निर्धारित समय
शाम 4:15 मिनट!!,
सूरज अपने मंज़िल की ओर बड़ रहा था।
वो खुश था। मन मे कई सपनों को जी रहा था।
मन मन मुस्कुराता भी रहा था!
मंज़िल के करीब आने पर
वो खुद को और अपनी क़िस्मत की झोली को
बचते बचाते आगे की तरफ बरता है।
इस तरह से आगे बड़ रहा है
जैसे कोई भेड़ बकरियों के झुंड से निकल रहा हो।
आख़िर कार वो निकल जाता है।।
वो निकलने के बाद
अपने कंधे पर अपनी क़िस्मत की झोली को रखकर
एक सकून भरी नज़रों से पीछे देखता है।
एक लंबी सांस लेता है।
और मुस्कुरा कर आगे बड़ जाता है।
मानो उसने कोई जंग...
सूरज अपने मंज़िल की ओर बड़ रहा था।
वो खुश था। मन मे कई सपनों को जी रहा था।
मन मन मुस्कुराता भी रहा था!
मंज़िल के करीब आने पर
वो खुद को और अपनी क़िस्मत की झोली को
बचते बचाते आगे की तरफ बरता है।
इस तरह से आगे बड़ रहा है
जैसे कोई भेड़ बकरियों के झुंड से निकल रहा हो।
आख़िर कार वो निकल जाता है।।
वो निकलने के बाद
अपने कंधे पर अपनी क़िस्मत की झोली को रखकर
एक सकून भरी नज़रों से पीछे देखता है।
एक लंबी सांस लेता है।
और मुस्कुरा कर आगे बड़ जाता है।
मानो उसने कोई जंग...