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"बूंद बूंद इश्क़"
उसकी ट्रैन उसे बहुत देर पहले इस स्टेशन पर छोड़ कर जा चुकी थी मगर उसके क़दम इतने भारी हो रहे थे कि तब से अब तक बाहर की तरफ उठाने की वह हिम्मत नहीं कर सकी थी! जिस शहर से वह सारे रिश्ते तोड़ चुकी थी!आज फिर से वहीँ आ गई थी! वक़्त का पहिया जैसे फिर से पिछले बहुत से गुज़रे सालों की तरफ उसे वापस लोटा कर ले आया था!ऐसा लग रहा था जैसे आज उसका जिस्म यहाँ आया है तो उसकी रूह से उसकी मुलाक़ात हुई है जिसे यहाँ से रुखसत होते वक़्त वह यहीं छोड़ गई थी!अजिया ने एक नज़र अपने बराबर में डाली! साहिल यही सवाल करते करते सो गया था कि
"ममा हम यहाँ क्यों बैठे हैं?"और वह तो शायद खुद नहीं जानती थी कि कौन से ऐसे मज़बूत धागे थे जिनमे वह इस शहर की सरज़मीं पर उतरते ही बंध गई थी!यहाँ तक कि स्टेशन की गहमा गहमी भी मंद पड़ती चली गई!नाजाने कितने लोग उसे हैरानी से देखते देखते वहां से चले गए कि यह ना जाने कब से क्यों बैठी है!?कुछ लम्हों के लिये दिल चाहा ट्रैन पकड़े और वापस चली जाये मगर फिर अम्मी का ख्याल आया और वह बेग कन्धों पर डालकर साहिल को गोद में लेती बाहर की तरफ चल दी!
स्टेशन के बाहर कोई ऑटो या टेक्सी नहीं थी!वक़्त ज़्यादा हो गया था!इससे तो अच्छा था कि वह एक अदद कैब ही कर लेती!
उसने गहरा साँस लेकर सोचा! अब भी एक फ़ोन पर उसके लिये गाड़ियों की लाइन लग जानी थी मगर उसे जिस दौलत से नफरत हो गई थी उसका कोई सुख चेन लेना उसे क़तअन गवारा नहीं था!जिन्हें दोलतों से मोहब्बत थी उन्ही को मुबारक!यह ख्याल आते ही साँस पर जैसे कोई चोट सी पड़ी!बहुत वक़्त बीतने के बाद भी बहुत से ज़खम हमेशा रहते हैं! उसे बाहर निकल कर अहसास हुआ कि आसमान पर गहरा अँधेरा था और बारिश हो रही थी!बरसातों के दिन थे!कब कैसे अचानक बारिश होने लगे कुछ नहीं पता था!अब वह थोड़ी परेशान हो गई थी!वहां सिर्फ एक ई रिक्शा वहां खड़ा था!उसने पास जाकर ई रिक्शा वाले को मुखातिब किया और उससे चलने का पूछा!

"मेम साब चलेंगे तो मगर आपका एरिया तो बहुत दूर है यहाँ से वहां तो बस टेक्सी या ऑटो ही जाते हैं!एक तो हमारी गाड़ी में टाइम लगेगा और पैसा भी ज़्यादा लगेगा" ई रिक्शा वाले ने पानी की बुँदे रिक्शा की सीट से साफ़ करते हुए कहा!तभी तेज़ की बिजली चमकी! सोता हुआ साहिल भी अचानक से उछल गया!
"चलो भाई साहब जल्दी! जितने चाहे पैसे ले लेना" अजिया जल्दी से बैठ गई! बारिश कुछ और तेज़ हो गई थी!
"मेम साहब यह शेयरिंग ई रिक्शा है! कोई रास्ते में सवारी मिलेगी तो हमें लेनी पड़ेगी" ई रिक्शा वाला जैसे उसे मोहतात करता हुआ बैठ गया था और रिक्शा स्टार्ट किया!

