"बूंद बूंद इश्क़"
उसकी ट्रैन उसे बहुत देर पहले इस स्टेशन पर छोड़ कर जा चुकी थी मगर उसके क़दम इतने भारी हो रहे थे कि तब से अब तक बाहर की तरफ उठाने की वह हिम्मत नहीं कर सकी थी! जिस शहर से वह सारे रिश्ते तोड़ चुकी थी!आज फिर से वहीँ आ गई थी! वक़्त का पहिया जैसे फिर से पिछले बहुत से गुज़रे सालों की तरफ उसे वापस लोटा कर ले आया था!ऐसा लग रहा था जैसे आज उसका जिस्म यहाँ आया है तो उसकी रूह से उसकी मुलाक़ात हुई है जिसे यहाँ से रुखसत होते वक़्त वह यहीं छोड़ गई थी!अजिया ने एक नज़र अपने बराबर में डाली! साहिल यही सवाल करते करते सो गया था कि
"ममा हम यहाँ क्यों बैठे हैं?"और वह तो शायद खुद नहीं जानती थी कि कौन से ऐसे मज़बूत धागे थे जिनमे वह इस शहर की सरज़मीं पर उतरते ही बंध गई थी!यहाँ तक कि स्टेशन की गहमा गहमी भी मंद पड़ती चली गई!नाजाने कितने लोग उसे हैरानी से देखते देखते वहां से चले गए कि यह ना जाने कब से क्यों बैठी है!?कुछ लम्हों के लिये दिल चाहा ट्रैन पकड़े और वापस चली जाये मगर फिर अम्मी का ख्याल आया और वह बेग कन्धों पर डालकर साहिल को गोद में लेती बाहर की तरफ चल दी!
स्टेशन के बाहर कोई ऑटो या टेक्सी नहीं थी!वक़्त ज़्यादा हो गया था!इससे तो अच्छा था कि वह एक अदद कैब ही कर लेती!
उसने गहरा साँस लेकर सोचा! अब भी एक फ़ोन पर उसके लिये गाड़ियों की लाइन लग जानी थी मगर उसे जिस दौलत से नफरत हो गई थी उसका कोई सुख चेन लेना उसे क़तअन गवारा नहीं था!जिन्हें दोलतों से मोहब्बत थी उन्ही को मुबारक!यह ख्याल आते ही साँस पर जैसे कोई चोट सी पड़ी!बहुत वक़्त बीतने के बाद भी बहुत से ज़खम हमेशा रहते हैं! उसे बाहर निकल कर अहसास हुआ कि आसमान पर गहरा अँधेरा था और बारिश हो रही थी!बरसातों के दिन थे!कब कैसे अचानक बारिश होने लगे कुछ नहीं पता था!अब वह थोड़ी परेशान हो गई थी!वहां सिर्फ एक ई रिक्शा वहां खड़ा था!उसने पास जाकर ई रिक्शा वाले को मुखातिब किया और उससे चलने का पूछा!
"मेम साब चलेंगे तो मगर आपका एरिया तो बहुत दूर है यहाँ से वहां तो बस टेक्सी या ऑटो ही जाते हैं!एक तो हमारी गाड़ी में टाइम लगेगा और पैसा भी ज़्यादा लगेगा" ई रिक्शा वाले ने पानी की बुँदे रिक्शा की सीट से साफ़ करते हुए कहा!तभी तेज़ की बिजली चमकी! सोता हुआ साहिल भी अचानक से उछल गया!
"चलो भाई साहब जल्दी! जितने चाहे पैसे ले लेना" अजिया जल्दी से बैठ गई! बारिश कुछ और तेज़ हो गई थी!
"मेम साहब यह शेयरिंग ई रिक्शा है! कोई रास्ते में सवारी मिलेगी तो हमें लेनी पड़ेगी" ई रिक्शा वाला जैसे उसे मोहतात करता हुआ बैठ गया था और रिक्शा स्टार्ट किया!
अजिया ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया!चुपचाप साहिल को थपकने लगी थी!रिक्शा की रफ़्तार एक घोड़ागाड़ी जितनी ही रही होगी!चलो देर से सही पहुंच तो जाएगी घर!स्टेशन के बाहर खड़े रहने से भी कोई फायदा नहीं था!
सुनसान सड़क पर बस स्ट्रीट लाइटों की रौशनी थी और लगातार गिरती बारिश बाक़ी पूरा का पूरा एरिया ख़ाली था!
अजिया सारे रास्तों से नज़रें चुराती रही!मानों हर गली हर नुक्कड़ पर कोई याद उसके दिल को थामने खड़ी थी मगर वह कुछ भी याद करना चाहती थी!उस शख्स की एक भी याद उसको अब मंज़ूर नहीं थी जिसने सरेराह उसकी मोहब्बत को बेआसरा कर दिया था!उसके दिल की धड़कनों का,अहसासों का मज़ाक बनाया था!बिल्कुल ना चाहते हुए भी अजिया को शायद ख्याल नहीं था मगर वह लगातार उसे ही सोच रही थी!बरसातों की ऐसी ही किसी रात में वह सामने आ गया था! उसका वह बीता हुआ कल जो उसके दिल के लिये अब तक नहीं बीता था! उसकी तबाही,हाँ अब तो वह उसकी तबाही का नाम उसे देगी! देर रात शादी में से लौटते हुए उसने कार की खिड़की से देखा था!तेज़ बारिश में बच्चों की बड़ी सी टोली के साथ वह सड़क पर बच्चों की तरह ही नाच रहा था!यूँ लग रहा था जैसे वह भी एक बच्चा है बस उसका क़द बढ़ गया है!वह उसे देखकर देखती रह गई!उसके भीगे बाल उसके माथे पर बिखरकर बेहद खूबसूरत लग रहे थे!बाज़ वक़्त मर्द की ख़ूबसूरती भी औरत के दिल को असीर कर लेती है!क्योंकि वह मोहब्बत का पहला दांव होती है और मोहब्बत से बड़ा इस दुनिया में कोई हुस्न नहीं होता!गुज़रने वाली और भी गाड़ियों की स्पीड उसकी कार की तरह ही कम हो गई थी!सब ही उस मस्त मलंग लड़के को देख रहे थे!जिसने अपनी जवानी की डोर बच्चों के हाथो में देकर उसे कुछ और रंगीन कर लिया था! बच्चे भी उसके साथ खूब शोर कर रहे थे!ड्राइव करते अहमर भाई भी उसे देख कर हंस रहे थे!"कुछ लोग कभी बड़े नहीं होते"उन्होंने हँसते हुए कहा और कार आगे बढ़ा दी फिर वह उसे अचानक से एक लाइब्रेरी में मिला!वह वहां काम करता था!अजिया को किताबों का शौक़ था और साहिल ने उसे अपनी पसंद का बहुत सा कलेक्शन...
"ममा हम यहाँ क्यों बैठे हैं?"और वह तो शायद खुद नहीं जानती थी कि कौन से ऐसे मज़बूत धागे थे जिनमे वह इस शहर की सरज़मीं पर उतरते ही बंध गई थी!यहाँ तक कि स्टेशन की गहमा गहमी भी मंद पड़ती चली गई!नाजाने कितने लोग उसे हैरानी से देखते देखते वहां से चले गए कि यह ना जाने कब से क्यों बैठी है!?कुछ लम्हों के लिये दिल चाहा ट्रैन पकड़े और वापस चली जाये मगर फिर अम्मी का ख्याल आया और वह बेग कन्धों पर डालकर साहिल को गोद में लेती बाहर की तरफ चल दी!
स्टेशन के बाहर कोई ऑटो या टेक्सी नहीं थी!वक़्त ज़्यादा हो गया था!इससे तो अच्छा था कि वह एक अदद कैब ही कर लेती!
उसने गहरा साँस लेकर सोचा! अब भी एक फ़ोन पर उसके लिये गाड़ियों की लाइन लग जानी थी मगर उसे जिस दौलत से नफरत हो गई थी उसका कोई सुख चेन लेना उसे क़तअन गवारा नहीं था!जिन्हें दोलतों से मोहब्बत थी उन्ही को मुबारक!यह ख्याल आते ही साँस पर जैसे कोई चोट सी पड़ी!बहुत वक़्त बीतने के बाद भी बहुत से ज़खम हमेशा रहते हैं! उसे बाहर निकल कर अहसास हुआ कि आसमान पर गहरा अँधेरा था और बारिश हो रही थी!बरसातों के दिन थे!कब कैसे अचानक बारिश होने लगे कुछ नहीं पता था!अब वह थोड़ी परेशान हो गई थी!वहां सिर्फ एक ई रिक्शा वहां खड़ा था!उसने पास जाकर ई रिक्शा वाले को मुखातिब किया और उससे चलने का पूछा!
"मेम साब चलेंगे तो मगर आपका एरिया तो बहुत दूर है यहाँ से वहां तो बस टेक्सी या ऑटो ही जाते हैं!एक तो हमारी गाड़ी में टाइम लगेगा और पैसा भी ज़्यादा लगेगा" ई रिक्शा वाले ने पानी की बुँदे रिक्शा की सीट से साफ़ करते हुए कहा!तभी तेज़ की बिजली चमकी! सोता हुआ साहिल भी अचानक से उछल गया!
"चलो भाई साहब जल्दी! जितने चाहे पैसे ले लेना" अजिया जल्दी से बैठ गई! बारिश कुछ और तेज़ हो गई थी!
"मेम साहब यह शेयरिंग ई रिक्शा है! कोई रास्ते में सवारी मिलेगी तो हमें लेनी पड़ेगी" ई रिक्शा वाला जैसे उसे मोहतात करता हुआ बैठ गया था और रिक्शा स्टार्ट किया!
अजिया ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया!चुपचाप साहिल को थपकने लगी थी!रिक्शा की रफ़्तार एक घोड़ागाड़ी जितनी ही रही होगी!चलो देर से सही पहुंच तो जाएगी घर!स्टेशन के बाहर खड़े रहने से भी कोई फायदा नहीं था!
सुनसान सड़क पर बस स्ट्रीट लाइटों की रौशनी थी और लगातार गिरती बारिश बाक़ी पूरा का पूरा एरिया ख़ाली था!
अजिया सारे रास्तों से नज़रें चुराती रही!मानों हर गली हर नुक्कड़ पर कोई याद उसके दिल को थामने खड़ी थी मगर वह कुछ भी याद करना चाहती थी!उस शख्स की एक भी याद उसको अब मंज़ूर नहीं थी जिसने सरेराह उसकी मोहब्बत को बेआसरा कर दिया था!उसके दिल की धड़कनों का,अहसासों का मज़ाक बनाया था!बिल्कुल ना चाहते हुए भी अजिया को शायद ख्याल नहीं था मगर वह लगातार उसे ही सोच रही थी!बरसातों की ऐसी ही किसी रात में वह सामने आ गया था! उसका वह बीता हुआ कल जो उसके दिल के लिये अब तक नहीं बीता था! उसकी तबाही,हाँ अब तो वह उसकी तबाही का नाम उसे देगी! देर रात शादी में से लौटते हुए उसने कार की खिड़की से देखा था!तेज़ बारिश में बच्चों की बड़ी सी टोली के साथ वह सड़क पर बच्चों की तरह ही नाच रहा था!यूँ लग रहा था जैसे वह भी एक बच्चा है बस उसका क़द बढ़ गया है!वह उसे देखकर देखती रह गई!उसके भीगे बाल उसके माथे पर बिखरकर बेहद खूबसूरत लग रहे थे!बाज़ वक़्त मर्द की ख़ूबसूरती भी औरत के दिल को असीर कर लेती है!क्योंकि वह मोहब्बत का पहला दांव होती है और मोहब्बत से बड़ा इस दुनिया में कोई हुस्न नहीं होता!गुज़रने वाली और भी गाड़ियों की स्पीड उसकी कार की तरह ही कम हो गई थी!सब ही उस मस्त मलंग लड़के को देख रहे थे!जिसने अपनी जवानी की डोर बच्चों के हाथो में देकर उसे कुछ और रंगीन कर लिया था! बच्चे भी उसके साथ खूब शोर कर रहे थे!ड्राइव करते अहमर भाई भी उसे देख कर हंस रहे थे!"कुछ लोग कभी बड़े नहीं होते"उन्होंने हँसते हुए कहा और कार आगे बढ़ा दी फिर वह उसे अचानक से एक लाइब्रेरी में मिला!वह वहां काम करता था!अजिया को किताबों का शौक़ था और साहिल ने उसे अपनी पसंद का बहुत सा कलेक्शन...