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कमजोरी
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कमजोरी
परीक्षा का समय आ चुका था. रोहन भी अपनी पढ़ाई का पूरा ध्यान दे रहा था. रोहन एक बच्चा है जो एक आंख से अंधा था.उसने अपनी इस कमी को कभी कमी नहीं माना. वह बोर्डिंग में रहता था. उसके पापा नहीं थे. उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती थी. वह हर शनिवार को अपने घर अपनी माँ से मिलने जाता था. एक दिन वह घर जाते हुए रास्ते में देखता है कि कुछ बच्चे एक बच्चे को चिड़ा रहे हैं जो कि विकलांग है. यह देखकर उसे अच्छा महसूस नहीं हुआ जब वह वहां जाता है तो देखता है कि वह उसी स्कूल के उसकी कक्षा के छात्र है जिसमें एक लड़के का नाम मुन्नी होता है. वह उन्हें मना करता है पर वह नहीं मानते वह लोग कहते हैं कि इस दुनिया में बेवकूफ की ,अंधों की, या विकलांग की किसी को भी जरूरत नहीं है सिर्फ और सिर्फ संपूर्ण विकसित( दिमाग, शरिर) लोगों की जरूरत है. रोहन को गुस्सा आता है और वह कहता है तुम तो ना अंधे हो, ना विकलांगों, ना बेवकूफ हो तो मैं तुमसे सर्त लगता हूं कि तुम मुझसे ज्यादा परीक्षा में अंक लाकर दिखाओ. तो वह लोग सोचते हैं कि वह अपनी एक आंख पर ज्यादा दबाव नहीं दे पाएगा तो वह ज्यादा पढ़ भी नहीं पाएगा. यही सोच कर वहां हा बोल देते हैं. परीक्षा का समय आ चुका है एक-एक करके सब ने परीक्षा दे दी है. परीक्षा खत्म हो चुकी है. रिजल्ट का दिन आता है. रोहन प्रथम आता है जबकि मुनि के पास होने के लाले पड़ रहे हैं. तब मुन्नी को एहसास होता है कि उसने अपना सारा समय दूसरों की कमजोरी निकालने में और चिढ़ाने में निकाल दिया और अपनी कमजोरी के बारे मे सोचा ही नहीं. वह सोच रहा था कि वह पढ़ता तो प्रथम आ जाता. फिर आंसू पूछते हुए बोलता है कि दूसरो की कमजोरी निकालना बेहद आसान है परंतु खुद की कमजोरियां मिटाना बहुत मुश्किल.
लेखक-
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