अजिया ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया!चुपचाप साहिल को थपकने लगी थी!रिक्शा की रफ़्तार एक घोड़ागाड़ी जितनी ही रही होगी!चलो देर से सही पहुंच तो जाएगी घर!स्टेशन के बाहर खड़े रहने से भी कोई फायदा नहीं था!
सुनसान सड़क पर बस स्ट्रीट लाइटों की रौशनी थी और लगातार गिरती बारिश बाक़ी पूरा का पूरा एरिया ख़ाली था!
अजिया सारे रास्तों से नज़रें चुराती रही!मानों हर गली हर नुक्कड़ पर कोई याद उसके दिल को थामने खड़ी थी मगर वह कुछ भी याद करना चाहती थी!उस शख्स की एक भी याद उसको अब मंज़ूर नहीं थी जिसने सरेराह उसकी मोहब्बत को बेआसरा कर दिया था!उसके दिल की धड़कनों का,अहसासों का मज़ाक बनाया था!बिल्कुल ना चाहते हुए भी अजिया को शायद ख्याल नहीं था मगर वह लगातार उसे ही सोच रही थी!बरसातों की ऐसी ही किसी रात में वह सामने आ गया था! उसका वह बीता हुआ कल जो उसके दिल के लिये अब तक नहीं बीता था! उसकी तबाही,हाँ अब तो वह उसकी तबाही का नाम उसे देगी! देर रात शादी में से लौटते हुए उसने कार की खिड़की से देखा था!तेज़ बारिश में बच्चों की बड़ी सी टोली के साथ वह सड़क पर बच्चों की तरह ही नाच रहा था!यूँ लग रहा था जैसे वह भी एक बच्चा है बस उसका क़द बढ़ गया है!वह उसे देखकर देखती रह गई!उसके भीगे बाल उसके माथे पर बिखरकर बेहद खूबसूरत लग रहे थे!बाज़ वक़्त मर्द की ख़ूबसूरती भी औरत के दिल को असीर कर लेती है!क्योंकि वह मोहब्बत का पहला दांव होती है और मोहब्बत से बड़ा इस दुनिया में कोई हुस्न नहीं होता!गुज़रने वाली और भी गाड़ियों की स्पीड उसकी कार की तरह ही कम हो गई थी!सब ही उस मस्त मलंग लड़के को देख रहे थे!जिसने अपनी जवानी की डोर बच्चों के हाथो में देकर उसे कुछ और रंगीन कर लिया था! बच्चे भी उसके साथ खूब शोर कर रहे थे!ड्राइव करते अहमर भाई भी उसे देख कर हंस रहे थे!"कुछ लोग कभी बड़े नहीं होते"उन्होंने हँसते हुए कहा और कार आगे बढ़ा दी फिर वह उसे अचानक से एक लाइब्रेरी में मिला!वह वहां काम करता था!अजिया को किताबों का शौक़ था और साहिल ने उसे अपनी पसंद का बहुत सा कलेक्शन दिखाया!उसने सारी किताबें खरीद लीं!साहिल कुछ हैरान हुआ!इतनी महंगी महंगी किताबें उसने कुछ भी सोचे बिना खरीद ली थीं!आखिरकार वह शहर के सबसे बड़े बिज़निसमेन मरहूम अलीम अहमद की इकलौती बेटी थी जिसके 3 भाई थे और अब उसके अब्बू का कारोबार वही सँभालते थे जो उनकी मेहनत से दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करता था!अगर कहा जाता कि वह पेसो के बिस्तर पर सोती थी तो ग़लत नहीं था!उसने जाते हुए कई बार पलट पलट साहिल को देखा!उसके बराबर में खड़ा उसका दूसरा साथ हर बार साहिल को टहूका मर देता कि वह लड़की तुझे देखती हुई जा रही है!पैसे गिनता साहिल अपनी गिनती भूल जाता!वह वक़्त कितना खूबसूरत था?बारिश का होना उस वक़्त ऐसा लगता जैसे दिल को इससे बड़ी क्या ख़ुशी मिलेगी?बस फ़ौरन झूले पर बैठकर झूलना उसे सबसे ज़्यादा पसंद था!कभी कभी सब सहेलियां मिलकर बहुत मज़ा करतीं!कुछ न कुछ खाने के लिये ऑर्डर कर देतीं और सावन कुछ इसी तरह चला जाता!यादें कितनी भी खूबसूरत क्यों ना हो आख़िरकार होती कांच की बिखरी किर्चियों की तरह ही हैं जो ज़रा सा छेड़ते ही दिल की उँगलियों को ज़ख़्मी कर देती थीं!वह वक़्त भी किसी तस्वीर के रंगों की तरह उड़ता चला गया मगर नाजाने कितने गहरे निशान उसकी ज़ात के अंदर छोड़ गया!
रिक्शा थोड़ा सा रुकने लगा!अजिया ने कुछ चौंकते हुए देखा! कोई रेन कोट में रिक्शा रोकने के लिये हाथ दे रहा था!
"रिक्शा मत रोकना!मुझे किसी के साथ रिक्शा शेयर नहीं करना"अजिया ने ऐसे कहा जैसे उस वक़्त उसकी बात सुनी ही नहीं थी!
"मेम साहब यह शेयरिंग रिक्शा है मैंने आपको पहले ही कहा था!मुझे इसमें बिठाना ही पड़ेगा"

"अच्छा मैं और ज़्यादा पैसे दूंगी"उसने हल्का सा लालच दिया!

"मेम साहब बात पैसे की नहीं बल्कि फ़र्ज़ की है" उसकी बात पर अजिया आगे कुछ नहीं बोल सकी!लो यह बात भी साबित हो गयी कि हर ग़रीब पेसों का लालची नहीं होता!बहुत से लोगों को अपने फ़र्ज़ उससे कहीं ऊपर लगते हैं!
वह तेज़ी से हाथो में चेहरा छुपा कर चेहरा रगड़ने लगी!नाजाने हर एक चीज़ पर उसकी याद ना आये ऐसा कब होगा?
उसने सर उठाया!आने वाला उसके सामने आ बैठा था !रिक्शा दोबारा चल दिया!उसने सर पीछे की तरफ टिकाये टिकाये उसकी तरफ देखा! वह सर झुकाये मोबाइल में लगा हुआ था!वह पूरी तरह रेन कोट में ढका हुआ था!सिर्फ बाल ही नज़र आ रहे थे!और बाल!वही रेशन जैसा अहसास!वह जल्दी से सीधी हो गई!उसके यूँ सटपटाने को उसने महसूस कर लिया था और कुछ चौंकते उसकी तरफ देखा!वक़्त शायद रुक गया था!या शायद बहुत तेज़ी से पीछे की तरफ पलट गया था!दोनों एक दूसरे को बिना पलकें झपकाए देख रहे थे!बारिश की बूंदों की तेज़ आवाज़ के दरमियान दोनों के लबों पर खमोशी थी मगर अजिया के दिल में एक ऐसी धड़क हो रही थी जैसी जब उसे पहली बार देख कर हुई थी!जो गवाह थी कि उसकी तमामतर बेवफाइयों के बावजूद आज भी उसकी मुरीद थीं!नाजाने कितनी देर गुज़र जाने के बाद अजिया ने गहरा साँस लेकर नज़र हटा ली मगर अपनी आंख का भीगापन उसके अंदर एक रेत का दरिया सा बना गया था जिसकी रेत अब इस वक़्त तपने लगी थी!
साहिल ने उसकी नज़र में उतरने वाली अचानक नफरत को देखा और मुस्कुरा दिया!

"कैसी हो?"
उसका मूड देख कर साहिल ने एक लम्हें के लिये सोचा कि बात ना करे फिर भी उसने जाने क्यों पूछ लिया!

