...

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चीजो को जरा अलग ठंग से देखो
ज़रा सा अपना नज़रिया बदलो चीजो को अलग ठंग से देखो

क्यो हर किसीकी बुराई ढूंढ कर कूड़ना चाहते हो किसीकी अच्छाई देख कर उसे प्यार भी करो

धर्म, जात- पात के नाम पर हमेशा लड़ते हो एक देश हिंदुस्तान के वासी हिंदू हम इस बात पर भाई- चारा भी तो निभाओ

बेटी कि खुली सोच को उसका बिगाड़ना नहीं है उसका दुनिया के कदम से कदम मिलाना है

क्यो नकरामकता के अंधरे मे रहना चाहते हो
सकरामकता के उजाले की तरफ कदम तो बढ़ाओ

सही गलत क्या हैं
अपना- अपना नजरिया ही तो है

जरा सा अपना नजरिया बदलो चीजो को अलग ठंग से देखो
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