पहली रात।
कुछ खास था शायद उस रात में हवाएं शीतल हो रही थी थोड़ी नमी सी थी एक कमरे से फूलों की खुशबू से लेकर उस कमरे मै रखें हर वस्तू की बातों कि महेक आ रही थी । जैसे उस गुलाब से सजे हुऐ सेजा सामने पड़ी टेबल से इठलते हुए कुछ कहे रही हो की आज संगम होगा ।।
हलकी हलकी हवा खिड़की से अन्दर आते हुए उस सजी संवरी दुलहन को छेड़ा रही हो जो की अभी तोड़ी डरी हुई सी सहमी हुई सी, जिसके आंखो के कोनो मैं अभीभी विदाई के आंसु अभी भी कायम थै
रात और सुंदर शांत सा हो रहा...
हलकी हलकी हवा खिड़की से अन्दर आते हुए उस सजी संवरी दुलहन को छेड़ा रही हो जो की अभी तोड़ी डरी हुई सी सहमी हुई सी, जिसके आंखो के कोनो मैं अभीभी विदाई के आंसु अभी भी कायम थै
रात और सुंदर शांत सा हो रहा...