"बढ़िया" उसका दिल चाहा उसे कोई जवाब नहीं दे मगर उसे जताना भी कैसा?कि वह उसके बिना कभी खुश नहीं हुई!

"हम्म...बेटा है तुम्हारा?" उसने उसकी गोद में सर रख कर सोये साहिल को देखते हुए कहा!

"हम्म..माशाअल्लाह" अजिया ने भी प्यार से साहिल के बालों को सहलाते हुए कहा!

"तुम इसी शहर में हो क्या?" साहिल ने फिर सवाल कर लिया था!शायद उसकी ख़ामोशी उसे अखर रही थी!

"फिलहाल आपके सामने तो इसी शहर में हूँ" उसने नपेतुले अंदाज़ में जवाब दिया!उसके साथ सफर में टाइम पास करना चाहता था और वह ऐसा नहीं होने देना चाहती थी!अब वह उसके लिये इतनी सस्ती नहीं थी!मगर वह तक उसके लिये एक लॉटरी का टिकटभर थी!एक एटीएम कार्ड!

"छी.." सोचते ही उसे सख्त कोफ़्त हुई!उसका अंदाज़ साहिल को खामोश कर गया!सालों पहले से वह लोग एक दूसरे को जानते थे!एक दूसरे के साथ कितना वक़्त बिताया था मगर दूरियां इंसान को कितना अंजान बना देती हैं!
साहिल ने दोबारा नज़रें मोबाइल पर झुका दी थीं!अजिया ने कई बार उसे कनखियों से देखा और बार मोबाइल पर चलतीं साहिल की उँगलियाँ ठहर जाती थीं!जैसे वह उसकी चोर नज़र को महसूस कर लेता था!एक लम्हें के लिये ख्याल आया कि उससे खूब सारी बातें करे!वह सब उससे पूछे जो वह उस वक़्त नहीं पूछ पाई जब उसने बिना किसी गुनाह के अजिया को छोड़ दिया था!
फिर सोचती कि उससे ऐसे बात करे जैसे उनके बीच
कभी कोई दूरी थी ही नही!उसे कोई फर्क नहीं पड़ता जो गुज़र गया वह अजिया के लिये बीत गया!उसे जताये कि वह बहुत खुश रहती है!
अचानक से हवा के तेज़ झोंको के साथ बारिश उड़कर आई और छपाक से अजिया और सोये हुए साहिल पर गिरी!उसका सारा चेहरा भीग गया था और वह एक लम्हें के लिये बेहवास सी हो गई थी!साहिल (बेटा)भी तेज़ी से नींद से उठ गया था!

"ममा हम अब भी नानू के पास नहीं पहुंचे?" नींंद में डोलती साहिल(बेटा) की आवाज़ पर वह मुस्कुरा दी!
"बस बेटा थोड़ी देर और!आप लेट जाओ सो जाओ अभी"
उस बारिश के झोंके पर साहिल भी उन्हें देखने लगा था!
"आ जाओ यंगमैन इधर आ जाओ इधर बिल्कुल बारिश नहीं है" साहिल ने प्यार से उससे कहा!

"नहीं वह ठीक है" इस बार अजिया का अंदाज़ पहले जितना ठंडा नहीं था!
"अच्छा आपका नाम क्या है डियर?" साहिल एक नज़र अजिया के चेहरे पर डाली और फिर उसके बेटे से पूछा!

"मेरा नाम सा..."इससे पहले वह अपना नाम बताता अजिया ने बात काट दी!"इसका नाम समर है"

साहिल(बेटा) ने हैरत से अपनी ममा को देखा!
"मगर ममा...मेरा नाम तो"..."चुप रहो..आप चलो सो जाओ!जब नानू का घर आएगा तो मैं आपको उठा दूंगी"अजिया की हड़बड़ी पर वह उन दोनों को देखता रहा!मगर कुछ नहीं बोला!.
साहिल(बेटा) भी ख़ामोशी से लेट गया!

