"रात का सफर"
ये एक काल्पनिक कहानी है, ये इस कहानी का एक छोटा सा हिस्सा है, जो मै लिखने जा रहा हुँ। यह कहानी एक डरावने सफर की है, ये सफर ऐसा है ।
अब सफर की शुरूवात करते है, ये सफर शुरू होता है, एक गाँव से जिसका नाम होता है। शूरवान ये गाँव एक बहुत ही खूबशूरत जगह मै बसा हुआ था, बिल्कुल एक जन्नत मै।
लेकिन कहते हैना जो जितना ही खूबशूरत होता है , उतना ही भयानक और ख़तरनाक भी होता है। वैसे ही ये जगह भी थी, लेकिन लोगो को ये सब बातों का पुरा यकिन था। कि अगर कोई भी इंसान शूरवान के जंगलों को रात मै सफर करके , यह वापस जिंन्दा नही आ सकता है।
लेकिन ये गलती कोई नही कर सकता क्योंकि शूरवान के बुज़ुर्ग कहते है ,कोई भी नही कर सकता । शूरवान के जंगलों का रात का सफर, अगर किसी ने कोशिश भी की तो उसकी मृत्यु निश्चित है। और सब लोग इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके थे , लेकिन उस गाँव मै। एक आदमी रहता था, जिसका नाम था बंशी। और उसका काम रोज शूरवान के जंगलों को पार करके दुसरे गाँव जाना होता था। लेकिन इस बार बंशी को, दुसरे गाँव मै ही रूकना पड़ा। क्योंकि अब की बार उसे कुछ ज्यादा ही काम था, लेकिन घर जाना भी तो जरूरी था। क्योंकि बंशी की पत्नी घर पर अकेली थी, और उसका बेटा। और बंशी को चार हफ्ते बीत गए थे, वो घर नही गया था । ना वहाँ से कोई पत्र आया था, इसलिए बंशी को फिक्र होने लगी। और वो जाने के लिए बेचेन हो रहा था, उससे एक पल के लिए भी अब नही रुका जा रहा था। उसके मन मै अजीब तरह के ख्याल मंड़रा रहे थे, इसलिए वो दुसरे गाँव से निकल दिया। लेकिन दोनो गाँव को अलग करने वाली बीच मै एक नदी थी, जिसे पार करने के बाद शूरवान गाँव के जंगलों मै जा सकते थे। पहले जंगल फिर दो घंटे बाद गाँव, लेकिन उन दो घंटों मै। क्या हो सकता था...
अब सफर की शुरूवात करते है, ये सफर शुरू होता है, एक गाँव से जिसका नाम होता है। शूरवान ये गाँव एक बहुत ही खूबशूरत जगह मै बसा हुआ था, बिल्कुल एक जन्नत मै।
लेकिन कहते हैना जो जितना ही खूबशूरत होता है , उतना ही भयानक और ख़तरनाक भी होता है। वैसे ही ये जगह भी थी, लेकिन लोगो को ये सब बातों का पुरा यकिन था। कि अगर कोई भी इंसान शूरवान के जंगलों को रात मै सफर करके , यह वापस जिंन्दा नही आ सकता है।
लेकिन ये गलती कोई नही कर सकता क्योंकि शूरवान के बुज़ुर्ग कहते है ,कोई भी नही कर सकता । शूरवान के जंगलों का रात का सफर, अगर किसी ने कोशिश भी की तो उसकी मृत्यु निश्चित है। और सब लोग इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके थे , लेकिन उस गाँव मै। एक आदमी रहता था, जिसका नाम था बंशी। और उसका काम रोज शूरवान के जंगलों को पार करके दुसरे गाँव जाना होता था। लेकिन इस बार बंशी को, दुसरे गाँव मै ही रूकना पड़ा। क्योंकि अब की बार उसे कुछ ज्यादा ही काम था, लेकिन घर जाना भी तो जरूरी था। क्योंकि बंशी की पत्नी घर पर अकेली थी, और उसका बेटा। और बंशी को चार हफ्ते बीत गए थे, वो घर नही गया था । ना वहाँ से कोई पत्र आया था, इसलिए बंशी को फिक्र होने लगी। और वो जाने के लिए बेचेन हो रहा था, उससे एक पल के लिए भी अब नही रुका जा रहा था। उसके मन मै अजीब तरह के ख्याल मंड़रा रहे थे, इसलिए वो दुसरे गाँव से निकल दिया। लेकिन दोनो गाँव को अलग करने वाली बीच मै एक नदी थी, जिसे पार करने के बाद शूरवान गाँव के जंगलों मै जा सकते थे। पहले जंगल फिर दो घंटे बाद गाँव, लेकिन उन दो घंटों मै। क्या हो सकता था...