दूसरों में अपनी ख़ुशी मत देखो...
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कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 32 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ...और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।
ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि "दुख की बात है .वह हमारे साथ नहीं रही " *RIP*
दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना _सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ_
वह कहती रहती थी .."मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "......
मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि...
कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 32 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ...और उसकी जल्दी ही मृत्यु हो गई।
ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि "दुख की बात है .वह हमारे साथ नहीं रही " *RIP*
दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि .. वह बहुत परेशान होगा. क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना _सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ_
वह कहती रहती थी .."मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं "......
मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि...