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इक दास्तान आंखों देखी
#NightInForest
मेरा गाँव जंगल के ही करीब क्या कहूँ सटा हुआ है। शाम होते ही हुक्की हुआ, हुक्की हुआ होने लगता है, शाम को अंधेरे में हुक्की हुआ भी बहुत डरावना लगता है, ऊदबिलाव, सियार, भेड़िये आदि निकलने लगते हैं।
वातावरण डरावना हो जाता है । सभी अपने
परिवार की सुरक्षा के लिए सतर्क हो जाते हैं।
डण्डा, भाला, कांता आदि शस्त्र रक्षा हेतु लगभग सभी घरों में होते हैं उन्हें शायं झाड़
पोछ रख के संतुष्ट हो जाते हैं। शरद् ऋतु का मौसम था सब लोग अपने घर में या घर के बाहर आग जलाकर तापते हैं, वहां बच्चे बुजुर्ग
बहू बेटियां सभी बैठते हैं । गाँव घर की बातें होती रहती हैं, उस दिन भी बातों बातों में भूत पिशाच ब्रह्मबाबा तक बात पहुँच गयी । एक बुजुर्ग बैठे थे बोले वो दुबघटिया पर पीपल के
ऊपर ब्रह्मबाबा रहते हैं रात भर वहीं टहलते रहते हैं आज तक कोई रात में वहाँ जा नहीं पाया, हम भी वहीं बैठे थे एक मित्र रामऔतार
भी बैठे थे, राम औतार बोले हम तो कई बार
वहाँ से रात को निकले कोई नहीं मिला लोग डरते हैं , कुछ नहीं है । वह बोले तुम अकेले चले जाओ और एक खूंटा पीपल के नीचे गाड़ आओ दस रूपये इनाम वह बोले अकेले नहीं कोई दूसरा चले तो हम खूंटा गाड़ देंगे वह साथ रहे क्योंकि जंगल के किनारे कोई खूंखार पशु
न मिल जाए हमसे बोले चलोगे हमने कहा चलो पांच रूपए हम लेंगे। उन्होंने कहा ठीक ले लेना एक मुंगेरी एक खूंटा राम औतार के हाथ एक डण्डा, मेरे हाथ एक कांता लेकर चल दिए।
एकदम सन्नाटा, झींगुर बोलने की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी एक टार्च तीन सेल की साथ में लगाने पर दूर दूर तक दिखाई पड़ता था, हम दोनों लोग पीपल के निकट पहुँच गए अचानक
ठोकर लगने से राम औतार के हाथ से टार्च छूट गई वह बोले टार्च गिर गई अधेरा घना होने से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था हम दोनों टार्च ढूँढने लगे टार्च मिल गई लेकिन उसके पीछे का ढ़क्कन और सेल नहीं मिले हमने कहा
खूंटा ठोंको और निकलो देर मत करो कोई
जानवर आ गया लेने के देने पड़ जायेंगे वह आगे बढ़ा और बैठकर खूंटा ठोकने लगा
हमने कहा चलो वह जैसे ही उठा चिल्लाने लगा भाग, हम भाग खड़े हुए हम भागकर घर पहुँच गए वहाँ सब रास्ता देख रहे थे हमने कहा राम औतार नहीं पहुँचे उन्होंने कहा कहाँ आये हमने बताया सभी लोग टार्च लेकर ढूँढने गए रास्ते में राम औतार मिले सबने पूछा क्या हुआ उन्होंने बताया कुर्ता पैजामा पहने थे जब बैठकर खूंटा ठोका तो वह कुर्ते के सहित जमीन में गया । जब उठे तो कुर्ता ठुका होने से
गिर गये उसी में हम चिल्लाने लगे भागो लेकिन हम हट नहीं पा रहे थे जब देखा कुर्ता फंस गया तो हम बहुत डर गए थे जैसे किसी ने पकड़ लिया हो उठें तो गिर जाएं जब समझ पाये तो कुर्ता निकाल कर भागे।








© प्रकाश