पढ़ाई: कल और आज
एक शिक्षिका, एक लेखिका और एक मां होने के नाते, मैं ये अक्सर सोचती हूं कि क्या हम बच्चों के साथ, पढ़ाई के नाम पर अत्याचार, छल नहीं कर रहे? ये कैसी पढ़ाई जिसके चलते बच्चों से उनका बचपना छीना जा रहा है। आज कल तो हाल ये है कि बच्चा ठीक से 'मां' भी नहीं बोल पाता कि हम उसे Creche या फिर यूं कहें कि आंगनवाड़ी छोड़ आते हैं अपनी सहूलियत के लिए। हम ये भी नहीं सोचते कि बच्चों के सब से पहले शिक्षक उसके अभिभावक ही होते हैं जिन्हें देख,सुन कर बच्चे बड़े होते हैं। और अब तो दौर Online Classes का...