वह नहीं चाहती थी कि उस शख़्स के सामने यह बात खुले कि अजिया ने बेटे का नाम साहिल रखा था!वह एक पल में समझ जायेगा!कि उसने उसका वाला नाम क्यों रखा?और यही वह नहीं चाहती थी!

"और बताओ तूमने शादी की?" चंद लम्हों बाद ही वह खुद बोलने लगी थी!यह सवाल हमेशा उसके मन में उठता रहता था!जिसे उसने बहुत नार्मल सा बना कर आज उससे पूछा था!जबकि इस सवाल को सोचते ही अजिया की रातों की नींदें उड़ जाती थीं!
साहिल सर झुका कर हल्का सा हंस दिया मगर उसकी आँखों में उतरने वाली परछाईयां एक ही झलक में अजिया ने देख ली थीं!

"की थी मगर ज़्यादा चली नहीं" उसने मुस्कुराकर जवाब दिया!आखिरकार कर तो ली थी! अजिया के अंदर धुआँ सा उठा!

"किसी के साथ (हमेशा)रहना भी नहीं होता तुम्हें" नाजाने क्यों उसका लहजा नचाहते हुए भी तन्ज़िया हो गया था!वह साहिल के दिल को अपने लफ्ज़ नहीं अपनी ख़ुशी गढ़ाना चाहती थी जिसे वह तीर की तरह महसूस करे!मगर यह एक शेय उसके पास नहीं थी!

"हाँ..हमेशा का साथ भी क़ुदरत तय करती है!किसको किसके साथ रहना और जीना है" साहिल ने एक ठंडी साँस भरते हुए कहा!अब यह ठंडी साँस अजिया को लेकर थी या बीवी के लिये वह समझ नहीं सकी!
"तुम्हारा हसबैंड क्या करता है?" साहिल ने भी पूछा!इसी सवाल से वह डर रही थी!
"वह अक्सर बाहर रहते हैं"उसने छोटे से जवाब में बड़ा सा झूट बोला!कहना तो यह चाहिये था कि जो तुमने दिल और यक़ीन की किर्चियाँ की थीं उन्हें कोई समेट कर दिल की दहलीज़ पार नहीं कर सका हाँ कोशिश बहुत से लोगों ने की मगर कामयाब नहीं हो सका!या शायद उसने होने नहीं दिया!कहने के लिये वह लोग रस्मी बातें कर रहे थे मगर दिल इस बरसात की तरह भरा आ रहा था!
"सुहैल कैसा है?अब तो बड़ा हो गया होगा ना" अजिया को अचानक से याद आया वह प्यारा सा लड़का!जो साहिल ने उस वक़्त गोद लिया हुआ था जब वह उससे मिली थी!उसके साथ उस बच्चे को देख कर एक लम्हें के लिये वह डर ही गई थी कि यह शख़्स तो शायद शादीशुदा है!मगर बाद में पता चला कि यह तो एक अनाथ आश्रम से लिया गया बच्चा है! साहिल भी अनाथ था इसलिए वह बच्चों में प्यार बाँट कर बहुत खुश होता था!सुहैल को गोद लेकर वह बहुत खुश था!और सुहैल भी उससे बहुत प्यार करता था!उससे क्या वह तो अजिया से भी बहुत मानूस हो गया था!घंटों वह उसके साथ टाइम स्पेंड करती थी!उससे ममा ममा सुनना उसे बहुत अच्छा लगता था!कानों तक वह लाल हो जाती थी!नजाने अब उसे अजिया याद भी होगी या नहीं!
अजिया ने देखा! साहिल बस बहुत ख़ामोशी से उसका चेहरा देख रहा था!उसके होंठों पर एक सुखी सी परत चढ़ गई थी!और आँखों में एक गहरा साया सा ठहरा हुआ था!

"सुहैल अब नहीं रहा"अचानक ऐसा लगा कोई बिजली गिरी है!वह एकदम सीधी हुई!

