...

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किसी की मदद करो,उस पर अहसान नही।
आज मैं एक कहानी के द्वारा आपको एक नयी सोच तक ले जाना चाहती हूँ ।काश मेरा ये सफ़र कामयाब रहे।

एक बार एक घायल नन्हा परिंदा जो की अभी बहुत छोटा था वो उड़ना ही सीख रहा था। वो अपने झूंड से उडते-उडते दुसरे इलाके में जा गिरा वो तड़प रहा था कि कोई उसकी मदद कर दे।तभी एक पेड़ पर बैठे दो परिंदो की नजर उस पर पड़ी उनमें से एक परिंदा उडा और उसके पास जा बैठा।
तभी नन्हे परिंदे ने उससे कहा कि मैं अपने झुंड से अलग हो गया हूँ ।और मुझे अभी उडान भरनी भी नही आती ।मेरी आपसे विनती हैं की आप मुझे उडान भरनी सीखा दो जिससे कि मैं अपने परिवार के पास पहुँच जाऊं।
दुसरा परिंदा बोला भला मैं तुम्हे क्यो उडान भरना सीखाऊं तुम कौन से मेरे रिश्तेदार हो ओर जोर-जोर से हंसकर वहां से उडकर चला जाता हैं।
नन्हा परिंदा बहुत मायूश होता हैं।
दुसरा परिंदा फिर उसके पास आता ओर हंसकर उड जाता ऐसे ही उसने पाँच से छः बार किया । नन्हा परिंदा उससे बहुत क्रोधित था ओर फिर उसने अपने क्रोध को अपने हौंसले में बदला ओर ऐसी उडान भरी कि वापस पलटकर नहीं देखा ।

तभी उस परिंदे का साथी उसके पास आया ओर बोला कि तुम उस नन्हे परिंदे की मदद करने की बजाय उसे चिडा रहे थे। ये तुमने जरा भी अच्छा नही किया
तभी परिंदा बोलता हैं कि अगर मैं उसे बताकर उसकी मदद करता तो वो शायद ही मेरा अहसान चुका पाता लेकिन अब उसने अपने हौंसलो से उडान भरी हैं । अब वो किसी की मदद मांगेगा भी नही ।


Abhilasha Khare