितने दुख के । क्या ज़्यादा है तुम ही बताओ ?

"बेटा पहले जो लोग तुम्हारे आस - पास थे वो सब अपना काम करने में सक्षम थे । लेकिन अब जो ज़िम्मेदारी है वो पूरी तरह तुम पर आश्रित है । पहले कुछ गलतियाँ होती भी होंगी तो ज़्यादा फर्क नही पड़ता होगा । लेकिन अब सब तुमको देख -भाल कर करना होगा ।"

घर के लोग नही बदले बेटा बस तुम्हारी ज़िम्मेदारियाँ बढ़ गई है । और मुझे पता है है कि तुम बहुत अच्छे से ये ज़िम्मेदारी निभाओगी ।
है ना ?

मम्मी फोन पर बोल रही थी और मेरी आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े ।

मेरी सास ने पीछे से मेरे सिर पर हाथ रखा तो मैंने उन्हें गले से लगा लिया । वो प्यार से मेरा सिर सहला रही
थी ।

धन्यवाद !!

स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर ✍️
© Anu Mathur