"क्या?क..क्या मतलब?" अजिया का दिल चाहा यह भी एक झूट हो!मगर यह बहरहाल एक सच था! साहिल का चेहरा उसके ख्याल से धुआँ धुआँ हो गया था!वह जानती थी साहिल के लिये सुहैल अपनी औलाद से ज़्यादा ही था!उसकी साँस के साथ तो साहिल की धड़कन जुड़ी हुई थी!

"कैसे?" अजिया की आवाज़ सिर्फ सरगोशी में निकली!

साहिल:-"वह बीमार था"

अजिया:-"तो उसका इलाज क्यों नहीं कराया?"

साहिल:-"मेरे पास पैसे नहीं थे"

अजिया:-"तो किसी से मांग लेते!कहीं से भी इंतिज़ाम कर लेते! उसे यूँ तो ना जाने देते" वह जाने क्यों उसपर चिल्ला उठी थी!
"इतना पैसा मेरे भाइयों से लेने के बाद भी उसके इलाज के लिये पैसे नहीं थे तुम्हारे पास?" ग़ुस्से की तेज़ लहर उसके अंदर दौड़ रही थी!रिक्शा वाला भी घूमकर उन्हें देखने लगा था!मगर साहिल ने कोई जवाब नहीं दिया!सिर्फ ख़ामोशी से सर झुका दिया!

"क्यों हर किसी के लिये इतनी लापरवाही है तुम्हारे अंदर?तुम्हें क्या लगता है लोग लौट के आते हैं?कोई नहीं आता!कोई एक बार मिल जाये तो उसे ग़नीमत समझो उसकी क़द्र करो!दौलत हर क़दम पर मिल जाएगी मगर सच्चा प्यार नहीं!लेकिन आजकल दौलत के पुजारी क्या जानें!?मोहब्बत के अनमोल मोतियों की क़द्र उनकी नज़र में तो बस सिक्के मायने रखते हैं" वह उसे लगातार सुना रही थी!

