...

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निर्धारित समय
शाम 4:15 मिनट!!,

सूरज अपने मंज़िल की ओर बड़ रहा था।
वो खुश था। मन मे कई सपनों को जी रहा था।
मन मन मुस्कुराता भी रहा था!
मंज़िल के करीब आने पर
वो खुद को और अपनी क़िस्मत की झोली को
बचते बचाते आगे की तरफ बरता है।

इस तरह से आगे बड़ रहा है
जैसे कोई भेड़ बकरियों के झुंड से निकल रहा हो।

आख़िर कार वो निकल जाता है।।

वो निकलने के बाद
अपने कंधे पर अपनी क़िस्मत की झोली को रखकर
एक सकून भरी नज़रों से पीछे देखता है।

एक लंबी सांस लेता है।
और मुस्कुरा कर आगे बड़ जाता है।
मानो उसने कोई जंग जीत लिया हो।

अपने झोले को कभी दाएं कंधे पर कभी बाएं कंधे पर रखता, और आगे बढ़ता।
कभी तेज़ चलता, कभी दौरता है।
आखिरकार वो अपने मंज़िल के करीब पहुंच जाता है।
उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट होती है।

"जैसे ख़ाब से निकल कर उसकी girlfraind हकीकत में सामने आ गई हो।"

कुछ पल के लिय वो खुश होता है। लेकिन
उसकी नजरें इधर उधर ढूंढने लगाती है।

"शायद किसी को तलाश में है वो।"

जब उसकी नजरें उनसे मिलती है।
वो खुशी से झूमने लगता है
लेकिन वहां का नजारा देखने के बाद
वो शिहम जाता है डर जाता है।

"मानो अपनी गर्लफ्रेंड किसी और के साथ हो और उसे इग्नोर कर रही हो।"

वो घबराता हुआ दौरने लगता है
1.2.3.4.5.6.7.8.9.10.11.12......
वो रूकता है
तभी उसके कानों में एक खुबसूरत सी आवाज़ सुनाई देती है।
वो थम जाता है।
दिल उसका बहुत तेज से धड़कने लगता है
सांसें भी तेज चलने लगती है।

वो धीरे धीरे उस आवाज़ की तरफ बढ़ता जाता है।

"एक वफादार आशिक की तरह, खूबसूरत सी आवाज़ को सुनने कोशिश करता है।"

अपनी सांसों को रोक कर,
अपने दिल की धड़कनों को बडा कर
उस आवाज़ की ओर बढ़ता है
लेकिन आवाज सुन नही पाता है

वो परेशान होकर
निगाहें को रोक कर
कानों को रडार का एंटीना बनाकर
उस आवाज़ को ढूंढने की कोसिस करता है

तभी वो आवाज़ फिर से सुनाई देती है
एक तरफ खुशी की लहर और एक तरफ दुखों का पहाड़
माथे पर सीकन साफ दिख रहा था

और वो आवाज़.......

यात्री गण कृप्या ध्यान दें
ट्रेन नंबर 12440
न्यू दिल्ली से चलकर मुंबई सेंट्रल को जाने वाली
अपने निर्धारित समय
4:15 से 15 मिनट की देरी से 4:30 मिनट
प्लेटफार्म 12 से नही प्लेटफार्म 1 से जाने के लिए त्यार है
हम आपकी सुखद और मंगलमय यात्रा की
कामना करते है धन्यवाद।
© महज़