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सोचा ना था। (Part-3)
बस यहीं आकर जैसे जिंदगी थम सी गई। फिर हंसिका ने आंसू पोंछे और खाना खत्म किया और वहाँ से अलेक्जेंडर को धन्यवाद करके चल पड़ी। हंसिका भी उसी बिल्डिंग में रहती थी। फिर एक दिन तान्या (हंसिका की बेटी ) ने अपनी माँ से कहा कि जो उसके टीचर हैं वो जाने-पहचाने से लग रहे हैं, हंसिका को पता नहीं था कि वो अनुराग की बात कर रही है, हंसिका ने कहा अक्सर ऐसा लगता है कोई बात नहीं। हंसिका रोज़ की तरह अपने काम में व्यस्त थी। हंसिका अपने यू ट्यूब चैनल की तरक्की में व्यस्त थी बहुत तरक्की कर ली थी उसने। हंसिका का चैनल काफी फेमस हो चुका था और वो उससे पैसे भी कमाने लगी थी। हंसिका को अपनी सारी जो इच्छाएं पूरी नहीं कर पाई थी वो उसने यहाँ कमा ली और वो बहुत खुश थी।
अलेक्जेंडर अक्सर हंसिका के पास आ जाया करती थी, क्योंकि उसे उससे बाते करना बहुत अच्छा लगता था, उसने एक दिन अनुराग और उसके रिश्ते के बारे में बताया कि कुछ खास अच्छा नहीं चल रहा था। हंसिका ने एकदम से अलेक्जेंडर को देखा तो वो रो रही थी, अलेक्जेंडर को देखकर हंसिका को भी रोना आ गया, हंसिका ने कारण पूछा तो उसने बताया कि अनुराग खोया खोया सा रहता है और उसकी कोई पास्ट की कहानी से वो उबर नहीं पा रहा ।हंसिका सोच में पड़ गई कि ऐसा क्यूँ हुआ अनुराग तो खुश था मेरे जाने के बाद फिर सोचा होगी कोई बात।
फिर एक दिन अव्यक्त का कॉल आया हंसिका के पास हाल चाल पूछने लगे सब ठीक तो चल रहा है न तो हंसिका थोड़ी घबराई हुई सी थी कहीं अव्यक्त को अनुराग के बारे में पता न चल जाए कि अनुराग इसी बिल्डिंग में रहता है, अव्यक्त ने पूछा तुम इतनी घबराई हुई सी क्यूँ हो हंसिका ने कुछ नहीं बताया फिर फोन रख दिया। एक दिन तान्या ने कहा मम्मी कल मेरे कॉलेज में फ्रेशर्स पार्टी है तो पेरेंट्स को भी बुलाया है तो हंसिका ने हाँ कर दिया चलने को। अगले दिन कॉलेज पहुंचते हैं हंसिका और तान्या तो सब टीचर और दोस्तों से मिलवाते हैं। तान्या अपने टीचर से मिलाती है तो जब अनुराग पीछे मुड़कर देखता है तो हंसिका हैरान हो जाती है कि वो तान्या का टीचर है और भगवान से पूछती है मन में कि क्यूँ ऐसा हो रहा है, फिर अनुराग से हाथ मिलाती है और मुस्कराकर चले जाते हैं।
कुछ दिनों बाद अनुराग हंसिका के घर भागा हुआ हांफते हुए आता है और दरवाज़ा खुलते ही अन्दर घुसकर अलेक्जेंडर को आवाज़ लगाने लगता है तो हंसिका पूछती है क्या हुआ तो वो पूछता है अलेक्जेंडर कहाँ है, हंसिका ने बताया वो यहां पर आई ही नहीं, अनुराग हंसिका पर गुस्सा करता है की तुमने ध्यान क्यों नहीं दिया हंसिका एक चांटा मारती है अनुराग को और कहती है तुमने ध्यान दिया होता तो अलेक्जेंडर ऐसे जाती नहीं, अनुराग गुस्से में हंसिका को हाथ पकड़कर दीवार पर धक्का मारकर उसे घेर लेता है और कहता है ध्यान कहाँ से दूँ तुम्हें नहीं भुला पाया आज तक प्यार करता हूं आज भी तुमसे हंसिका पिघल जाती है उसकी इस बात से और गले लग जाती है अनुराग के,और रोने लगती है