जंगल की एक घटना (भाग 2)
घने जंगल में सुदीप और रवि की गाड़ी पंचर हो जाती है। स्टेपनी भी पंचर है। सुदीप डर जाता है कि क्या करें। रवि एक बैलगाड़ीवाले से मदद लेता है और उस बैलगाड़ी वाले के साथी को पंचर लगवाने के लिए 500 ₹ देकर भेजता है, और वो दोनों दोस्त बैलगाड़ी वाले के घर पर रुक जाते हैं। ...
अब आगे
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घर सच में बहुत सुरक्षित था। चारों ओर ऊंँची बांँस की दोहरी दीवार थी जो कांटेदार तारों से बंधी हुई थी। जगह - जगह आग जल रही थी जिससे कि कोई जानवर आक्रमण न कर सके।
दोनों मंगलू के साथ घर के अंदर गए।
मंगलू ने अपनी बेटी को आवाज दी। ओ कम्मो,देखऽ ई दुई बाबूजी आए हन्, ईका लिए खाना पानी का बन्दोबस्त करौ।
आई बाबा..
एक सांवरी मगर सुंदर नैन नक्स वाली लड़की अंदर वाले कमरे से आई। दो गिलास और एक पानी से भरा जग था उसके हाथ में। आते ही झुककर दोनों दोस्त को पानी दिया। फिर खाना लाने के लिए अंदर गई।
थोड़ी देर में हाथों में दो थालियां लेकर आई, और बोली लो...
अब आगे
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घर सच में बहुत सुरक्षित था। चारों ओर ऊंँची बांँस की दोहरी दीवार थी जो कांटेदार तारों से बंधी हुई थी। जगह - जगह आग जल रही थी जिससे कि कोई जानवर आक्रमण न कर सके।
दोनों मंगलू के साथ घर के अंदर गए।
मंगलू ने अपनी बेटी को आवाज दी। ओ कम्मो,देखऽ ई दुई बाबूजी आए हन्, ईका लिए खाना पानी का बन्दोबस्त करौ।
आई बाबा..
एक सांवरी मगर सुंदर नैन नक्स वाली लड़की अंदर वाले कमरे से आई। दो गिलास और एक पानी से भरा जग था उसके हाथ में। आते ही झुककर दोनों दोस्त को पानी दिया। फिर खाना लाने के लिए अंदर गई।
थोड़ी देर में हाथों में दो थालियां लेकर आई, और बोली लो...