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बेटी हूँ बोझ नहीं.....
बेटी नाम सुनकर ही लोग अपने सिर पर एक बोझ महसूस करते हैं। वह सोचते हैं कि बेटी है तो बड़ी होंगी, तो इसकी शादी मे पैसा खर्च होगा और ये बेटे के जैसे मेरी सेवा भी नहीं करेगी । लेकिन ये सब गलत सोच और भ्रम है । वे नहीं जानते कि आज कल बेटियाँ बेटों से ज्यादा नाम कमा रही हैं । बेटियाँ अपना भाग्य ले के आती हैं । लोग कहते हैं कि औरत कमजोर होती हैं । "क्या ये कहना सही है? मैं आप से पूछती हूँ शायद आपका जवाब होगा नहीं "क्योंकि पहले के जमाने मे औरतों पर कितना जुल्म होता था,
उसके पति के मरने के बाद उन्हे जिंदा जला दिया जाता था और वो भी खुशी से जलने के लिए तैयार हो जाती थी । आपने रानी लक्ष्मी बाई का नाम तो सी सुना ही होगा जो अंग्रेजों से लड़ी । ऐसे कई सारे उदाहरण हैं जो औरतों को शक्तिशाली और महान बताता है।
एक औरतों एक बच्चे को जन्म देते वक़्त जितना दर्द सहती हैं, इसको देखते हुए क्या ऐ कहना सही हैं की औरत कमजोरी होती हैं
सच तो ये हैं औरत वक़्त आने पर सब बन सकती हैं कभी काली, तो कभी दुर्गा, तो कभी सीता, औरत के अनेक रूप हैं, जिसे हम गिन नहीं सकते,..
इसलिए अगर बेटी हों तो खुशिया मनाईये ना की दुःख ।
- वर्तिका