और धीरे-धीरे दोनों आपा खो देते हैं वो भूल जाते हैं कि वो किस मोड़ पर खड़े हैं और एक दूसरे के और करीब हो जाते हैं! अनुराग हंसिका के माथे पर चूमता है और एक दूसरे को प्यार भरी नजरों से देखने लगते हैं और अनुराग हंसिका को गोद में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है और जाने लगता है हंसिका उसका हाथ पकड़ लेती है और न जाने को कहती है फिर क्या था अनुराग हंसिका के पास बैठता है और उसे गले लगाकर चूमता है और दोनो अपनी हदें पार कर देते हैं आँख खुलती हैं तो हंसिका देखती अनुराग को अपने साथ सोते हुए वो बहुत घबरा जाती है और उठकर अनुराग को उठाती है उसे जाने को कहती है। बहुत खुश नजर आ रही थी हंसिका और अनुराग भी। अलेक्जेंडर वापस घर लौटती है तो बताती है अनुराग को की वो किसी काम से गई थी ।
हंसिका को पता चला कि अनुराग जान बूझकर उसके घर आया था और अंदर ही अंदर खुश भी बहुत होती है। एक दिन
हंसिका और अनुराग लिफ्ट में मिलते हैं तो वहां हंसिका को
उल्टी होने लगती है और अनुराग परेशान सा हो जाता है हंसिका बोलती है सब ठीक है वो उसे डॉक्टर के पास ले जाता है तो पता चलता है हंसिका माँ बनने वाली है अनुराग और हंसिका एक दूसरे को देखते हैं और उन दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे पर एक पल में वो घबरा जाती है सोचती है वो अव्यक्त को क्या जवाब देगी लेकिन अनुराग बहुत खुश था और हंसिका से कहता है कि क्या तुम मुझे ये बच्चा दोगी और हंसिका असमंजस में पड़ जाती है और कुछ ज़वाब न देकर वहाँ से चली जाती है। बाद में हंसिका बहुत सोचती है अगर मैं इस बच्चे को जन्म दूंगी तो तान्या को क्या जवाब दूंगी, हंसिका अनुराग से बात करती है और पूछती है कि तुम ये बच्चा क्यूँ चाहते हो तो अनुराग ने बताया अलेक्जेंडर माँ नहीं बन सकती तब हंसिका को लगा की इस बच्चे को जन्म देना चाहिए पर कैसे ~~हंसिका सोच में पड़ जाती है, अनुराग कहता है वो मैं देख लूँगा तुम बस हाँ कर दो। हंसिका मान जाती है। तान्या को हॉस्टल में भेज देते हैं क्योंकि कॉलेज दूर था और अनुराग हंसिका की बहुत देखभाल करता है। जब हंसिका की डिलिवरी का समय आता है तो हंसिका को अस्पताल में भर्ती करवा देता है और हंसिका एक प्यारे से बेटे को जन्म देती है अनुराग खुशी से झूम उठता है और फिर कुछ दिनों बाद हंसिका वापस इंडिया अपने पति के पास जाने को कहती है अनुराग बहुत दुखी होता है और पूछता है क्या तुम हमारे बेटे को भी ले जाओगी?
हंसिका का जवाब था ना उसने फैसला लिया कि वो बेटा अनुराग को ही दे देगी ताकि अनुराग और अलेक्जेंडर के बीच खुशियाँ आ जाये। औऱ उससे ये शर्त रखी की वो हर रोज उनके बेटे की फोटो हंसिका को भेजेगा और हंसिका से कभी दूरियां नहीं बनाएगा। हंसिका का जाने का वक़्त आ जाता है और अनुराग उनके बेटे को गोद ले लेता है और अलेक्जेंडर के साथ खुशी से रहने लगता है और हंसिका अपने परिवार के साथ रहने लगती है और तान्या का भी ख्याल अनुराग बहुत अच्छे से रखता है।

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