"चले जाओ मेरे सामने से!उतरों यहाँ से" वह रोये जा रही थी!उस बेकार इंसान से मुहबब्त करके उसने तो कुछ नहीं पाया था मगर सुहैल के साथ लापरवाही दिखा कर उसने अपने और घटिया होने का सुबूत दिया था!अजिया की ज़िन्दगी से जाने के लिये उसके भाइयों से अपनी बेकार मोहब्बत का सौदा करने वाला यह कह रहा था कि उसके पास पैसे नहीं थे!अपने बेटे के लिये उसके पास पैसे नहीं थे!इतनी सस्ती भी नहीं बिकी थी अजिया की मोहब्बत कि पैसा इतनी जल्दी ख़त्म हो जाये!अजिया की वह मोहब्बत जिसमे वह कभी किसी और की नहीं हो पाई थी!यह शहर छोड़ दिया था जब उसे पता चला कि उसके भाइयों ने साहिल को उसकी ज़िन्दगी से जाने लिये भारी क़ीमत ऑफर की है और उसने फ़ौरन क़ुबूल कर ली है! उसके अंदर की लड़की उसी वक़्त सिसक सिसक कर मर गई!शहर से जाने के बाद उसने भी एक बेटा गोद लिया!जिसका नाम साहिल रखा!वह उसे कभी भुला नहीं पाई जिसने उसकी ज़िन्दगी का कोई ख्याल ही नहीं किया!साहिल के कहने पर रिक्शा वाले ने उसे वहीँ सड़क पर उतार दिया था!रिक्शा आगे निकल गया!वह पैदल चलने लगा!बारिश अभी भी अपने उफान पर थी!उस लड़की को लगता था साहिल उसकी मोहब्बत का गुनाहगार है जबकि उसे यह नहीं मालूम था कि इस दुनियां में ग़रीब होना सबसे बड़ा गुनाह है!उसके अमीर भाइयों ने किस किस तरह साहिल की मजबूरियों का फायदा नहीं उठाया!ना जाने कितनी बार उसे वह धमका चुके थे!अजिया की ज़िन्दगी से निकल जाने को कह चुके थे!बल्कि कोशिशों में लगे हुए थे!गुंडे तक उन लोगों ने भेजे थे मगर वह अपनी मोहब्बत पर अड़ा रहा!लेकिन आखिरकार उसे हारना पड़ा!सुहैल के दिल में सुराख़ होने की वजह से उसका दिल बदलना था और उसके पास इतना पैसा नहीं था!जब वह सब तरफ से थक गया था तब आखिरकार गर्म लोहे पर चोट करने अजिया के भाई आये और उसे हार माननी पड़ी!
हाँ उसने अपना प्यार बेच दिया मगर अपने बेटे सुहैल की ज़िन्दगी के लिये!
बारिश के ठन्डे पानी में पिघलते अपने गर्म आंसू वह खुद ही महसूस कर रहा था!रात का सन्नाटा बर्फ की तरह जमा हुआ था! इस वक़्त भी वह सुहैल की क़ब्र से लौट रहा था!उसका रोज़ का मामूल था सुहैल के साथ शाम का सारा वक़्त बिताना जब तक नींद ना जाये और वह अब भी जारी था!वह तन्हा जाकर उसकी क़ब्र पर रोज़ बैठ जाता और उसके साथ वक़्त गुज़ारता!आज भी वह उसके लिये बलून्स खिलोने खरीदता और ग़रीब बच्चों में बाँट देता!सुहैल हमेशा कहता था कि जब वह बड़ा हो जायेगा तो ऐसा एक आश्रम खोलेगा जिसका नाम रखेगा(पापा) और आपका फोटो लगाऊंगा!आज उसके दो बड़े आश्रम थे जिसमे एक का नाम था(पापा)और दूसरे का नाम (बेटा) एक अनाथ बच्चों का और दूसरा बूढ़े लोगों का
अजिया के भाइयों ने उसके साथ वादाखिलाफी की!उन्होंने उसे तब तक टाले रखा जब तक अजिया इस शहर से नहीं चली गई!और सुहैल की ज़िन्दगी का वक़्त भी उसी दिन ख़त्म हो गया!
अजिया के भाइयो के भेजे पैसे साहिल ने उनके मुँह पर दे मारे और उनकी बहन भी उन्हें भीख में दे दी!उसने अजिया को ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की!क्योकि उसके अंदर जो सुहैल की ज़िंदादिली बस्ती थी वह उसके साथ ही मर गई थी!

चलते चलते जैसे अचानक से वह बूढ़ा हो गया था!वह तरफ बैठ गया!अक्सर वह जब भी खुद को इतना कमज़ोर महसूस करता सुहैल की फोटो देख लेता उसकी मुस्कराहट और उससे जुड़े सारे सदमे फिर से उसके अंदर जीने की और सबके लिये कुछ करने की हिम्मत भर देता था!
उसने जेब में हाथ डाला!उसका मोबाइल तो शायद रिक्शा में छूट गया था! जिसमे आज ही उसने सारी अपनी आपबीती लिखी थी और उसमे तो पासवर्ड भी नहीं था!वह उसमे कभी भी पासवर्ड नहीं रखता था क्योकि बिजी होने की वजह से पासवर्ड खोलना उसे देर होना लगता था!
वह बेचैन सा हो उठा!

"सुनिए"। अजिया रिक्शा से उतरकर घर में जा रही थी! जब रिक्शा वाले ने उसे आवाज दी!

वह पलट कर उसे देखने लगी!

"यह मोबाइल आपका है?।" अजिया ने देखा! काले रंग का बड़ा सा मोबाइल उसके हाथ में था। जो उसका नहीं था मगर साहिल का ज़रूर था। उसने एक लम्हे को कुछ सोचा फिर हां में सिर हिलाया!

"जी मेरा ही है।"

समाप्त

फरहा खान
© Fari Khan