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दोस्ती (भाग 16)
पीछे से शिवम् और वर्षा आए और फिर तीनो कैंटीन फिर लाइब्रेरी चले गए। बातो बातो में मालती भूल गई की उसको प्रतीक को फोन भी करना है। कॉलेज से बाहर निकले वो प्रतीक अपनी बाइक पर बैठा हुआ था उसने मालती को आते देखा तो बाइक चालू करदी, मालती ने वर्षा और शिवम् को विदा किया और प्रतीक की बाइक पर बैठ गई। करीब आधी रात को सब शादी से वापस घर आए और सो गए। अगले दिन इतवार था तो सब देर से उठे, सब नाश्ता करने आए तो प्रतीक का मुंह गुस्से से फूला हुए था, किसी बच्चे की भांति वो गुस्से में बैठा हुए था।
सारा दिन वो यूंँ ही रहा गुस्से में। मालती ने गायत्री से पता किया कि उसको कैसे मनाना है, वो खाने का शौकीन था रात को मालती ने अपने हाथो से उसकी पसंद का खाना बनाया और उससे सॉरी बोला, "इस बार माफ कर रहा हूंँ अगली बात इस तरह गुस्से मै बात करोगी तो कभी बात नहीं करूंगा" कहकर उसने उसे माफ कर दिया फिर उसके भईया भाभी भी आ गए सबने मिलकर खाना खाया और सो गए। मालती और प्रतीक की नज़दीकियांँ भी बढ़ने लगी वो दोस्त बनने लगे। एक महीने बाद प्रतीक रोज उसको लेने और छोड़ने आने लगा।
वक़्त बीतता गया कॉलेज खत्म हुआ तो सबने एक कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। चारों में दोस्ती अब गहरा गई थी। दो महीने बाद शिवम् ने अपने और वर्षा के बारे में अपने घर में बता दिया।वो एक घर में रहते थे पर सबको यही पता था कि वो दोस्त है। उसकी घर वालो ने उनके रिश्ते को हाँ करदी। वर्षा ने भी अपने घर में बताया। उनको वर्षा से कोई मोह था ही नहीं इसलिए उनको कोई फर्क नहीं नहीं पड़ा कि वो किस्से शादी कर रही थी। "शादी का सारा खर्चा हम उठा लेंगे पर हम शादी में आ नहीं पाएंगे हमे बहुत काम है।" वर्षा के माता पिता ने बोला। वर्षा की उदासी मालती से देखी नहीं गई तो उसने अपने माता पिता से कहा कि वो उसका कन्यादान करे। सब मान गए शादी कि तैयारियांँ होने लगी, सब लोग खुश थे। शादी को 6 महीने होने वाले थे वो घूमने ही नहीं गए थे। शिवम् वर्षा के साथ घूमने जाना चाहता था पर वर्षा भी जिद पर अड़ी थी कि मालती को साथ लेकर जाएगी। शिवम् के पास कोई चारा ना था उसने मालती को भी साथ चलने को बोला "तुम्हारे बीच मै क्या करूंगी वहाँ, नहीं नहीं ये सही नहीं तुम दोनों जाओ।" कहकर मालती ने मना कर दिया।"प्रतीक को साथ ले चल तुम्हारी नज़दीकियांँ भी बढ़ जाएंगी।" वर्षा हस्ते हुए बोली।
"शट उप, हमारी बीच ऐसा कुछ नहीं है।" मालती नजरें चुराते हुए बोली। उन्होंने प्रतीक से कहा तो उसने भी मालती को जाने के लिए मनाया और वो मान गई। कुछ दिन बाद सभी लोग अपने दफ्तर से 10-15 दिन की छुट्टी लेकर शिमला चले गए।
© pooja gaur