...

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उसकी किताब में, हर पन्ने में..
उसकी हर किताब में
हर पन्ने में..
कहीं गली खुन्चे में भी
अपना नाम ढूँढना चाहा..
मग़र साफ़ साफ़ अक्षरों में
उसकी किताब का शिशक ही किसी और के नाम से पाया...
और हर पन्ने में उसका ज़िक्र था...
तुम्हारे नाम का कोई एक शब्द भी कही वहां मौजूद ना था।

था!
था!
किताब के पीछे कहीं ..
खिड़की से झाकता हुआ दरिद्र एक बिखारी की तस्वीर बनी थी...
वो तुमको कुछ अपना अपना सा लगा।
तभी सोचती रही मैं हमारे रसायन कभी मिल क्यों नहीं पाए...?

some chemical reacts in a pleasent way
because they are most suitable for each other
and some reacts really badly with the things not meant to be together.
In #chemistry


आज उस पहली का रहस्य समझ आया
आज उस प्रश्न का जवाब मिला।

उसके किताब की शुरुआत ही किसी के नाम से होती
और अंत किसी के नाम से...
आपकी जगह महज़ भीड़ में थी
audience के बीच...
आप महज़ दर्शक थे
और दर्शक तभी अच्छे लगते हैं जब दूर से ही वाह वाई करे
घर के अंदर दर्शक अच्छे नहीं लगते



21.4.2024
2.42pm
#lifeisbeautiful
© S🤍L