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संकल्प शक्ति
संकल्प शक्ति:-
संकल्प ही जीवन का आधार हैं, जैसी सोच वैसा जीवन।
जैसे बीज धरती से शक्ति लेता और उगता है वैसे ही मनुष्य जीवन शुद्ध संकल्पों से ही शक्ति ले कर उन्नति कर सकता है।
मनुष्य के जीवन में (डॉ. श्वेता सिंह) दुःख का कारण है उसके अशुद्ध संकल्प फिर वे चाहे खुद के लिए हों या औरों के लिए।
आप आज क्या हो, कैसे लोग आपके आसपास हैं सब आपने आकर्षित किया है अपने संकल्पों के द्वारा।
दुःखी जीवन को सुखी करने का एक ही तरीका है, अपनी सोच को सुन्दर बनाओ, इसमें भगवान व श्रेष्ठ व्यक्ति केवल मार्ग दर्शन कर सकते हैं, बदलाव तभी होगा जब हम खुद चलना शुरु करेंगे। भगवान सदमार्ग दिखाने के साथ साथ शक्ति भी देते है, पर लेने की हिम्मत हमें ही करनी पड़ती है इसलिए न गुरु कृपा कर सकता है और न ही भगवान।
जब आप कोई अच्छा काम करते हो और लोग आपके बारे में अच्छा सोचना या बोलना शुरु करते हैं यही आशीर्वाद है यहीं दुआ है।
यह विश्व नाटक कर्म प्रधान है, और संकल्प ही आत्मा का कर्म है।
आप जो भी बोल बोलते हो या कर्म करते हो वह पहले संकल्प में उगता है तभी स्थूल में आता है। कोई भी कर्म बिना संकल्प के हो नहीं सकता।
आपके विचार केवल आपके सूक्ष्म शरीर को ही नहीं बल्कि स्थूल शरीर को भी प्रभावित करते हैं, यानि विचारों का प्रभाव प्रकृति पर होता है।
मन के कष्ट, शरीर को भी कष्ट में डाल देते हैं।
जैसे विचार होते हैं वैसी ही भावनाएं उत्पन्न होती है। हमारा शरीर भी उसी हिसाब से ढ़ल जाता है।
यदि मनुष्य अपने विचार बदल लें और अपना चरित्र ऊंचा कर लें तो अपना शरीर भी बदल सकता है।
मन के विचार चेहरे से व्यक्त होते हैं इसलिए कहते हैं Face is the index of mind.
प्रेम,मैत्री, दया, करुणा और परोपकार वाले विचारों से मुख सुन्दर बनने लगता है, जिसे दिव्य तेज कहते हैं।
मुख, सिर व शरीर की अन्य रक्त नलियाँ मन में उठने वाली भावनाओं के अनुसार फैलती व सिकुड़ती हैं इस तरह शरीर में होने वाली हर गांठ / बिमारी का कारण मानसिक गांठे हैं।
संसार बिमारी मुक्त, समस्या मुक्त तभी होगा जब मन की बीमारियां मिटेंगी। इसके लिए खुद को शरीर नहीं आत्मा समझकर जीना होगा।
शारिरीक ज्ञान से कई गुणा अनिवार्य है, आत्मिक ज्ञान क्योंकि शरीर से जुड़ी हुई हर बात का आधार आत्मा है इसलिए आत्मा का रख रखाव शारिरीक देखरेख से अधिक होना चाहिए। (डॉ. श्वेता सिंह)
© Dr.Shweta Singh