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मोहब्बत: एक कड़वा सच

सबसे अधिक वो प्रेम असफल हुआ जो एकनिष्ठ रहा,
सबसे अधिक वो भावनाएं छली गई जो निष्ठापूर्ण रही,
सबसे अधिक वो आंखें रोयीं जो आशा में रहीं
सबसे अधिक वो उम्मीदें ढही जो निश्छल रही।
प्रेम एक भावनात्मक एहसास है जो होता तो किसी और से है, पर खुद को इतना गहरा ले जाता है इतना गहरा ले जाता है कि उसके सामने हर एक चीज खुद से ऊंची दिखाई देती है|
जब इंसान किसी के प्रेम में खुद को हद से ज्यादा नीचे, गहरा ,अगम्य की ओर ले जाता है तो उसकी बराबरी करने के लिए कोई होता ही नहीं है। सिवाय खुद के,। ऐसे में इंसान का जिसके लिए प्रेम होता है वह खुद ब खुद खुदा बन जाता है,वह इतना ऊंचा बन जाता है कि सब कुछ वही दिखाई देता है|
प्रेम के लाखों उदाहरण जो हमारे सामने है उनमें राधा कृष्ण ,लैला मजनू ,हीर रांझा , जैसे अनगिनत उदाहरण है
इन सभी प्रेमियों की एक बात कॉमन है वह यह है कि ये सारे के सारे प्रेम अधूरे ही रहे।
शायद यह माना जाता...